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Indian Navy आधे घंटे लेट होती तो लक्षद्वीप हाथ से निकल जाता|Lakshadweep| Aasan Bhasha Mein

समंदर में स्नौ कलिंग कल लौटे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीरें आपने सोशल मीडिया पर देखी होंगी पीएम मोदी लक्षद्वीप की यात्रा पर थे लक्षद्वीप के बारे में बचपन से हम सुनते आए हैं एक द्वीप है छोटा सा लेकिन इसकी कहानी बहुत लंबी है भारत जब 1947 में आजाद हुआ लक्षद्वीप किसका हिस्सा होगा यह पक्का नहीं था जिन्ना भी पूरे फिराक में थे हड़पने की फिर लक्षद्वीप भारत का हिस्सा कैसे बना आज आपको बताएंगे लक्षद्वीप की पूरी कहानी लक्षद्वीप का इतिहास क्या है लक्षद्वीप भारत का हिस्सा कैसे बना और भारत के लिए लक्षद्वीप का महत्व क्या है

If Indian Navy Was an Hour Late, Lakshadweep Would Slip Away | A Deep Dive in Simple Language

(00:34) नमस्कार मेरा नाम दिव्यांशी सुराव है आप देख रहे हैं हमारा खास प्रोग्राम आसान भाषा में जहां आज कहानी लक्षद्वीप की शुरुआत करते हैं ज्योग्राफी से भारत के दक्षिण पश्चिमी तट से 200 से 440 किलोमीटर दूर अरब सागर में द्वीपों का एक समूह है न्ही लक्षद्वीप कहा जाता है हालांकि इनका हमेशा से यह नाम नहीं था पहले इन्हें लक्का दी मिनी कोय अमीनी दवी इन तीन द्वीपों के नाम से जाना जाता था लक्षद्वीप शब्द आया है संस्कृत के शब्द लख द्वीप से जिसका मतलब होता है हजार टापू हालांकि वर्तमान में 35 टापू है पहले इनकी संख्या थी 36 फिर समंदर में एक टापू डूब गया

(01:13) लक्षद्वीप एक केंद्र शासित प्रदेश है जिसकी राजधानी का नाम है कवार की ज्योग्राफी के बाद नंबर आता है हिस्ट्री का लक्षद्वीप आईलेंस का सबसे पुराना जिक्र ग्रीक टेक्स्ट पेरी पलस ऑफ एथेरियस सी में मिलता है जिक्र ये भी मिलता है कि पांचवीं सदी आते-आते बौद्ध धर्म लक्षद्वीप पहुंच क्या था बौद्ध जातक कथाओं में भी लक्षद्वीप का जिक्र मिलता है माना जाता है कि बौद्ध भिक्षु संगमित्र यहां आए थे इसके अलावा संगम काल में चेरा साम्राज्य ने इन आइलैंड्स पर राज किया चेरा साम्राज्य की राजा चेरमन पेरूमाल के समय यहां कुछ बसाहट शुरू हुई थी बाद में यहां इस्लाम धर्म का

(01:47) आगमन हुआ इस्लाम धर्म की शुरुआत के करीब तीन दशक बाद माना जाता है कि उबैदुल्लाह नाम के एक संत इस्लाम को लक्षद्वीप लेकर आए उबैदुल्ला मदीना में पैदा हुए थे और इस्लाम के पहले खलीफा अबू बकर के रिश्तेदार थे इन्हीं उबैदुल्लाह के एक बेटे हुए अबू बकर इब्न उबैदुल्लाह उनकी लिखी एक किताब फतल जजर में लक्षद्वीप में इस्लाम के आगमन का जिक्र है लक्षद्वीप में एंड्रो नाम की जगह पर उबैदुल्ला की कब्र आज भी है बहरहाल आगे बढ़ें तो 11वीं सदी में लक्षद्वीप पर चोल साम्राज्य का शासन हो गया और वे इसे अपने समुद्री पोट के तौर पर इस्तेमाल करने लगे 1498 में

(02:23) वास्कोडिगामा भारत आया साथ-साथ पुर्तगाली भी आए पुर्तगालियों ने गोवा दमन द्वीप पर कब्जा किया और साथ ही लक्षद्वीप अपनी कॉलोनी का हिस्सा बना लिया लक्षद्वीप के अगाती और मिनिकॉय टापुओं पर पुर्तगालियों ने कुछ किले और चर्च बनाए स्थानीय मुस्लिम आबादी ने पुर्तगालियों का विरोध किया जिसके चलते 1540 तक पुर्तगालियों को लक्षद्वीप छोड़ना पड़ा लक्षद्वीप के इतिहास में अगला बड़ा चैप्टर आता है 1777 में जब लक्षद्वीप मैसूर के टीपू सुल्तान के अधीन आ गया लेकिन फिर जब तीसरे एंग्लो मैसूर युद्ध में टीपू की हार हुई और लक्षद्वीप का प्रशासन ब्रिटिशर्स

(02:54) के हाथ चला गया अंग्रेजों ने लक्षद्वीप के कुछ द्वीप केरल के अरकर सुल्तान को लीस पर दे दिए बदले में अंग्रेजों को यहां से टैक्स मिलता था आगे चलकर जब सुल्तान टैक्स नहीं चुका पाए तो उन्होंने लक्षी वापस ले लिया और उसे मद्रास प्रेसिडेंसी से जोड़कर मालाबार का हिस्सा बना लिया और वहीं से अंग्रेज इसका प्रशासन संभालने लगे यहां से हम पहुंचते हैं सीधे 1947 पर अंग्रेजों की भारत से रुखसती हो रही थी वो एक बिखरे हुए भारत को छोड़कर जा रहे थे जिसे करने का दारोमदार सरदार पटेल के कंधों पर था 15 अगस्त 1947 को अंग्रेज भारत से चले गए

