Generic selectors
Exact matches only
Search in title
Search in content
Post Type Selectors

Ayodhya में Babri मस्जिद तोड़ने का एक-एक मिनट का प्लान ऐसे बना? Ram Mandir | Yogi | Narendra Modi

लगभग डेढ़ या पौने दो साल लगे एक फार्म बनाया था उस पर लिखा था क्या आप राम लला का राम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर बनाना चाहते हैं हम लोग गांव ग्राव में जाते थे शहर के लोगों को नहीं जोड़ना था इसमें क्योंकि शहर के लोग यह काम नहीं कर सकते थे मैंने पूछा कि गुरुदेव हम लोगों ने ये काम तो कर दिया लेकिन ढांचा तोड़ने के लिए वो चाहिए सब बल चाहिए हथोड़े घन चाहिए सब मिल जाएगा चिंता मत करो किसी काम की जो जरूरत पड़ती थी तो हाथ पीछे ले जाते ले 00 उसको रख लो वो सब करेंसी नोट ही होते थे वहां सब रात में ताकतवर लोगों को हथौड़ा और कुछ कम वालों को गती कुछ कम वालों को

Decoding the Minute-by-Minute Plan to Demolish Babri Masjid in Ayodhya | Ram Mandir | Yogi | Narendra Modi

(00:40) सब्बल मेरा काम ढांचे को तोड़ना थाने तोड़ लि तोड़ लिया 17 टीम बनी थी 5050 मीटर का घेरा बनाए घेरा बनाएंगे जब रामलला बाहर हो गए तो फिर क्या कहना था जोस से और भर गए हम लोग वो कैमरे टूट गए बहुत कुछ हुआ और फिर अंदर हम लोगों ने अपना काम शुरू कर दिया या रस्सा फेंका  गया इस समय अयोध्या में हैं हम लोग मैं और मेरे साथी जीत हम लोग घूम-घूम के अलग-अलग किस्म की खबरें और कहानियां इकट्ठी कर रहे हैं इस क्रम में हम लोग आए हैं संतोष दुबे जी से मिलने संतोष दुबे जी का परिचय अगर संक्षिप्त में देना हो तो वो यह होगा कि वो शिवसेना के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं

(01:29) उत्तर प्रदेश में लेकिन उनका एक दीर्घकालिक परिचय इस पूरे आंदोलन और इस नए निर्माण से भी है जिसको हम राम मंदिर के नाम से जानते हैं जहां 22 जनवरी के दिन प्राण प्रतिष्ठा होनी है संतोष दुबे उन कुछ लोगों में से एक हैं जिन्होंने 6 दिसंबर 1992 को ही नहीं उसके पहले भी अयोध्या में कार सेवा की थी और बकौल संतोष बकौल संतोष जी वो कुछ उन लोगों में से भी हैं जो उस निर्णायक भीड़ में शामिल थे जो बाबरी मस्जिद के गुंबद पे चढ़ी थी बाबरी मस्जिद के आसपास एक्टिव हुई थी तो कार सेवा करने वाले संतोष दुबे इस मामले के उस मामले के प्रमुख आरोपी भी हैं जिसमें

(02:10) आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी और तमाम नेताओं समेत बहुत सारे लोगों पे एक क्रिमिनल कंस्पिरेशन का केस चला था बाद में उन्हें इस केस से बरी कर दिया गया साल दो साल तीन साल पहले की बात है अब बाबरी मस्जिद विध्वंस एक एक घटना हुई जो 1992 में हुई उसके बाद अब राम मंदिर है लेकिन राम मंदिर आने के पहले इस देश ने बहुत सारे सोशो पॉलिटिकल चेंजेज देखे तो अब हम यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि बाबरी मस्जिद विद्वंस में शामिल लोग उस पूरे एपिसोड को किस दृष्टि से देखते हैं उसमें किन किन किस किसकिस किस्म की तैयारियां शामिल थी कितने लेवल की और

