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First Look Of Ayodhya Ram Mandir From Inside | राम मंदिर के प्रथम दर्शन | Ram Mandir Pran Pratishtha

दीप घर घर जले हैं अवध में प्यार आज लौटे अयोध्या में रघुवर सिया 14 बरस का बनवास पूरा करके जब भगवान राम अयोध्या लौटे थे तो वहां की प्रजा ने घी के दीपक जलाकर स्वागत किया और अब तो 500 बरस बाद भगवान का बनवास खत्म हो रहा है अवध में राम आ रहे हैं नमस्कार मैं हूं रोहित सिंह सावल ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी मंदिर का इंतजार पूरा देश बर्सों से कर रहा था और इस ऐतिहासिक अवसर पर हम खड़े हैं उसी राम मंदिर के परिसर में जो 23 जनवरी से आप

Exclusive First Look Inside Ayodhya Ram Mandir | Witness the Pran Pratishtha of Ram Mandir

(01:13) सभी के लिए खुल रहा है लेकिन उससे पहले हमारे साथ कीजिए राम मंदिर के दिव्य दर्शन कैसा बना है अयोध्या का भव्य राम मंदिर राम मंदिर में कहां और कितनी दूर से होंगे राम लला के दर्शन आपके मन में ढेरों सवाल होंगे एबीपी न्यूज ने ना सिर्फ मंदिर का जर्रा जर्रा बनते देखा है बल्कि आपके लिए वह सारी जानकारियां जुटाई है जिससे ना सिर्फ आप घर बैठे राम लला के दर्शन कर पाएंगे बल्कि जब भी आप राम मंदिर आएंगे तो हर कदम की पूरी जानकारी आपके पास होगी एबीपी न्यूज की एक्सपर्ट टीम ने मंदिर का ऐसा मॉडल तैयार किया है जो हूबहू मंदिर

(02:08) जैसा  है यह मंदिर का सिंह द्वार है जहां से आप रामलला विराजमान के दर्शन के लिए मंदिर में प्रवेश करेंगे यह अद्भुत संयोग है कि मंदिर का यह सिंघ द्वार और गर्भगृह है वही बना है जहां कभी राजा विक्रमादित्य के बनाए मंदिर का था खुदाई के दौरान जो साक्ष्य मिले थे उसके आधार पर यह कहा जा रहा है कि सामने के परकोटे से यानी पूर्वी द्वार से एंट्री के बाद आपको यह 32 सीढ़ियां मिलेंगी जो मंदिर के बरामदे या चबूतरे तक ले जाएंगी इन सीढ़ियों के दोनों तरफ मूर्तियां लगी हुई हैं सबसे पहले आपको दोनों तरफ गजराज दिखेंगे फिर दोनों तरफ सिंह की मूर्ति लगी हुई है

(03:03) और उसके बाद सीढ़ियों के आखिरी हिस्से में बाई तरफ गरुड़ भगवान और सामने भगवान हनुमान जी की मूर्ति लगी हुई है कहा जाता है कि गरुड़ और हनुमान जी के आदेश पर ही आप भगवान राम के दर्शन कर  पाएंगे यह अद्भुत संयोग है कि मंदिर का यह सिंघ द्वार और गर्भगृह वही बना है जहां कभी विक्रमादित्य के बनाए मंदिर का था सिर्फ यह मूर्तियां ही नहीं पूरा मंदिर राजस्थान के भरतपुर में वंशी पहाड़पुर के सैंड स्टोन से तैयार किया गया है इन पर नक्काशी चमकती भी है और सॉफ्टनेस के कारण जल्दी भी होती है इसी खासियत की वजह से पूरे देश में इस पत्थर को चुना

(04:06) गया अब सीढ़ियां चढ़कर हम उस बरामदे तक पहुंच चुके हैं जहां सामने सोने का दरवाजा है और उसके आगे है रामलला की मूर्ति शास्त्रों के हिसाब से मंदिर जब बनता है तो निर्माण ऐसा होता है कि सामने से सीधे भक्त को भगवान के दर्शन हो यहां भी आप इस मुख्य द्वार से ही सीधे राम लला के दर्शन कर पाएंगे आपको इसके वास्तुकला के बारे में भी बता देते   हैं भारत में मंदिर डिजाइन करने की 16 शैलियां है उत्तर भारत में नागर शैली दक्षिण भारत में द्रविड़ और मध्य पूर्व भारत में पगोड़ा शैली उत्तर भारत के प्राचीन मंदिरों की तरह राम मंदिर को भी