(03:26) बंटवारे में लक्षद्वीप का सवाल ही नहीं था क्योंकि ये पहले से ही म प्रेसिडेंसी का हिस्सा था लेकिन फिर हुआ यूं कि जिन्ना की नजर लक्षद्वीप पर अटक गई आप पूछेंगे क्यों मामला सिर्फ जमीन का नहीं था मध्यकाल से ही लक्षद्वीप हिंद महासागर के ट्रेड रूट का एक अहम पड़ाव बन चुका था यहां से हिंद महासागर और अरब सागर दोनों पर नजर रखी जा सकती थी इसलिए मिलिट्री और बिजनेस दोनों के हिसाब से बड़ा महत्व रखता था इसके अलावा लक्षद्वीप की अधिकतर आबादी मुस्लिम थी इस नाते मोहम्मद अली जिन्ना को लगता था कि उनका हक पहले है बहरहाल यह देखिए कि 15

(03:57) अगस्त के बाद क्या हुआ कुछ ही रोज बाद पाकिस्तान ने कब्जे के राधे से अरेबियन सागर में एक ब्रिगेट लक्षद्वीप के लिए रवाना कर दिया दूसरी तरफ भारत के सामने 550 से ज्यादा रियासतों का सवाल था लक्षद्वीप व्यता में नीचे आता था लेकिन सरदार पटेल चौकन ने थे पाकिस्तान से पहले ही उन्होंने सेना को लक्षद्वीप का टारगेट दे दिया था पाकिस्तानी फिकेट जब लक्षद्वीप पहुंची तो देखा कि वहां पहले से तिरंगा लहरा रहा है कई जगह तो यह भी जिक्र मिलता है कि पाकिस्तान को पहुंचने में महज आधे घंटे की देरी ना हुई होती तो लक्षद्वीप उनका होता अब देखिए लक्षद्वीप केंद्र

(04:26) शासित प्रदेश कैसे बना साल 1956 में केंद्र सरकार ने राज्यों का पुनर्गठन किया जिसके तहत 14 राज्य और छह केंद्र शासित प्रदेश बने इन केंद्र शासित प्रदेशों में एक लक्षद्वीप भी था हालांकि तब इसका नाम लक्षद्वीप नहीं था तीन इकाइयां थी लक्का दीव मिनी कोय और अमीनी देवी लक्षद्वीप को इसका नाम मिला 1973 में सही सही बताएं तो 1 नवंबर 1973 इससे कुछ साल पहले यानी 1964 में कवारत्ती को लक्षद्वीप का हेड क्वार्टर घोषित कर दिया गया था जो एक हिसाब से उसकी राजधानी हुई और तब से प्रशासन का काम यहीं से होता है अब सारी कहानी जानने के बाद चलिए ये भी जान लेते

(04:59) हैं कि लक्षद्वीप भारत के लिए क्या महत्व रखता है य लक्षद्वीप महज 32 स्क्वा किमी में फैला है लेकिन इसके कारण भारत को समंदर के 20000 स्क्वा किमी तक एक्सेस मिल जाता है दरअसल 1982 में यूनाइटेड नेशंस लॉ ऑफ सी कन्वेंशंस के नियमों के मुताबिक किसी देश के तट से 12 नॉटिकल माइल्स यानी 22 किमी तक के एरिया पर उसी देश का अधिकार होगा जिसके चलते लक्षद्वीप भारत के लिए काफी महत्त्वपूर्ण हो जा इसके अलावा लक्षद्वीप आईलेंस के पास है 9 डिग्री चैनल यानी एक समुद्री रास्ता जो फारस की खाड़ी और पूर्वी एशिया को जोड़ने वाला सबसे सीधा रूट है लक्षद्वीप की मालदीव श्रीलंका जैसे

(05:36) देशों से निकटता के चलते इंटरनेशनल रिलेशंस के लिहाज से भी काफी महत्त्वपूर्ण हो जाता है अब सबसे जरूरी बात लक्षद्वीप के कवार की में भारतीय नौसेना का बेस आईएनएस द्वीप रक्षक है इस नेवल बेस को 30 अप्रैल 2012 को कमिशन किया गया था हालांकि 1980 से ही इंडियन नेवी के इंस्टॉलेशन यहां मौजूद है लेकिन यह नेवल बेस पर्शियन गर्ल और ईस्ट एशिया के ट्रेड रूट पर है इसी रूट पर सोमल आई पाय का भी खतरा रहता है यानी सामरिक दृष्टि से इसका महत्व कितना है आप समझ गए होंगे आखिर में बात बिजनेस की करें तो य मिनरल्स और मछलियों का भंडार है इसलिए आर्थिक दृष्टि से भारत

(06:09) के लिए काफी मायने रखता है भारत की महत्वाकांक्षा इसे मालदीव जैसा टूरिस्ट डेस्टिनेशन बनाने की है जिसकी बात पीएम मोदी ने भी की आपकी लक्षद्वीप को लेकर जानकारी में इजाफा हुआ होगा इसी के साथ यह एपिसोड खत्म होता है यह तमाम जानकारी आपके लिए इकट्ठा की है हमारे साथी मानस ने देखते रहिए द ललन टॉ बहुत-बहुत शुक्रिया

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