(02:49) किसकिस लेवल पर जाकर मीटिंग्स हुई थी कि 6 दिसंबर 1992 की घटना को अंजाम दिया गया अखबारों में क्या छपा उनके पर्सनल एक्सपीरियंस क्या थे और व किन-किन चीजों से से होकर आज यहां पर आए हैं और राम मंदिर उसके तमाम सेटअप और उससे जुड़े तमाम पहलुओं के बारे में वो क्या सोचते हैं बात करने के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया कैसे हैं ठीक है बहुत बढ़िया पहले हम कार सेवा के बारे में बात करें कि बाद मंदिर के बारे में बात करें पहले बिना कार सेवा के तो मंदिर आया नहीं है पहले पहले तो कार सेवा ही आई है ठीक मैंने कोई जानकारी गलत तो नहीं दी है

(03:26) कैमरे पे ना पहले मैं तस्दीक करना चाह रहा हूं आप केस के आरोपी तो रहे हां बिल्कुल बिल्कुल बिल्कुल थे मुझे गर्व है उस आरोपी होने पर कोई दुख नहीं है ठीक मुझे अच्छा लगेगा अच्छा जी शिवसेना से जुड़ा हो के बारे में बताइए आप कब से हैं क्या कब से रहे हैं पार्टीसी से जुड़ा हूं शिवसेना से हां और हमारे लोगों के मन में मैं 84 में जब परमहंस जी ने शपथ दिलाई थी मंदिर वही बनाएंगे आगे बढ़ो प्रेम से बोलो जन्मभूमि का ताला खोलो तो हम लोगों ने भी संकल्प लिया था उन्हीं के साथ तो उस संकल्प को शक्ति प्रदान करने का अवसर आया 86 में उमेश चंद पांडे जी मेरे बड़े भाई हैं

(04:05) मौसेरे भाई हैं उन्होंने ताला खुला ता जिन्होने अर्जी लगाई थी अर्जी लगाई थी और ताला खुल गया दूसरे दिन 1 फरवरी 86 को उन्होंने मुझको लड्डू खिलाते हुए कहा कि खा तो रहे हो और इसकी कीमत महंगी है तो उन्होंने कहा कि एक भाई ने ताला खुलवाया दूसरे भाई का धर्म है कि राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ करें और रास्ता साफ करने का मतलब था ढांचे को ढाना तो मैंने कहा मेरा संकल्प पहले से था और आज आपने मजबूत कर दिया है जिसको मैं बाबरी मस्जिद कह रहा हूं उसको आप ढांचा कह रहे हैं हा ढांचा ढांचा जी जी तो उसमें हम लोग लग गए कुछ लोगों को इकट्ठा किया फिर संघ

(04:42) परिवार में शामिल संघ की शाखाओं में भी जाने लगा हिंदू जागरण मंच में भी रहा मैं लेकिन मेरे मन का वहां कुछ हो नहीं रहा था कुछ चल नहीं रहा था मुझे लगा इससे हम लोग इस काम को सफलता पूर्वक अंजाम नहीं दे सकते हैं ये दो साल तक चला फिर 888 में शिवसेना जवाइन की की और फिर शिवसेना के चूंकि वो हमारी मानसिकता के लोग थे तो मैं बाला साहब से मिलने गया मिले भी उनसे क्या बोले वो उन्होंने कहा कि बहुत अच्छा ये लगा कि मेरी पूरी बात उन्होंने सुनी और उसके बाद उन्होंने कहा कि मनोहर जोशी जी बैठे थे उनसे कहा यह आदमी कुछ करेगा लका इसके पास शरीर में तो कुछ नहीं लेकिन

(05:25) जिगरे में बहुत कुछ इसके छिपा हुआ है अच्छा मेरी आंखें मनोहर धोखा नहीं खाती हैं और मैं विश्वास के साथ कहता हूं लड़का कुछ करेगा तो वहां उन्हीं के यहां वो उस समय राजकुमार जो फिल्म इंडस्ट्री के बड़े अदाकार थे व भी बैठे थे तो उन्होंने भी मुझे बड़ा बकप किया वाह जानी राजकुमार एक्टर वोर जी उन्होंने भी कहा जानी तुम तो कालजई हो खूब तारीफ की मैं पैर छूने लगा निकलते समय सबने मना कर दिया नहीं नहीं अयोध्या से आया हो तुम्हारा संकल्प बड़ा है संकल्प में पहली चीज तो ये थी कि हम तब अपना घर बनवाए कभी जब रामलला अपने घर में पधारेंगे