(05:07) नागर शैली में बनाया गया है इस शैली में संपूर्ण मंदिर एक विशाल चबूतरे यानी वेदी पर बनाया जाता है जैसा आपको सामने दिख भी रहा है और उस तक पहुंचने के लिए सीढ़ियां होती हैं सोमनाथ मंदिर से लेकर पुरी के जगन्नाथ मंदिर और कोणार्क के सूर्य मंदिर इसी शैली में बने  मंदिर में प्रवेश से पहले सोने से मड़े इस दरवाजे की कहानी आपको बताते हैं महाराष्ट्र के चंद्रपुर से आई सागौन की लकड़ी से यह दरवाजा बना है पहले दरवाजे पर नक्काशी की गई और फिर कॉपर प्लेट चढ़ाकर मोल्डिंग तैयार की गई फिर इन दरवाजों को दिल्ली भेजकर वहां इन पर सोना मढ़ा गया है

(06:02) इन दरवाजों पर हाथी कमल दल झरोखे जैसे डिजाइन और ज्यादा इनको भव्य बनाते हैं हिंदू धर्म में शुभ के जो भी प्रतीक होते हैं उन चिन्हों को दरवाजों पर उकेरा गया है प्रवेश द्वार पर लगा दरवाजा यह दरवाजा 14 फुट ऊंचाई का है और ऐसे कुल 14 दरवाजे पूरे मंदिर में लगे हैं चलिए अब मंदिर में प्रवेश कर मंदिर में प्रवेश करने के बाद आप सबसे पहले नृत्य मंडप में पहुंचेंगे नागर शैली में बने मंदिरों में मंडप बनाने की प्रथा होती है एक से ज्यादा मंडप गर्भगृह और प्रवेश द्वार के बीच स्थित होते हैं मंडप में दीवारों पर देवी देवताओं की मूर्तियां

(06:56) बनी होती हैं नृत्य मंडप में शिव तांडव से जुड़ी मूर्तियों को भी उकेरा गया आप देख सकते हैं यह भव्य नृत्य मंडप है खंभे पर बनाई गई इन मूर्तियों में से एक को बनाने में 12 से 15 दिन का वक्त लगा एक खंभे पर ऐसी 16 मूर्तियां बनाई गई है आप हर मंडप को उनकी खंभों पर बनी मूर्तियों के हिसाब से भी पहचान  पाएंगे इन खंभों में कोई भी जॉइंट नहीं है इन खंभों पर आइ क्रोनोग्राफ यानी पत्थरों पर मूर्तियां उकेरना फ्लोर पर पर है प्राण प्रतिष्ठा के

(08:01) समय तक 70 खंभों पर नक्काशी का काम पूरा हो चुका है जहां से श्रद्धालू गुजरेंगे उन सभी खंभों पर नक्काशी पूरी की जा चुकी  है राजस्थान से आए कारीगरों ने इन पिलर्स को खड़ा किया है दो पत्थरों के बीच कॉपर के क्लिप्स लगे हैं पत्थरों को ऐसे रखा गया है कि उनके बीच जगह नहीं है बाकायदा सीबीआरआई यानी सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टिट्यूट रुड़की ने इसकी गुणवत्ता की जांच की है और उनकी रिकमेंडेशन को आधार बनाकर इस तरह से पूरा स्ट्रक्चर तैयार हुआ ] है नृत्य मंडप से आगे बढ़ते हैं तो रंग मंडप आता है यह भगवान गणेश की मूर्तियां
(09:01) यहां पर दीवारों पर उकेरी गई है एक खंबे को बनाने के लिए एक ही टीम लगती है जिनका काम मूर्तियों का आउट लेयर बनाना श्रृंगार करना और फिर फिनिशिंग टच देना होता है अब हम आ चुके हैं सभा मंडप यानी गूढ़ मंडप में यह सबसे बड़ा और ऊंचा मंडप है जिसके बाद सीधे गर्भ गृह के दर्शन होंगे भक्तों को यहीं से अपने आराध्य श्री राम के दर्शन करने होंगे यहां पर खंभों में भगवान विष्णु से जुड़ी मूर्तियां उकेरी गई हैं यही सामने लगा है सोने का मढ़ा यह  दरवाजा मंडप होते हुए हम आ गए हैं मंदिर के गर्भगृह में यहीं पर रामलला विराजमान

