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Mystery of Subhas Chandra Bose’s Death | Gumnami Baba | Dhruv Rathee

नमस्कार दोस्तों 16 अगस्त 1945 वर्ल्ड वॉर टू खत्म होने की कगार पर थी जापान ने हथियार डालकर सरेंडर कर दिया था और जर्मनी में हिटलर ने खुदकुशी करके अपनी जान ले ली थी जर्मनी और जापान दोनों ही देश बुरी तरीके से इस वॉर को हार चुके थे नेताजी सुभाष चंद्र बोस जो 1943 से ही मदद ले रहे थे जापान से इंडियन नेशनल आर्मी लीड करते वक्त अब वो नए तरीकों की तलाश में थे कि कैसे आजादी की लड़ाई को बरकरार रखा जा सके हालांकि ये प्लांस लिखित रूप से स्पष्ट नहीं थे लेकिन उनके साथ ही जानते थे कि नेताजी अपना बेस अब सोवियत यूनियन में शिफ्ट करना चाहते हैं उनका प्लान था कि

The Enigma of Subhas Chandra Bose's Death | Gumnami Baba Revealed by Dhruv Rathee

(00:37) पहले वो टोक्यो जाकर जैपनीज सरकार को धन्यवाद करेंगे और वहां से वह सोवियत की ओर रवाना हो जाएंगे इसके पीछे कारण बड़ा सिंपल था सोवियत यूनियन एलाइड फोर्सेस का हिस्सा थी वो देश जिन्होंने इस वॉर को जीता लेकिन इसके बावजूद सोवियत यूएसए यूके जैसे एलाइड देशों से आइडियो जिकली काफी अलग था अपनी कम्युनिस्ट विचारधारा के चलते नेताजी को उम्मीद थी कि वो ब्रिटिश के खिलाफ खड़े होने में इंडिया की की मदद करेंगे लेकिन प्रॉब्लम यह थी कि जापान अभी-अभी इस जंग को हारा था और दो बड़े न्यूक्लियर धमाके हिरोशिमा और नागासाकी पर हुए थे तो नेताजी को टोक्यो ले जाने के लिए

(01:14) कोई ऑप्शंस की भरमार नहीं थी जपनीज फोर्सेस ने उनके लिए एक रास्ता ढूंढकर निकाला जो कि कुछ ऐसा था वो एक मिशु बिशी किई 21 हैवी बॉम्बर हवाई जहाज में बैठेंगे जो वियतनाम में सागो से टेक ऑफ करेगा ये एरोप्लेन एक स्टॉप करेगा ताइवान के हाइतों में फिर वहां से ताइहोकू फोरमोसा जाएगा जो कि आज के दिन का ताय पाई है ताइवान के देश में फिर एक आखिरी स्टॉप करेगा वह चाइना के मंचूरिया की टेरिट्री में फाइनली टोक्यो अपनी फाइनल डेस्टिनेशन पहुंचने से पहले उन दिनों मंचूरिया जापान का एक पपि स्टेट हुआ करता था मंचुकोंडा था नेताजी इस बात को जानते थे

(01:52) इसलिए उन्होंने सोचा कि क्यों ना सोवियत से अपना पहला कांटेक्ट इस मन चूको में ही एस्टेब्लिश किया जाए इसी आइट नरी को फॉलो करते हुए नेताजी 17 अगस्त की सुबह बैंगकॉक से निकलते हैं अपने आईएएनए ग्रुप के साथ और करीब 10 बजे साग वियतनाम में पहुंचते हैं यहां पहुंचकर इन्हें बताया जाता है कि इस हैवी बॉम्बर हवाई जहाज में तो सिर्फ दो लोगों के बैठने की ही जगह खाली बची तो नेताजी अपनी इंडियन नेशनल आर्मी के सभी साथियों के साथ इस सफर में आगे नहीं जा सकते सिर्फ किसी एक और को चुनना पड़ेगा वो डिसाइड करते हैं कि वह अपने साथी हबीबुर

(02:24) रहमान के साथ इस जर्नी को पूरा करेंगे 17 अगस्त को करीब शाम के 5:00 बजे यह प्लेन सागौन से टेक ऑफ करता है और करीब 12 से 13 लोग प्लेन में बैठे थे नेताजी और कर्नल हबीबुर रहमान के अलावा बाकी सभी लोग जैपनीज मिलिट्री के थे या जैपनीज क्रू मेंबर्स थे क्योंकि अंधेरा जल्द ही होने वाला था इसलिए यह प्लेन एक अन स्केड्यूल स्टॉप करता है तरान पर जो कि आज के दिन का दाना शहर है सभी पैसेंजर्स रात को एक होटल में रुकते हैं और क्रू काम करता है इस प्लेन को हल्का बनाने पर बहुत से हथियार एम्युनिशन और मशीन गंस इस प्लेन से उतारे गए ताकि इस प्लेन को हल्का बनाया जा सके

(02:58) लंबे सफर के लिए अगली सुबह 18 अगस्त को प्लेन सुबह के 5:00 बजे जल्दी उड़ान भरता है और क्योंकि अब प्लेन हल्का हो चुका था पायलट अपने अगले स्केड्यूल स्टॉप हायतो को स्किप कर देते हैं अगला स्टॉप था ताई होकू यानी ताई पाई का शहर जहां पर प्लेन को लगभग दोपहर के 12:00 बजे लैंड किया जाता है दो घंटे के स्टॉप में सभी पैसेंजर्स लंच करते हैं और प्लेन को रिफ्यूल किया जाता है प्लेन की टेस्टिंग के दौरान एक समय पर पायलट और इंजीनियर को दिखा कि प्लेन के लेफ्ट इंजन में कुछ खराब है ज्यादा जांच पड़ताल नहीं करी उन्होंने सोचा ठीक ही होगा क्योंकि नया नया इंजन

(03:30) लगाया है इस प्लेन ने 18 अगस्त को दोपहर के 2 बजे ये प्लेन दोबारा से उड़ान भर लेता है इस बारी प्लेन के उड़ान भरने के कुछ मिनट बाद ही एक बड़े धमाके की आवाज सभी को सुनाई देती है मानो जैसे प्लेन का इंजन फट गया हो प्लेन कंट्रोल से बाहर होने लगता है और कुछ ही सेकंड बाद जाकर क्रैश कर जाता है प्लेन में जो लोग आगे बैठे थे पायलट कोपायलट और एक जैपनीज जनरल वो इमीडिएट मारे जाते हैं जनरल के पीछे लेफ्ट विंग के पास प्लेन के पेट्रोल टैंक के बगल में में बैठे थे नेताजी और उनके पीछे बैठे थे हबीबुर रहमान दोनों ही क्योंकि पीछे की ओर