(06:09) क्योंकि 30 जनवरी 1984 को संकल्प परमहंस जी ने दिलवा दिया था तो एक दूसरा ये कि हम पैदा इसीलिए हुए हैं तो लोग हम पहले तो बहुत लोग हमको सिरफिरा भी मान लेते थे कि क्या पागलपन की बात है ढांचा ढा देंगे लेकिन जब लोगों के दिमाग में बात बैठती थी तो उनको लगता था कि यह काम करेगा तो इस तरह से बाला साहब ने हम को जिम्मेदारी सौपी और काम में हम लग गए असल काम हमारा शिवसेना का था नहीं शिवसेना तो एक दिखावा था असल काम तो ढांचे को ढाना था क्योंकि राम मंदिर के अलावा मुझे कुछ दिखता नहीं था सोना खाना जगना सब में एक ही चीज ढाचे को गिराना है गिराना है बिना गिराए तो

(06:50) मंदिर बन नहीं सकता है इस बीच नवासी में शिला दन और शिलान्यास हुआ वहां पे विश्व ू परिषद ने किया ये सब कार्यक्रम हुआ तो उसमें हमारे राष्ट्रीय नेता एक और थे जगदीश थांगड़ी जी वो भी आए तो मुझसे मिले बहुत प्रभावित हुए बहुत सारी चीजें होती गई फिर 90 के लिए सोमनाथ से अयोध्या की यात्रा लाल कृष्ण आडवानी जी की जी तो उसमें बाला साहब ने फिर एक बार एक पत्र भेजा और एक सुधीर नाम के एमएलए थे वो आए चिट्ठी उन्होंने दिया और कहा येय पढ़ लेना और अडवाणी जी की यात्रा उन्होंने कहा अडवाणी जी की यात्रा बिहार पहुंच रही है और हो सकता है उ गिरफ्तार कर लिए जाए जो

(07:32) उस सम हा हां जी व उसी के दो दिन बाद शायद उनकी गिरफ्तारी भी हुई थी तो पत्र हमने खोलकर देखा तो उसमें लिखा था प्रिय संतोष दुबे जी श्री राम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण हो इन शुभकामनाओं के साथ पत्र वाहक सुधीर आपके पास जा रहे हैं यह आपको सारी योजना बताएंगे उसमें लिखा था कि 9 10 हजार लोग मोरेश्वर साब सतीश प्रधान के नेतृत्व में व सांसद थे दोनों लोग इनके नेतृत्व में जाएंगे अयोध्या कार सेवा के लिए तो इनको 29 अक्टूबर की रात्रि में अयोध्या पहुंचाना है तो ये लोग आपको रामगंज रेलवे स्टेशन है सुल्तानपुर जिले में पड़ता है वहां ये लोग रेलवे लाइन के

(08:16) पास मिलेंगे मतलब एक आईडियोलॉजी उनकी हमने देखी बाला साहब की उनको मालूम था कि यही हो सकता है बड़ा अचरज भी हुआ मैं बहुत प्रसन्न हुआ हमारे जैसे छोटे कार्यकर्ता के लिए हमारे बाल ठाकरे का मैसेज आना बड़ी बात थी हमारे लिए उत्साह से में भर गया वो जो जिम्मेदारी मिली वो सब तो हमने किया मैं देवी प्रसाद तिवारी जी थे सुल्तानपुर के उनको लेकर मैं गया और जगह जगह यहां पहुंचने का सारा मार्ग और रुकने खाने रहने की व्यवस्था के साथ सबको जोड़ता हुआ एक सीक्वेंस में कि वहां से चलेंगे और 29 की रात में यहां पहुंचेंगे 29 की रात सबको 29 कौन सा साल था ये अक्टूबर