(10:04) होंगे अभी हमने एआई तकनीक के जरिए प्रभु श्री राम की प्रतीकात्मक मूर्ति लगाई है जिसे आप देख सकते हैं इस वर्चुअल गर्भगृह में जो मूल मंदिर के गर्भ गृह की हूबहू है इसी तरह से रामलला को सोने के सिंहासन पर विराजमान किया जाएगा मूर्ति ऐसी ही 51 इंच की होगी बाल सुलभ इस मूर्ति में भगवान की आ और चरण सम चरण जिसको कहते हैं उसके दर्शन होंगे उनके साथ ही रामलला टेंट से अस्थाई मंदिर में जिनको शिफ्ट किया गया है वह रामलला भी रहेंगे जब भक्त यहां तक पहुंचेंगे तो गर्भ गृह में रखी मूर्ति से उनकी दूरी 25 से 30 फीट की होगी तो भक्त भगवान की आंखों को देख सके और उन्हें सर

(10:53) से पैर तक निहार सके इसीलिए यह तय हुआ कि खड़ी मूर्ति बनाई जाएगी और इसी खड़ी मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को होने वाली है अब आप सोच रहे होंगे जब नई मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की जा रही है तो फिर दो मूर्तियों की मंदिर में एक साथ पूजा क्यों होगी तो आपको बता दें कि मंदिर ट्रस्ट का यह मानना है कि अस्थाई मंदिर में जो विराजमान रामलला की मूर्ति के साथ दुनिया के करोड़ों भक्तों की भावनाएं जुड़ी और देश दुनिया के कोने-कोने से भक्त अपने आराध्य राम लला की मूर्ति के दर्शन करने आते हैं ऐसी मान्यता है कि राम लला कीय मूर्ति प्रकट हुई थी इसलिए इनकी पूजा भी

(11:42) साथ-साथ चलती रहे क्योंकि ये गर्भ गृह होगा इसलिए यहां आसपास कोई खिड़की नहीं होगी इसलिए जो मंदिर आपको बाहर से खुला खुला दिख रहा था व अंदर में बिल्कुल चारों तरफ से बंद होगा आठ दिशाएं अष्ट भुजाएं और विष्णु के आठ स्वरूपों को ध्यान में रखकर गर्भगृह अष्टकोण में बनाया है इसी के एक तरफ प्रार्थना मंडप और दूसरी तरफ कीर्तन मंडप होगा जब मंदिर पूरी तरह से तैयार हो जाएगा तो यहां कीर्तन मंडप में कीर्तन और रामधुन लगातार होती रहेगी अब इस गर्भ गृह से जुड़ी एक और खास बात आपको बताते हैं राम नवमी के दिन सूर्य करेंगे राम लला का अभिषेक ऐसा खास इंतजाम किया गया है कि राम

(12:37) नवमी के पावन मौके पर दोपहर 12 बजे सूर्य की किरणें शिखर से आकर राम लला के ललाट पर पड़ेंगी ताकि राम जन्म का लम्हा भक्तों के मन मस्तिष्क में यादगार रहे अब आप सोच रहे होंगे कि ऐसा कैसे मुमकिन होगा दरअसल यह मुमकिन हो पा रहा है तकनीक की वजह से जब इस जगह पर राम नवमी के दिन सूर्य के चाल की गणना की गई तो पता लगा कि सूर्य की किरणें उत्तरी दिशा से पड़ेंगी तो फिर उसे ललाट तक कैसे लाया जाए अब बेंगलुरु में ऐसा कंप्यूटराइज सिस्टम डेवलप हो रहा है कि सुराख के जरिए सूर्य की किरण गर्भ गृह में आएंगी और राम नवमी को दोपहर 12:00 बजे

(13:21) राम लला के ललाट पर गिरें अगले 20 सालों तक सूरज की मूवमेंट क्या होगी उसके हिसाब से प्रोग्राम बनाया गया [संगीत] है यह मंदिर का दक्षिण द्वार है गर्भ गृह में दर्शन के बाद भक्त दक्षिण द्वार से नीचे उतरेंगे इन्हीं सीढ़ियों के जरिए यहां से भक्त सीधे परकोटे में पूर्वी गेट से प्रवेश करेंगे जो जगह मैंने आपको शुरुआत में दिखाई थी वहीं से भक्त परकोटे में परिक्रमा करेंगे और उसी गेट से बा हर निकल जाए यह मंदिर का उत्तरी द्वार है यहां से वीआईपी एंट्री का प्रावधान है यह पूरा एरिया 2.