(04:05) थे वो मिरेकल असली इस क्रैश के एकदम बाद प्लेन से जिंदा बाहर निकलते हैं लेकिन नेताजी गैसोलीन में लथपथ होकर बड़ी जख्मी हालत में थे प्लेन का पीछे का दरवाजा खुल नहीं रहा था तो यह आगे की एंट्रेंस से बाहर निकलते हैं और ऐसा करने का मतलब था कि आग की लपटों के बीच में से गुजरना हो और नेताजी क्योंकि पेट्रोल से पूरा भीग चुके थे इंटेंटली जल जाते हैं हबीबुर रहमान इन्हें बचाने की पूरी कोशिश करते कपड़े निकालकर आग बुझाते हैं और 15 मिनट के अंदर-अंदर नेताजी को पास के नैन मोन मिलिट्री हॉस्पिटल में ले जाते हैं लेकिन अनफॉर्चूनेटली नेताजी की जान बचाने में यह

(04:39) अनसक्सेसफुल रहते हैं नेताजी सुभाष चंद्र बोस का देहांत इस हॉस्पिटल में कुछ ही घंटों बाद होता है इस प्लेन क्रैश की यह दर्दनाक कहानी आज भी कुछ लोगों के लिए सिर्फ एक कहानी ही है कुछ लोगों का मानना है कि नेताजी एक्चुअली में सोवियत यूनियन पहुंच गए थे और वहां इन्हें बंदी बनाया गया पूरी जिंदगी टॉर्चर किया गया दूसरी तरफ कुछ लोग मानते हैं कि यह प्लेन क्रैश सिर्फ एक दिखावा था नेताजी असल में जिंदा थे और वह अपना रूप बदलकर वापस इंडिया लौटे थे अयोध्या में वह एक बाबा बन गए और बाकी की जिंदगी एक बाबा के रूप में बिताई गुमनामी बाबा क्या सच है

(05:16) यहां पर आखिर नेताजी की डेथ इतनी बड़ी मिस्ट्री क्यों है इस पर जो इन्वेस्टिगेशंस करी गई उनमें क्या पाया गया आइए समझते हैं आज के इस वीडियो में यह वीडियो मेरा सेकंड पार्ट है नेताजी सुभाष चंद्र बोस की दास्ता पर अगर आपने पहला वीडियो नहीं देखा है यह वाला इसका लिंक नीचे डिस्क्रिप्शन में मिल जाएगा अब कौन सी कंस्पिरेशन थ्योरी यहां पर सच है कौन सी नहीं इसकी बात करने से पहले आइए इतिहास के पन्नों पर नजर डालते हैं एक ऐसे इंसीडेंट पर जिसको हमेशा नजरअंदाज कर दिया जाता है नेताजी की मृत्यु की बात करते समय मैं बात कर रहा हूं आई एनए ट्रायल्स की जो

(05:58) कि दिल्ली के रेड फोर्ट पर हुए 5थ नवंबर 1945 को नेताजी के देहांत के करीब ढाई महीने बाद की बात है ये ज्यादातर इंडियन नेशनल आर्मी के ट्रूप्स को ब्रिटिश के द्वारा कैप्चर कर लिया जाता है लगभग 25000 आईएएनए के सोल्जर्स ब्रिटिश हुकूमत की गिरफ्तारी में थे 25000 में से इन तीन जवानों पर रेडफोर्ट में इस दिन एक खुलेआम मुकदमा शुरू हो रहा था अंग्रेज सरकार ने फैसला किया कि दुनिया की नजरों में आजाद हिंद फौज को जगन्य अपराधी साबित करने के लिए लाल किले में एक मुकद चलाया जाए ये तीन सोल्जर्स बड़े खास थे कैप्टन शाहनवाज खान लेफ्टिनेंट गुर भक्ष सिंह ढिल्लन और

(06:36) कैप्टन प्रेम कुमार सहगल पिछले कुछ सालों में जो भी संघर्ष नेताजी ने किया था ब्रिटिश एंपायर ने बड़ी ही चालाकी से सभी खबरों को दबा कर रखा था आईएएनए के बारे में इसका मतलब यह था कि ज्यादातर इंडियंस जानते नहीं थे एक्चुअली में कि नेताजी ने क्या-क्या किया था यहां पर लेकिन जब आईएएनए के ट्रूप्स को कैप्चर कर लिया जाता है ब्रिटिश के द्वारा तो ब्रिटिश सरकार डिसाइड करती है कि इन ट्रायल्स को हाईली पब्लिसाइज तरीके से जनता के सामने दिखाया जाए देश भर में इन तीन सोल्जर्स के ट्रायल की खबर फैलती है ब्रिटिश सरकार का ये सोचना था क्योंकि नेताजी की आईएएनए ने

(07:07) यहां पर हमला बोला था ब्रिटिश सरकार के खिलाफ यानी कि देश के खिलाफ तो लोग इन्हें देशद्रोही की तरह समझेंगे जनता का जो सपोर्ट है वो ब्रिटिश के साथ ज्यादा होगा क्योंकि ब्रिटिश सरकार ने यहां पर सरकार को देश के साथ रिलेट कर दिया है लेकिन यह प्लान पूरी तरीके से बैकफायर कर जाता है इसका एगजैक्टली उल्टा ही होता है ज्यादातर लोगों को दिखता है कि जिन लोगों को सरकार देशद्रोही कह रही है वो तो सबसे बड़े देशभक्त हैं एक्चुअली में लोग हजारों की संख्या में सड़कों पर उतर जाते हैं प्रोटेस्ट करने आम जनता जोरों से अपनी आवाज उठाती है इन लोगों के खिलाफ कोई सजा

(07:39) नहीं होनी चाहिए प्रोटेस्टर्स की भीड़ जल्द ही रेडफोर्ट में भी पहुंच जाती है दिलचस्प बात यह थी कि ये तीन ऑफिसर्स तीन धर्मों से बिलोंग करते थे सहगल हिंदू खान मुसलमान और ढिल्लन एक सिख इंडिया की तीन मेजर रिलीजस कम्युनिटीज वही रिलीजियस हार्मनी जो नेताजी सुभाष चंद्र बोस की इंडियन नेशनल आर्मी में देखने को मिलती थी अब पूरे देश के सामने लाल किले पर मौजूद थी ये तीन सोल्जर्स रिलीजस और नेशनल यूनिटी का एक सिंबल बन गए इन तीनों के खिलाफ मुकदमा चलाया गया वेजिंग वॉर अगेंस्ट द नेशन का यानी सेक्शन 121 ऑफ आईपीसी साथ ही साथ मर्डर और अबेटमेंट टू

(08:14) मर्डर का भी चार्ज लगाया गया लेकिन अपने फ्रीडम फाइटर्स को गद्दार साबित करने की इस कोशिश को देखकर लोगों में गुस्सा और जागा कोलकाता जो शहर था जहां नेताजी ने अपनी जिंदगी के कई साल गुजारे थे वहां पर सबसे भारी प्रोटेस्ट देखे गए 23 नवंबर को पुलिस की फायर में करीब 100 प्रोटेस्टर्स मारे भी जाते हैं इस पूरे समय में कांग्रेस पार्टी क्या कर रही थी कांग्रेस एक आईएएनए डिफेंस कमेटी की स्थापना करती है जवाहरलाल नेहरू की सलाह पर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने एक उच्च स्तरीय बचाव समिति का गठन किया वो डिसाइड करते हैं कि हम लीगल तरीके से इन तीन सोल्जर्स