(08:58) 1990 अक्टूबर से पहले यानी हम वहां पर आ रहे हैं जब कार सेवक गोली कांड हुआ था वहां पर आ गए हैं 30 को पहली बार गोली चली 30 को चली फिर 31 एक फिर दो को चली फर दो तारीख को चली वो 30 के तीन दिन बाद उस रात्रि में यहां सरजू जी के किनारे अयोध्या के आखिरी छोर पर जो आजकल नाम नया बदल गया सब कुछ तो उस समय हल्कारा पुरवा एक गांव था अभी भी है उसके माझा में अमरूद की गन्ने के खेत इन सब में वो इतने लोगों की व्यवस्था रहना तो मुश्किल था और पुलिस से बचना था यहां कर्फ्यू लगा दिया गया था पुलिस हमें भी खूब तलाश रही थी तो अपने को भी बचाना है तो बचने का रास्ता यह था कि

(09:45) छिप छिपा के काम किया जाए और कोई मोबाइल नेटवर्क ये सब की उस दौर में कोई मतलब तो था नहीं एक दूसरे से मिलकर ही मैसेज किया जा सकता था तो यहां भोजन पानी कुड़ा केशवपुर गांव है बड़ा गांव है पंडित जी लोगों का और उन लोगों के जिम मेंे लगाया गया कि इतने लोगों को भोजन पानी की व्यवस्था आप किसी तरह पीछे से लाकर करेंगे तो सब लोगों ने वो व्यवस्था पूरे गांव ने मिलकर कराई रात में सब भोजन पानी करके व गन्ने के खेत में सब बैठे थे तो मैं भी वहां बैठा बातचीत कर रहा था तभी बिच्छू ने काले बिच्छू ने डंक मारा आपको हा ऐसी जगह मारा दिखा भी नहीं सकता बहुत

(10:25) दर्द थी बहुत तकलीफ हुई खैर राम कास था तो ये दर्द झेलना था 30 अक्टूबर को हम लोग 9 बजे वहां से निकले लड़ते भिड़ लड़ते भिड़ जो उपक्रम चला वहां दिन 11 10:30 11 बजे तक बल्कि कुछ और टाइम हो गया था तो हम लोग ढांचे तक पहुंचे इतनी संख्या और जो महाराष्ट्र से शिवसैनिक आए थे वो तलवार भी लिए थे बहुत सारे लोग अच्छा तो पहला तो मुकाबला हुआ रायगंज रेलवे फटकी यहां सीआरपीएफ लोन का उधर नहीं जाने का इधर से नहीं जाने लौट जा लौट जा वो हरियाणा के लोग थे शायद तो इधर भी सब जो रेलवे लाइन की बजिया थी गिया थी ब गिट होती है हा उनका सहयोग लिया

(11:09) गया राम भक्ति में चलाया गया सीआरपीएफ जब वो लाठी चलाने लगे तो इधर से जिसके हाथ फिर आंसू गैस के गोले सब लेकिन वो सब बात खत्म हो गई भाग खड़े हुए सारी बाधाओं को तोड़ते हुए हम लोग पहुंच गए अमावा मंदिर और अमावा मंदिर से फिर आगे बढ़ा गया आसू गैस के गोले और गोलियां इन सबको झेलते लड़ते भिड़े और हम लोग अब वो आप समझिए ढांचे पर चढ़े लेकिन एक अमर्ष रह गया मन में कि जब ढांचे पर चढ़े तो तोड़ने के लिए कुछ नहीं था एक साधु का चम ले लिया एक व्यक्ति की तलवार थी उससे वो कमल दल तोड़ दिया गया मैंने अपना गमछा बांध दिया हमारे साथियों ने बांध दिया और एक गुंबद पर वो

(11:51) दोनों भाई कोठारी बंधु वो लोग भी बड़े उत् साहिद है उन्होंने बांध दिया गोठारी बंधु गुंबद पे चड़े हुए थे जी बांध दिया अब वहां से हम लोगों को बड़ा अफसोस हुआ कि तोड़े कैसे इतनी बड़ी चीज यह विषय चुनौती का कि परिंदा पर नहीं मारेगा यह महत्वपूर्ण नहीं है वो तो हम लोग चढ़ गए सब हो गया लेकिन तोड़ नहीं पा रहे हैं तो नीचे फिर गोलियां चलने लगी आंसू गैस के गोले और ये सब ये वही गली की बात बता रहे हैं ना अभी नहीं अभी नहीं फिर चले आए तो हम लोग देवराम दास वेदांती जी के यहां रात में रुक गए वहीं वोह कुठारी बंधु और उनके जो साथ कुछ और लोग थे सब साथ में रहा गया