(14:13) 7 एकड़ का है जिसमें 57000 स्क्वायर फीट में मंदिर बना है अब आपको अन्नपूर्णा मंदिर के बारे में बताते हैं पुराणों में जिस सीता रसोई का जिक्र है लोगों की भावनाएं थी कि सीता रसोई को भी जोड़ा जाए तो मंदिर ट्रस्ट ने तय किया कि यहां पर एक अन्नपूर्णा का मंदिर होगा जो कि शक्ति का मंदिर माना जाएगा और यहीं से भगवान के प्रसाद की व्यवस्था होगी जो प्रसाद बनेगा वही भगवान को भोग लगाया [संगीत] जाएगा यह मंदिर का परकोटा है यानी बाहरी दीवान यह परकोटा बाहर से तो बंद है लेकिन अंदर की तरफ खुला है जिससे भक्त परिक्रमा करते हुए लगातार मंदिर के प्रति अपनी आस्था निष्ठा रख सकेंगे इसके बाहर में

(15:06) दीवार होगी जबकि भीतर 100 से ज्यादा म्यूरल बनाए जाएंगे उसके बाद मंदिर के भीतर घुसने का केवल यही दरवाजा होगा पूर्वी द्वार कहीं और से कोई मंदिर में प्रवेश नहीं कर [संगीत] पाएगा आगे बढ़ने से पहले हम आपको बता दें कि इस पूरे मंदिर में कहीं भी लोहे का इस्तेमाल नहीं किया गया है क्योंकि लोहे की आयु होती है 90 से 100 साल अब चूंकि मंदिर कम से कम हज साल के लिए बनना था तो लोहे को किया गया ना और पूरा मंदिर पत्थर से तैयार हुआ और यह जो पिलर आप देख रहे हैं उनमें सिर्फ कॉपर की क्लिप के इस्तेमाल किया गया है वो भी भी दो पत्थरों को जोड़ने के लिए

(16:01) उनमें भी कहीं लोहा स्टील नहीं लगा है अब इस ऐतिहासिक मंदिर की नीव के बारे में भी आपको बता दें जब यहां की मिट्टी की जांच हुई तो पाया गया कि सैकड़ों साल पहले सरयू नदी यहीं से गुजरती थी इसलिए नीव के लिहाज से यहां की मिट्टी इतनी मजबूत नहीं है कि हजार साल के लिए मंदिर को मजबूती दे पाए तो तय हुआ कि यहां ऐसी मिट्टी लाई जाए जिस पर मंदिर मजबूत बने तो हुआ ये कि ढाई एकड़ जमीन की मिट्टी को बाहर निकाला गया और टेक्नोलॉजी के जरिए मिट्टी में सीमेंट और केमिकल मिलाकर ऐसा मिक्सचर तैयार किया गया जिसमें पत्थर जैसी गुणवत्ता हो जाए पहले

(16:54) 15 मीटर की खुदाई हुई और फिर उसमें 47 लेयर मिट्टी के डाले गए जिस पर यह भव्य मंदिर बनकर तैयार हुआ है इस मंदिर में कोई बेसमेंट नहीं है गेट से एंट्री करते ही सबसे पहले बैगेज हैंडलिंग यूनिट मिलेगी यहां श्रद्धालुओं के सामान रखने की सुविधा होगी इसी से थोड़ा आगे यात्री सुविधा केंद्र है जिस पर 16 काउंटर रहेंगे जहां भक्तों को सामान रखने के लिए फ्री लॉकर मिलेंगे इसके बाद बाहर निकलकर दूसरे गेट पर श्रद्धालुओं की सिक्योरिटी चेकिंग होगी सुरक्षा जांच के बाद कॉरिडोर से होते हुए पूर्व दिशा से मंदिर की ओर जा सकेंगे करीब 3500 मजदूरों की मेहनत का यह नतीजा है कि

(17:56) 40 महीने में मंदिर का पहला फेज पूरा हो गया है प्रथम तल पर राम दरबार सजना है देश दुनिया के श्रद्धालुओं की उम्मीद का यह मंदिर अब आपके स्वागत के लिए तैयार है हमने आपको राम मंदिर के वर्चुअल दर्शन करवाए हम यह दावे के साथ कह सकते हैं कि जब आप मंदिर दर्शन करने के लिए आएंगे तो इससे कहीं ज्यादा सुखद अनुभूति आपको होगी

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