(08:49) को डिफेंड करेंगे कोर्ट में ये जो डिफेंस कमेटी बनाई जाती है इसमें होते हैं तेज बहादुर सप्रू बुल्ला भाई देसाई आसफ अली और जवाहरलाल नेहरू खुद सही सुना आपने जवाहरलाल नेहरू जो बाय प्रोफेशन तो एक लॉयर हुआ करते थे काफी सालों से उन्होंने लॉयर का गाउन पहना नहीं था लेकिन अब इस मकाम पर वो वापस से लॉयर के रूप में कोर्ट में पेश होते हैं ब्रिटिश कोर्ट के सामने आर्गुमेंट उठाते हैं कि जो प्रोविजनल सरकार आजाद हिंद की नेताजी ने बनाई थी और ये जो इंडियन नेशनल आर्मी है इंटरनेशनल लॉ के तहत इसमें कुछ भी गलत नहीं है क्योंकि आजाद हिंद नाम की यहां पर एक स्टेट बनाई

(09:27) गई थी जिसकी खुद की आर्मी थी जो लड़ रही थी और ब्रिटिश सरकार अपने यह कानून और रेगुलेशंस आजाद हिंद और आईएएनए पर नहीं लगा सकती ओबवियसली क्योंकि ब्रिटिश की ही सरकार थी ब्रिटिश के ही कोर्ट्स थे तो यह लीगल फाइट सक्सेसफुल नहीं होगी ड जनवरी 1946 को जब कोर्ट का फैसला सुनाया जाता है तो खान सहगल और ढिल्लन तीनों को ट्रांसपोर्टेशन फॉर लाइफ की सजा दी जाती है बेसिकली एक एजाइल का सेंटेंस कि इन्हें दूर भेजा जाएगा और वहां से कभी लौटेंगे नहीं लेकिन जनता की ताकत के सामने ना कोई कोर्ट ना कोई सरकार टिक सकती है लोगों में गुस्सा इतना ज्यादा था प्रोटेस्ट इतने

(10:00) भारी थे कि सरकार को पब्लिक प्रेशर में आकर इन सोल्जर्स को रिहा करना पड़ा ब्रिटिश हुकूमत हैरान हो गई ये देखकर कि ब्रिटिश इंडियन आर्मी के सोल्जर्स खुद वहां पर रिवोल्ट करने लग रहे थे उन्होंने मना कर दिया सोल्जर्स ने लड़ने से कि हम ब्रिटिश की तरफ से नहीं लड़ेंगे इसी की वजह से बाद में जाकर एक रॉयल इंडियन नेवी म्यूटन देखने को मिलती है वो अपने आप में ही पूरी एक कहानी है उसकी बात किसी और वीडियो में कर सकते हैं अब यहां पर होता क्या है कि नाने ट्रायल्स की वजह से नेताजी की कहानी पूरे देश में फैल चुकी थी एक ऐसे इंसान की दास्ता जिन्होंने इतनी

(10:28) कमाल की चीजें कर थी अपनी जिंदगी में बार-बार फेस बदलकर कैसे उन्होंने अलग-अलग देशों को चकमा दिया एक से दूसरे देश गए वो एक आर्मी बनाने के लिए कभी सबमरीन में बैठे तो कभी हवाई जहाज में उड़े यह कहानी किसी सुपर हीरो की कहानी से कम नहीं थी इसी रीजन से कुछ लोगों को और कुछ आईएनएस सोल्जर्स को भी डाउट होने लगा कि नेताजी एक प्लेन क्रैश में मारे गए ऐसा हो नहीं सकता उन्होंने इतनी बार अपने फेस बदले हैं इतनी बार अलग-अलग लोगों को चख मा दिया है पक्का अपनी डेथ को भी वो यहां पर फेक कर रहे होंगे शायद उन्होंने एक बॉडी डबल का इस्तेमाल किया हो इस प्लेन क्रैश

(11:04) में क्योंकि एलाइड पावर्स वर्ल्ड वॉर 2 को जीत चुकी थी और अपने आप को कैप्चर होने से बचाने के लिए उन्होंने ऐसा किया ऊपर से ना कोई डेथ सर्टिफिकेट था ना कोई फोटो थी डेड बॉडी की सिर्फ हबीबुर रहमान ने जो कहा था हम उनकी बात सुन रहे थे तो लोगों के मन में शक होना जायज था इवन महात्मा गांधी जी ने जब यह खबर सुनी नेताजी के प्लेन क्रैश की उन्होंने भी मानने से इंकार कर दिया कि यहां नेताजी का देहांत हुआ होगा सिर्फ हबीबुर रहमान के साथ पर्सनली बात करने के बाद ही गांधी जी ने अपना मन बदला लेकिन देश के बहुत से लोगों में शक बना रहा और

(11:33) वह इंतजार करते रहे कि एक दिन नेताजी वापस आएंगे और जनता के सामने अपना असली चेहरा दिखाएंगे इनमें से कुछ लोग तो खुद नेताजी के साथी ही थे एक सुभाष बादी जनता करके एक ऑर्गेनाइजेशन बनाई जाती है इन कुछ साथियों के द्वारा जो मानने से ही इंकार कर देते हैं इस लेन क्रैश थ्योरी में इनकी क्रोनोलॉजी के अनुसार नेताजी हिंदुस्तान आकर एक सन्यासी बन गए थे उन्होंने 1948 में गांधी जी के क्रमश को भी अटेंड किया था अपना भेस बदलकर और उसके बाद वो 1956 से 1959 के बीच तक योगी बनकर बरेली के एक शिव मंदिर में रहते थे यहां पर वो जड़ी बूटियों के एक्सपर्ट बने और ट्यूबरकुलोसिस

(12:08) का इलाज तक भी उन्होंने खोज डाला 1959 में फिर नेताजी जाकर बंगाल के जल पैगड़ा मरी आश्रम और खुद को श्रीमत सरान जी कहकर बुलाने लगते हैं इस पूरी कंस्पिरेशन थ्योरी को शौल मरी बाबा थ्योरी करके बुलाया जाता है ये आश्रम एक्चुअली में एजिस्ट करता था और यह बाबा भी असली में थे 196 में कंस्पिरेशन थ्योरी इतनी ज्यादा फैली कि शौल मरी बाबा को खुद खड़े होकर बोलना पड़ा कि वह नेताजी नहीं है लेकिन उनके फॉलोअर्स फिर भी कहते रहे नहीं आप हो नेताजी आप हो नेताजी आपको पता नहीं है लेकिन आप हो एक दूसरी कंस्पिरेशन थ्योरी कुछ और नेताजी के एसोसिएट्स के