(12:30) आपस में एक दूसरे को उत्साहवर्धन किया गया अबकी नहीं मिला मौका फिर मिलेगा इस बीच 2 नवंबर का वह दिन आ गया जिस दिन हम लोग वहां से जुलूस की शक्ल में सब लोग निकले ढाई तीन क प्रतिरोध मार्च था क्योंकि क्योंकि मैं एक बार क्लियर कर दूं कि 30 अक्टूबर को पहली बार अयोध्या में गोली चलाई गई मुलायम सिंह यादव के आदेश के बाद कहा जाता है और उसके बाद पुल पे जो गोंडा की तरफ जाने वाला पुल है सरय नदी का उस पुल प भी बहुत बड़ी भगदड़ हुई थी बहुत सारे लोग मारे गए थे गए जान बचाने के लिए नदीम भी कूद गए थे कहा जाता है पता नहीं एक्चुअल में संख्या

(13:04) कितने लोगों की मारी गई थी हा वो तो लगभग दो दिनों तक अयोध्या में मॉर्निंग हुई थी लोगों ने शोक जताया था और फिर 2 नवंबर को एक प्रतिरोध मार्च निकाला गया हां अब बताए सर कहानी तो वो जब मार्च निकला मार्च तो कह सकते हैं जो भी कहा जाए दर्शन की आस लिए लोग निकले थे कि हम रामलला के दर्शन करेंगे यह भी एक भाव था क्योंकि हर कोई तो आक्रोशित ही नहीं था कुछ लोग भक्ति भाव से भी आए थे कुछ लोगों में आक्रोष तक तोड़ना है तो इस तरह संयुक्त प्रयास था लोगों का दोनों विचारधाराओं का मुझे मैथली शरण रमण जी जानकी घाट के महंत थे और वह देवराम दास वेदांती सब

(13:41) लोगों ने कहा आप लोग जाइए अयोध्या के लोकल लोग हैं और मतलब उन्होंने हमको चढ़ाया कि हिंदू सेनापति हो तुम नहीं रहोगे तो ये लोग क्या करेंगे क्या जाने और पीछे जो नेताजी लोग आ रहे हैं सब हट जाएंगे तो हम लोग चल पड़े उनके साथ वासुदेव और मैं और राजेंद्र रकार लड़का रमेश पांडे सब लोग साथ साथ निकल पड़े रवि शंकर पांडे जी थे अयोध्या के अब हमारे अलावा वही एक मात्र जीवित व्यक्ति है हम लोग चल पड़े दिगंबर अखाड़ा तक जो नेताजी लोग थे व सब दिगंबर अखाड़ा में चले गए परमहंस जी के य कौन थे नेता में बहुत लोग थे बिए बता ही दीजिए जी भी थे भारती

(14:23) भी थी जयभान सिंह पवैया थे व और वो लोग भी सब वहां चले गए जोशी भी जी जो जी सिंगल जी थे मेरे ख्याल से सिंगल जी नहीं थे नहीं सिंगल जी नहीं थे महेश नारायण सिंह थे ऐसे ही दो एक और लोग थे बड़े चेहरों में उस समय एक बड़ा चेहरा था वो हिंदू जागरण मंच के बड़े नेता थे राम गोविंद सिंह वो भी आए थे और वही परमहंस जी के य परमहंस जी ने मुझे भी बुलाया बेटे आ जाओ पर मैं नहीं गया मैंने कहा लौट के आता हूं गुरुजी मुझे लगा कि हम सब चले जाएंगे तो बाहर के लोग हैं इनको क्या मालूम है किधर से जाना है किधर से आना है कोई टकरा गया और हम लोग चल पड़े आगे अभी एक 100 मीटर गए