(12:44) द्वारा बनाई गई कि एक्चुअली में वो प्लेन लैंड कर गया था और वह सोवियत यूनियन पहुंचे थे लेकिन सोवियत में नेताजी को रशियंस के द्वारा कैप्चर कर लिया जाता है और फिर कंसंट्रेशन कैंप्स में टॉर्चर किया जाता है उनके साथ इस चीज को रशियंस प्रधानमंत्री नेहरू के खिलाफ एक लेवरेज के के तौर पर इस्तेमाल करते हैं इनफैक्ट ना सिर्फ नेहरू को बल्कि प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को भी वो धमकी देते हैं इस चीज को लेकर रशियंस कहते हैं कि अगर इंडिया सोवियत की साइड नहीं लेगा तो वह नेताजी को जेल से रिहा कर देंगे और पूरी खबर फैला देंगे ये पूरी कंस्पिरेशन थ्योरी इस

(13:15) गलतफहमी पर आधारित है कि नेताजी प्रधानमंत्री नेहरू के लिए खतरा थे और कांग्रेस पार्टी के खिलाफ थे और अगर वह वापस इंडिया आ जाते तो व प्रधानमंत्री बनते नेहरू जी की जगह इस कंस्पिरेशन थ्योरी का कोई सर पैर नहीं है क्योंकि जैसा मैंने पिछले वीडियो में बताया था नेताजी एक्चुअली में नेहरू जी को बहुत एडमायरीन ब्रिगेड का नाम उन्होंने जवाहरलाल नेहरू पर रखा था और यही म्यूचुअल एडमिरेशन जवाहरलाल नेहरू ने नेताजी की ओर भी दिखाया था उनके देहांत के बाद उन्हें एक नेशनल हीरो कहा था इसके अलावा कुछ और भी उटपटांग थ्योरी हैं जैसे कि नेताजी

(13:46) चाइना चले गए थे वहां पर कुछ ऑपरेशंस लीड कर रहे थे उस सब की बात नहीं करेंगे आइए डिस्कस करते हैं जो सबसे पॉपुलर थ्योरी है इनको लेकर ये है गुमनामी बाबा की थ्योरी हार्वर्ड प्रोफेसर सुगाता बोस जो कि ग्रैंड नेफ्यू है नेताजी के इन्होंने अपनी 2011 की किताब हिज मेजेस्टी ज ोने सुभाष चंद्र बोस एंड इंडिया स्ट्रगल अगेंस्ट एंपायर में मेंशन किया था कि साल 2002 में जुडिशरी ने इनसे कहा कि वह 1 मिलीलीटर खून अपना डोनेट करें ताकि किसी गुमनामी बाबा के साथ उनका डीएनए मैच करके देखा जा सके ऐसा इसलिए क्योंकि कुछ लोग क्लेम कर रहे थे कि कोई एक गुमनामी बाबा ही नेताजी है

(14:22) और यह 2002 की बात है 57 इयर्स हो चुके थे नेताजी के दंत को इनका परिवार बड़ा हैरान था देखकर कि सरकारी इंस्ट ट्यूशन भी इतनी बिजार थ्योरी को प्रमोट कर रहा है लेकिन फिर भी इन्होंने अपना खून डोनेट कर दिया ऑफकोर्स जो एविडेंस वहां पर निकला वो नेगेटिव था कोई डीएनए मैच नहीं था लेकिन फिर भी गुमनामी बाबा की थ्योरी आज तक चर्चा में है सोशल मीडिया पर कुछ लोग हैं जिन्होंने इस थ्योरी को वापस उठाया है और बार-बार व्यूज के लिए कंस्पिरेशन फैलाते हैं गुमनामी बाबा की थ्योरी एक्चुअली में रशिया में शुरू होती है कि वो स्टैन के अंदर टॉप सीक्रेट कवर्ट ऑपरेशंस किया करते

(14:54) थे वो बिल्कुल एक वन मैन आर्मी की तरह थे कोरियन वॉर जो हुई थी 1952 टू की उसमें उन्होंने एशियन लिबरेशन आर्मी को लीड किया था इसके बाद 1962 की वॉर में वो चाइनीज आर्मी को लीड कर रहे थे इंडिया के खिलाफ क्योंकि वो इंडिया को वेस्टर्न इन्फ्लुएंस से हटाना चाहते थे लेकिन क्योंकि इंडियंस ने गुमनामी बाबा को पहचाना नहीं तो उन्होंने आर्मी को रिट्रीट करने को बोल दिया कहानियां खत्म नहीं होती इसके बाद गुमनामी बाबा 1969 में यूएसए के खिलाफ वियतनाम में लड़े 1971 में बांग्लादेश को आजाद कराने में इनका एक बड़ा योगदान था मुक्ति वाहिनी को भी ये गाइड कर रहे थे और

(15:28) फाइनली सब कुछ छोड़कर वो इंडिया में एक साधु बन जाते हैं स्पेसिफिकली कहा जाए तो अयोध्या में रहने वाले एक साधु जिनका देहांत होता है 16 सितंबर 1985 में इस गुमनामी बाबा की डेथ का ना तो कोई फोटो था ना ही कोई ऑफिशियल डेथ सर्टिफिकेट था लेकिन इनकी डेथ के करीब 44 दिन बाद एक लोकल अखबार में खबर छपती है इस अखबार में खबर छपी थी गुमनामी बाबा ही नेताजी हैं इस अखबार का नाम नए लोग था सीनियर जर्नलिस्ट शीतला सिंह जो उस वक्त एक और लोकल अखबार में काम किया करते थे जनमोर्चा नाम से थे उन्होंने इस कहानी को नवंबर 1985 में इन्वेस्टिगेट किया इन्वेस्टिगेशन करने के

(16:04) लिए वह नेताजी के एक बड़े करीबी आदमी से मिलने गए कोलकता में पवित्रा मोहन रॉय जो कि आईएएनए के फॉर्मर इंटेलिजेंस ऑफिसर थे उनका कहना था कि वह हर साल भर साल एक नए साधु एक नए मिस्टीरियस इंसान से मिलते हैं नेताजी की तलाश में इसी कोशिश में वह कोहिमा से पंजाब तक चले गए फैजाबाद से अयोध्या तक गए लेकिन किसी भी बाबा में नेताजी सुभाष चंद्र बोस नहीं मिले यहां पर आपको लग रहा होगा कि यार एक दो ही बाबा की बात हुई थी यहां पर ये बाकी और सारे बाबास कहां से आ गए एक्चुअली में दोस्तों ये जो बाबा का एंगल है इसके मल्टीपल वर्जंस हैं अलग-अलग लोग कोई कर्नाटका में क्लेम करता

(16:37) है कि यह वाले बाबा नेताजी हैं कोई यूपी में कहता है यह वाले बाबा नेता जी हैं कोई एमपी में कहता है ये वाले बाबा नेताजी हैं जनमोर्चा में जब यह खबर छपी इस गुमनामी बाबा की थ्योरी को लेकर तो मीडिया में एक लड़ाई सी चल गई उत्तर प्रदेश के कई लोकल अखबारों में और खबरें छपने लगी कि गुमनामी बाबा ऐसे थे गुमनामी बाबा वैसे थे सब के सब क्लेम करने लगे कि वह नेताजी ही थे कुछ लोग कहने लगे कि उनको सालों से पता था कि गुमनामी बाबा ही नेताजी हैं पर उन्होंने क्योंकि एक ओथ ले रखी थी कि वो किसी को बता नहीं सकते इसके बारे में इसलिए वो चुप

(17:06) थे बड़ी आइर निक चीज क्योंकि एक्चुअली में उन्होंने कोई कसम खाई होती कि वो किसी को बताएंगे नहीं तो अब क्यों बता रहे थे वो इस पूरी थ्योरी के बारे में थोड़ा लॉजिकली सोच कर देखो तो कोई सेंस नहीं बनता आखिर नेताजी सुभाष चंद्र बोस का क्या मोटिवेशन होगा अपनी आइडेंटिटी छुपाने का अगर वो सही में गुमनामी बाबा थे तो वो क्यों फेस बदलकर अपनी बाकी की जिंदगी बिताएंगे एक बाबा बनकर कुछ सोशल मीडिया पर लोग क्लेम करते हैं कि यह किया जाता था इंडिया की जिओ पॉलिटिकल सेंस में पोजीशन प्रोटेक्ट करने के लिए अगर नेताजी पब्लिकली सामने आ जाते जनता के तो यह इंडिया के लिए अच्छा

(17:37) नहीं होता पता नहीं क्या अजीबोगरीब लॉजिक ये लोग लेकर आते हैं मुझे तो लगता है बस अटेंशन और व्यूज के लिए कुछ लोग ऐसी कंस्पिरेशन थ्योरी फैलाते हैं एक और आर्गुमेंट गुमनामी बाबा की थ्योरी के फेवर में उठाया जाता है कि ये बाबा बड़ी ही फ्लूएंट इंग्लिश बोला करते थे बड़े कॉन्फिडेंस के साथ जिओ पॉलिटिकल मुद्दों पर बात करते थे इसलिए यह नेताजी ही हो सकते हैं लेकिन आज जरा अपने आसपास देखो कितने ने ऐसे बाबा हैं जो बड़े कॉन्फिडेंस के साथ इंग्लिश में बात करते हैं जिओ पॉलिटिकल चीजों पर चर्चा करते हैं क्या कभी यह कहोगे कि वो बाबा नहीं है वो

(18:06) एल्बर्ट आइंस्टाइन फेस बदलकर बाबा बने बैठे हैं मैं सिर्फ मजाक मजाक में इन थ्योरी का काउंटर नहीं करना चाहता मैं आपको प्रूफ के साथ दिखाना चाहता हूं कि यहां पर सच क्या है क्योंकि पिछले 70 सालों में ढेर सारी इन्वेस्टिगेशंस करी गई है इस चीज को लेकर बहुत सी इंक्वायरी बिठाई गई है और ढेर सारी रिपोर्ट्स निकली हैं आइए एक-एक करके इन रिपोर्ट्स को समझते हैं और जानने की कोशिश करते हैं सच क्या है पहली है फिग स रिपोर्ट साल 1946 की यह ब्रिटिश के द्वारा की गई इन्वेस्टिगेशन थी लॉर्ड माउंट बैटन के अंडर इंटेलिजेंस ऑफिसर कर्नल जॉन फिग्स को काम दिया गया कि

(18:37) वह नेताजी सुभाष चंद्र बोस की डेथ को इन्वेस्टिगेट करें फिग ने अपनी रिपोर्ट 25 जुलाई 1946 को सबमिट करी काफी दशकों तक यह रिपोर्ट कॉन्फिडेंशियल बनी रही लेकिन आज के दिन यह पब्लिक के सामने अवेलेबल है चार चीजें कंफर्म करती है यह रिपोर्ट पहला कि एक प्लेन क्रैश हुआ था 18 अगस्त 1945 को ताई होक एयरपोर्ट के पास दूसरा नेताजी सुभाष चंद्र बोस इस प्लेन में बैठे थे तीसरा नेताजी का देहांत पास के मिलिट्री हॉस्पिटल में सेम ही दिन हुआ और चौथा उन्हें क्रीमेट किया गया ताइहोकू में और बाद में उनके एस को टोक्यो भेजा गया इस रिपोर्ट में सबसे इंपॉर्टेंट टेस्टिमोनी

(19:14) ली गई थी एक जैपनीज डॉक्टर तोय श सुरूट की जो कि नामन हॉस्पिटल में उस दिन काम कर रहे थे वही हॉस्पिटल जहां पर नेताजी को क्रैश के बाद ले जाया गया इस रिपोर्ट में लिखा है कि नेताजी ने डॉक्टर से इंग्लिश में पूछा था कि क्या वो इनके साथ रात भर रहेंगे लेकिन श के 7:00 बजे के करीब वो एक रीलैब्स से सफर करते हैं और डॉक्टर दोबारा से उन्हें कैंपर इंजेक्शन देते हैं लेकिन उसके बावजूद भी उनका देहांत शॉर्टली बात हो जाता है वैसे यहां अगर आप दोस्तों इंडियन हिस्ट्री या वर्ल्ड हिस्ट्री के किस्सों के बारे में डिटेल में जानना चाहते हैं तो कुकू एफएम पर कई सारी ऑडियो

(19:44) बुक्स मौजूद है जैसे कि ये वाली हिरोशिमा और नागासाकी के ऊपर या ये वाली स्टैन के ऊपर इंडियन फ्रीडम फाइटर्स के ऊपर भी कई सारी ऑडियो बुक्स मौजूद है जैसे कि ये वाली महात्मा गांधी जी के ऊपर कुकू एफएम जनरली भी एक बहुत बढ़िया प्लेटफार्म है ऑडियो लर्निंग के लिए क्योंकि ढेर सारी ऑडियो बुक्स यहां पर आपको सुनने को मिलती हैं ऑलमोस्ट हर तरह के टॉपिक पर चाहे आप हिस्ट्री पढ़ना चाहे ज्योग्राफी चाहे पॉलिटिक्स चाहे रिलीजन या फिक्शन ही क्यों ना हो सब कुछ ऑडियो के फॉर्म में आपको मिलेगा अगर आपने कुक एफएम को अभी तक जवाइन नहीं किया है तो नीचे डिस्क्रिप्शन में एक

(20:12) स्पेशल 50 पर ऑफ का कूपन कोड मिलेगा जाकर चेक आउट कर सकते हैं और अब हम टॉपिक पर वापस आते हैं इस रहस्य में दूसरी मेजर इंक्वायरी बिठाई गई साल 1956 में और यह इंडियन गवर्नमेंट की तरफ से पहली इंक्वायरी थी द शाहनवाज कमेटी इस कमेटी को लीड किया जा रहा था शाह नवाज खान के द्वारा वही आईएएनए के ऑफिसर जिन्हें ट्रायल पर रखा गया था रेडफोर्ट में लेकिन दो और नोटेल मेंबर्स थे इस कमेटी में एसएन मात्रा वेस्ट बेंगाल सरकार के एक सिविल सर्वेंट और सुरेश चंद्र बोस नेताजी के बड़े भाई अप्रैल और जुलाई 1956 के बीच में इस कमेटी ने 67 विटनेसेस को इंटरव्यू किया

(20:47) इंडिया जापान थाईलैंड वियतनाम वो लोग जो क्रैश से पहले नेताजी से मिले थे वो लोग जो क्रैश को सर्वाइव कर गए थे टोटल में सात लोग थे जिन्होंने इस प्लेन क्रैश को सरवाइव किया और इस कमेटी ने उनमें से पांच के के साथ जाकर इन पर्सन इंटरव्यू लिया साथ ही साथ एक एडिशनल डॉक्टर डॉक्टर योशीमी जो सर्जन थे उस हॉस्पिटल में जिन्होंने नेताजी को उनके फाइनल आवर्स में ट्रीट किया था उनका भी इंटरव्यू लिया गया इस पूरी इंक्वायरी के बाद एक तीन पेज की ड्राफ्ट रिपोर्ट बनाई जाती है जिसमें तीन मेजर पॉइंट्स होते हैं पहला 18 अगस्त को ताई होक में एक प्लेन क्रैश हुआ था जहां

(21:18) पर नेताजी का देहांत हुआ दूसरा उन्हें वहीं पर क्रीमेट किया गया और तीसरा उनके एस को टोक्यो के रेन कोजी मंदिर में ले जाया गया और वहां पर वो रखे हैं लेकिन अजीब चीज यहां पर यह थी कि इन तीन में से एक इंसान कमेटी के नेताजी के बड़े भाई सुरेश चंद्र बोस उन्होंने फाइनल रिपोर्ट पर साइन करने से मना कर दिया उन्होंने एक नोट लिखा जिसमें उन्होंने शाहनवाज और नेहरू को ब्लेम किया कि क्रुशल एविडेंस को यहां पर विद होल्ड किया जा रहा है उनके अनुसार यह कमेटी जबरदस्ती प्रूफ करना चाह रही थी कि नेताजी का देहांत इस प्लेन क्रैश में हुआ था और 181 पेज की जो फाइनल

(21:50) रिपोर्ट बनाई गई थी उसमें अगर दो से ज्यादा स्टोरीज विटनेसेस की एक दूसरे से मैच नहीं करती तो पूरी टेस्टिमोनी एक विटनेस की फॉल्स कंसीडर की जानी चाहिए इसी बेसिस पर सुरेश चंद्र बोस ने कहा कि कोई क्रैश नहीं हुआ था उनके भाई अभी भी जिंदा हैं और यह कमेटी की रिपोर्ट सही नहीं है फाइनल रिपोर्ट को फिर भी टू थर्ड कंसेंसस के साथ पब्लिश किया जाता है 3 अगस्त 1956 में और इंडियन पार्लियामेंट सितंबर 1956 में इसे एक्सेप्ट करता है लेकिन सुरेश चंद्र बोस की तरफ से कोई अल्टरनेट थ्योरी नहीं दी जाती फरवरी 1966 में इस रिपोर्ट के पब्लिश होने के 10 साल बाद वो कहते हैं

(22:26) कि अगले महीने मार्च में नेताजी दुनिया के सामने पेश होंगे एक बार फिर से लोगों में बात फैलती है कहीं नेताजी सही में तो जिंदा नहीं है लेकिन मार्च का महीना आ जाता है और नेताजी कभी वापस नहीं आते मिड 1960 ये वही समय था जब शौल मरी बाबा की कहानियां पॉपुलर होने लग रही थी इसी की वजह से सरकार सोचती है कि एक और इंक्वायरी होनी चाहिए इस चीज में तो 1970 में एक खोसला कमीशन बिठाया जाता है तीसरी मेजर इंक्वायरी नेताजी की डेथ में ये खोसला कमीशन एक वन मैन कमीशन था यानी सिर्फ एक इंसान इसमें इन्वेस्टिगेट कर रहे थे जी डी खोसला जो कि रिटायर्ड चीफ

(23:02) जस्टिस थे पंजाब हाई कोर्ट के ये अपनी रिपोर्ट सबमिट करते हैं साल 1974 में और इनकी रिपोर्ट में भी वही चीजें कही जाती हैं जो शाहनवाज कमेटी के द्वारा कही गई थी बस एक बड़ा डिफरेंस था इनके द्वारा कंडक्ट की गई इंक्वायरी में और शाहनवाज कमेटी के द्वारा कंडक्ट करी गई इंक्वायरी में जस्टिस खोसला एक्चुअली में ताइवान तक जा पाते हैं क्रैश साइट को देखने के लिए लेकिन क्रैश साइट इन्हें मिलती नहीं क्योंकि वो एयरपोर्ट जहां पर यह क्रैश हुआ था वो 19 70 के बाद से एजिस्ट ही नहीं करता था शाहनवाज कमेटी के मेंबर्स ने भी कोशिश करी थी ताइवान तक जाने की लेकिन उस

(23:34) समय ताइवान के रिलेशंस अच्छे नहीं थे इंडिया के साथ तो पॉसिबल हो नहीं पाया था लेकिन इस खोसला कमीशन से इसके अलावा कुछ और नया नहीं निकल के आता जस्टिस खोसला ने तो 224 से ज्यादा विटनेसेस से बात करी थी चार नेताजी के को पैसेंजर्स जो सरवाइव किए थे इस क्रैश को और पांच आई विटनेसेस जिन्होंने इस क्रैश को होते हुए देखा था इन सबका इंटरव्यू लिया गया इस समय तक कई कंस्पिरेशन थ्योरी ऑलरेडी फैलने लग चुकी थी और जस्टिस खोसला ने अपनी नी रिपोर्ट में तो ये तक लिख दिया कि टू व्हाट एक्सटेंट फैंटेसी एंड परवन ऑफ ट्रुथ कैन प्रोसीड ये कहानियां और कंस्पिरेशन थ्योरी

(24:05) जो फैलाई जा रही हैं इनके पीछे पॉलिटिकल गोल्स हैं या फिर सिंपली ऐसे लोग जो अटेंशन सीक करना चाहते हैं वो देखकर हैरान थे कि किस हद तक झूठी खबरें फैलाई जा सकती हैं इसको लेकर हमारी कहानी का यहां पर दी एंड हो जाता लेकिन जैसा मैंने बताया लेट 1980 में गुमनामी बाबा की कहानियां पॉपुलर होने लगी तो 1999 में जब बीजेपी की नई सरकार बनती है तो वो सरकार डिसाइड करती है कि नहीं एक और इन्वेस्टिगेशन होनी चाहिए इस चीज में सरकार के द्वारा एक रिटायर्ड सुप्रीम कोर्ट के जज मनोज कुमार मुखर्जी को अपॉइंटमेंट गन करने के लिए और कुछ इस तरीके से फॉर्मेशन होती है मुखर्जी कमीशन

(24:40) की इस कमीशन में 100 से ज्यादा फाइलों को इन्वेस्टिगेट किया जाता है जापान जाया जाता है रशिया ताइवान फिर से जाया जाता है गुमनामी बाबा की थ्योरी को लेकर डीएनए टेस्ट करवाया जाता है वही डीएनए टेस्ट जिसकी मैंने वीडियो में पहले बात करी थी लेकिन ये डीएनए टेस्ट फेल साबित होता है मगर इस रिपोर्ट का जो असली मकसद था वो यह कोशिश कोशिश थी कि किसी तरीके से साबित किया जाए कि यह प्लेन क्रैश की थ्योरी गलत है और इस प्लेन क्रैश की थ्योरी को गलत प्रूफ करने के लिए कई क्लेम्म कर्जी रिपोर्ट में पहला यह कहा जाता है कि हबीबुर रहमान ने कहा कि यह

(25:10) प्लेन 12000 फीट से नोज डाइव की और क्रैश किया तो यह सवाल उठाया जाता है कि ऐसे केस में तो किसी का भी सरवाइव होना पॉसिबल ही नहीं होगा यानी यह पूरी थ्योरी झूठी है लेकिन यह 12000 फीट का फिगर कहां से आया किसी को नहीं पता क्योंकि हबीबुर रहमान ने तो कभी ऐसा कहा ही नहीं और जब तक यह मुखर्जी कमीशन बना था अब तक हबीबुर रहमान का नेचुरल कॉसेस से देहांत ऑलरेडी हो चुका था मुखर्जी कमीशन कंक्लूजन करी थी सागौन से लेकिन क्रैश कभी नहीं करी इनका कहना था कि नेताजी अभी भी जिंदा होंगे क्योंकि ना ही कहीं हॉस्पिटल में ना ही किसी क्रेमोरिस मिले हैं उनकी डेथ को लेकर यहां

(25:47) पर यह बात सोचने वाली है कि इस पॉइंट ऑफ टाइम तक ऑलरेडी 55 साल गुजर चुके थे इस प्लेन क्रैश के इंसीडेंट से और यह सब कहने के बाद भी मुखर्जी कमीशन ने अपनी कोई अल्टरनेट थ्योरी प्रेजेंट नहीं करी ये नहीं बताया कि प्लेन क्रैश नहीं हुआ तो क्या हुआ होगा तीसरा इस रिपोर्ट में कहा गया कि जो मंदिर है जापान में जहां पर नेताजी के ऐसेस हैं वो एक्चुअली में नेताजी के एशेज नहीं बल्कि एक जैपनीज सोल्जर के एशेज लेकिन उस मंदिर के चीफ प्रीस्ट ने जब कहा कि डीएनए टेस्ट करवा लो देख लो तो जस्टिस मुखर्जी ने टेस्ट नहीं करवाया एक और झूठा क्लेम इस मुखर्जी कमीशन

(26:17) की रिपोर्ट में उठाया गया था कि नेताजी की डेथ के बारे में कोई अखबार में कुछ छपा क्यों नहीं था जब वो प्लेन क्रैश हुआ तो ये आर्गुमेंट था इस रिपोर्ट का लेकिन एक्चुअली में दो लोकल ताइवान के अखबार थे जहां पर ये खबर जरूर छपी थी ताइवान दीदी शंपा और ताइवान नीची नीची शिंबुन इन दोनों अखबारों में ना सिर्फ प्लेन क्रैश की खबर छपी थी बल्कि नेताजी के डेथ के बारे में भी मेंशन किया गया था ऊपर से हिस्टोरियन लियोनार्ड ए गॉर्डन जो बायोग्राफर रहे हैं बोस के उन्होंने कहा कि इस रिपोर्ट में उनकी जो किताबों का सोर्स मेंशन किया गया है वो गलत तरीके से मेंशन किया गया है

(26:49) किताबों का नाम मिस टाइटल्ड है या मिस लिस्टेड है फाइनली मुखर्जी कमीशन की रिपोर्ट 6 साल बाद निकल कर आती है 8थ नवंबर 2005 को और मई 2006 में जब इस रिपोर्ट को इंडियन पार्लियामेंट में सबमिट किया जाता है तो पार्लियामेंट इस रिपोर्ट को रिजेक्ट कर देता है रिजेक्शन का रीजन ओबवियस था जो चीजें मैंने आपको अभी बताई लेकिन इस समय तक कांग्रेस की यूपीए सरकार पावर में आ चुकी थी जो अवाए थी कंस्पिरेशन की वो कंटिन्यू रहने वाली थी क्योंकि लोगों का कहना था जो इस कंस्पिरेशन थ्योरी को प्रोपेगेटर रहे थे कि देखो अब तो कांग्रेस सरकार आ गई ओबवियसली इस रिपोर्ट

(27:20) को रिजेक्ट ही किया जाएगा लेकिन मुखर्जी कमीशन की रिपोर्ट को अगर आप सच भी मान लो यह कहो कि प्लेन क्रैश की थ्योरी गलत है दूसरी प्रॉब्लम यह आती है कि कोई अल्टरनेट एक्सप्लेनेशन यहां पर दी ही नहीं गई अगर प्लेन क्रैश नहीं हुआ तो क्या हुआ मुखर्जी कमीशन ने कुछ भी नहीं कहा इसके रिगार्डिंग लोगों की अगली उम्मीद थी क्लासिफाइड फाइल्स बहुत सी फाइलें हैं पुरानी जिन्हें इंडियन सरकार के द्वारा क्लासिफाइड रखा गया है जनता के सामने प्रेजेंट नहीं किया गया तो जरूर इन फाइलों में कुछ सच छुपा हो 2016 तक मोदी सरकार पावर में आ चुकी थी तो

(27:51) 34 फाइलों को डी क्लासिफाई किया जाता है सरकार के द्वारा और यह चीज पार्लियामेंट में अनाउंस की जाती है सेकंड मार्च 2016 को यह आखिरी फाइलें थी जो पब्लिक के सामने पेश नहीं की गई थी इससे पिछली सरकारों ने भी बहुत सी फाइलों को डी क्लासिफाई किया था जैसे कि पहली एचडी डेव गोडा की सरकार 1997 में 990 फाइलों को डी क्लासिफाई किया गया उसके बाद मनमोहन सिंह जी की सरकार ने 2012 में करीब 1000 फाइलों को डी क्लासिफाई किया था तीन अलग-अलग समय पर इन फाइलों को क्यों डी क्लासिफाई किया गया इसके पीछे कारण यह है कि गौड़ा की सरकार ने मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस की फाइलों को

(28:25) मोस्टली डी क्लासिफाई किया था मनमोहन सिंह जी की सरकार ने ने मोस्टली होम एंड डिफेंस मिनिस्ट्री की फाइलों को डी क्लासिफाई किया था और 2016 में मोदी जी की सरकार ने पीएमओ मिनिस्ट्री ऑफ एक्सटर्नल अफेयर्स और कैबिनेट सेक्रेटरी की फाइल्स को डी क्लासिफाई किया था ये जो आखिरी डी क्लासिफिकेशन करी गई थी फाइलों की इसमें एक फाइल मौजूद थी इंडियन इंडिपेंडेंस लीग की भी इंडियन इंडिपेंडेंस लीग ने अपनी एक अलग इन्वेस्टिगेशन करी थी नेताजी की डेथ में 1953 में एक रिपोर्ट सबमिट हुई थी इसको लेकर इस रिपोर्ट में एक शॉकिंग चीज जरूर सामने आती है इस रिपोर्ट में यह कहा

(28:57) गया है कि प्लेन क्रैश थ्योरी सच थी लेकिन यह भी कहा गया है कि इस प्लेन क्रैश को करवाया गया था जापनीज सरकार के एक फैक्न के द्वारा वीडियो के शुरू में मैंने बताया था कि कैसे नेताजी बैंगकॉक से सागौन गए थे अपने छह आईएएनए के साथियों के द्वारा लेकिन सागो के प्लेन में उन्हें कहा गया कि सिर्फ दो लोग ही बैठ सकते हैं सिर्फ दो लोगों की ही जगह है इस रिपोर्ट के अनुसार यह एक कैलकुलेटेड प्लान था जैपनीज सरकार में कुछ लोग थे जो इस प्लेन को क्रैश करवाना चाहते थे जिस साल मोदी सरकार ने इन फाइलों को डी क्लासिफाई किया सरकार ने बाकी देशों को भी बोला कि आप भी अपनी-अपनी

(29:30) फाइलें डी क्लासिफाई कर लो जो भी सुभाष चंद्र बोस से रिलेटेड है तो रिस्पांस में ऑस्ट्रिया जर्मनी रशिया यूके और यूएसए इन सारे देशों ने अपनी सभी फाइलें नेताजी से रिलेटेड पब्लिक डोमेन प डाल दी इन सभी ने अपनी फाइलों को डी क्लासिफाई कर दिया लेकिन एक बहुत बड़ा लेकिन है यहां पर जापान इकलौता देश था जिसने सारी सीक्रेट फाइलों को डी क्लासिफाई नहीं किया पांच सीक्रेट फाइलें थी जापान के पास दो को जरूर डी क्लासिफाई कर दिया जिसमें वही चीज लिखी गई थी प्लेन क्रैश हुआ था वही सेम डिस्क्रिप्शंस करी गई थी लेकिन आज के दिन तक तीन ऐसी क्लासिफाइड फाइल्स हैं जापान

(30:04) के पास जिन्हें जापान ने पब्लिक के सामने रिलीज नहीं किया है क्या इसका मतलब यह है कि सही में इस प्लेन क्रैश को कुछ जापानीज लोगों के द्वारा करवाया गया था बिना और सबूत के मैं यहां कुछ कंक्लूजन ड्रॉ नहीं करना चाहूंगा यह चीज हमें तभी पता लग सकती है जब और सबूत मिले इस चीज को लेकर लेकिन इतना जरूर कहूंगा कि चीजें सस्पिशंस तरीके से ये तीन फाइलों को डी क्लासिफाई नहीं किया गया है लेकिन चाहे ये चीज सच हो या ना हो हो एक बात जरूर तय है नेताजी सुभाष चंद्र बोस का दिहान उस दिन उस प्लेन क्रैश में ही हुआ था यह चीज हम फॉर श्योर कह

(30:36) सकते हैं नेताजी के ग्रैंड नेफ्यू चंद्र कुमार बोस जो कि एक बीजेपी मेंबर रहे थे सितंबर 2023 तक उन्होंने कहा कि उनका परिवार रिग्रेट करता है कि सालों तक ये इन कंस्पिरेशन थ्योरी में बिलीव करते रहे यह कड़वा सच है जो हमें एक्सेप्ट करना पड़ेगा यह सच कि नेताजी का देहांत उस एयर क्रैश में ही हुआ था इन्होंने यह भी कहा कि ये जो अफवाहें उठाई जाती हैं कंस्पिरेशन थ थ्योरी फैलाई जाती हैं यह नेताजी के लिए एक इंसल्ट है हमें इन सभी कंस्पिरेशन थ्योरी को रिजेक्ट करना चाहिए और इन लोगों को इग्नोर करना चाहिए जो ऐसी अवाए उठाते हैं हम 100% एक्यूरेसी से नहीं कह सकते कि

(31:08) प्लेन क्रैश आखिर क्यों हुआ था लेकिन हम यह जरूर जानते हैं कि 1945 और 1974 के बीच में 10 अलग-अलग इन्वेस्टिगेशंस हुई थी इसको लेकर ब्रिटिश आर्मी के द्वारा जापान के एलाइड कमांड के द्वारा ब्रिटिश इंडिया सरकार के द्वारा जापान की सरकार के द्वारा ताइवान की सरकार के द्वारा इंडिपेंडेंट इंडिया की सरकार के द्वारा और इसके अलावा कई इंडिविजुअल जर्नलिस्ट ने भी अपनी इन्वेस्टिगेशन करी थी और सभी इन्वेस्टिगेशन एक ही कंक्लूजन पर पहुंचती है वही पॉइंट्स जिन्हें शाहनवाज कमीशन की रिपोर्ट में मेंशन किया गया था यही मानना है नेताजी की इकलौती बेटी अनीता बोस का भी

(31:42) एंड आई थ क्लासिफिकेशन ऑफ फास सर्टेनली आल्सो मेड अवेलेबल द डॉक्यूमेंटेशन चच प्रूव दैट ही डाइड इन फैक्ट ऑन अगस्ट 18 1945 इन एन एयर क्रश कंसीक्वेंस ऑफ एन एयर क्रश इन व्ट इ नाउ यवान अगर नेताजी का खुद का परिवार इन कंस्पिरेशन थ्योरी में विश्वास नहीं करता इन अफवाहों को डिसपे फुल मानता है तो कम से कम हम तो इतना कर ही सकते हैं कि इन अफवाहों को फैलाना बंद कर दे नेताजी की लेगासी को अगर हमें सम्मान देना है तो उनकी वैल्यूज से हमें सीखना चाहिए उनकी कहानी से हमें इंस्पिरेशन लेनी चाहिए ना कि यह कंस्पिरेशन फैला चाहिए वीडियो इंफॉर्मेशन

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