(15:09) होंगे तो सामने से बैरिकेडिंग हनुमानगढ़ी चौराहे से बैरिकेडिंग का मतलब यह था कि वो बैरियर लगाया गया था जाना नहीं है वहां पुलिस वालों की दीवार पूरी कुछ उससे पहले गली है उस गली में सब पुलिस वाले आपको याद होगा जो हमने आपको गली दिखाई थी उस गली में भी पुलिस वाले और आंसू गैस के गोले और लाठियां पहले तो हम लोग बैठ गए शांति से राम राम होने लगा श्री राम जय राम जय जय राम मतलब कोई भड़काऊ भाषण नहीं था कोई नारे नहीं थे अब ये अगर भड़काऊ था कि राम लीला हम आएंगे मंदिर वहीं बनाएंगे तब इसको तो नहीं रोका जा सकता था अब इसी बीच वहां लाठी ग लाठी

(15:50) और गोली आंसू गैस के गोले छोड़ने लगे कुछ महस भी हुई वो जे एस भुललर जो आईपीएस अधिकारी था हम हमने उससे कहा कि हम लोग तो वहीं जाना चाहते हैं उसने कहा हम तुम्हें सीधे राम लला के पास पहुंचा देते हैं काहे को झंझट रहेगा अधिकारी ने बोला कि हम सीधे रामलला के पास पहुंचाएंगे मतलब ऊपर पहुंचा देते हैं हा ऊपर पहुंचा देते हैं ये और कहा चलाओ गोली साले गुंडे हैं सब ये और फिर गोलियां चलने लगी उसने भी सिपाही की राइफल छीन ली वो भी चलाने लगा और मेरी आंखों के सामने भाई रमेश पांडे गोली लगी वो ढेर हो गए राजेंद्र धरि का ढेर हो गया व वासुदेव गुप्ता को मार दिया फिर

(16:29) महेंद्रनाथ अरोड़ा जी और एक राजस्थान का लड़का था बिल्कुल न्यू ब्रांड 28 30 साल का उसको गोली मार दी वो वहीं गिर गया इस तरह लोग गिरते गए और यह गोलियां चलाते गए फिर यहां से लाल कोठी तक कितनी गोलियां चलाई कि इनकी मैगजीन में गोलियां नहीं रह गई थी क्योंकि उसके बाद इन्होंने गोलियां खत्म होने के बाद बटों से मारना शुरू किया अब शरद कुठारी को गोली लगी तो उसका भाई दौड़ा बड़ा राम कुमार मुझे लगा कि इसको भी ना मार दे मैं भी दौड़ा तब तक राम कुमार को गोली लग गई वो गिर गया जब वहां मैं पहुंचता हूं तो मुझे भी गोलियां लगती है मुझे तो हमारे तो

(17:11) यह हैय देख रहे यहां से लगी यहां चली गई फिर इस इस पर लगी जबड़ा तोड़ दिया यहां आके अटक गई फट गया था ये बहुत बड़ा घाव हो गया था ये करीब 15 16 साल तक पकता रहा बाद में इसकी कराई गई सर्जरी सबकी स हुई इस तरह से हाथ में लगी यहां लगी तो जब मैं अचेत होकर गिर पड़ा तो रवि शंकर पांडे अमरनाथ पांडे दोनों लोगों ने कुछ महिलाएं सब उठा के हमको अस्पताल लाए तब उनको भी मारा जाने लगा बटों से उसमें रविशंकर का कंधा टूट गया लेकिन मैंने एक चीज जो देखी थी व आंख से कभी दूर नहीं हो पाती है आज भी कि वोह 17 साल का व बालक राजेंद्र रकार जिसको

(17:59) गोली मारी वो कुए में गिर गया तो ये मैंने जब अस्पताल में लोग मेरी स्थिति बहुत खराब थी पर किसी तरह से इशारे में मैंने बताया लोगों को कि वो कुएं में गिर गया है रात में ही लोगों ने आकर के उस कुएं से निकाला डेथ उसकी डेथ हो चुकी थी तो इस तरह से वो 2 नवंबर की घटना ने अंतर मन से हम लोगों को झकझोर दिया ये मन में संकल्प आ गया कि जिस कारण हम लोगों को गोलियां मारी गई है अब वो काम हो गया रहेगा वो काम पूरा होगा हर हाल में अच्छा इसके लिए तैयारी होने लगी एक बड़े संत हम लोगों को मिलते थे कौन अब ब्रह्मचारी जी कहे जाते थे जब मैं उनका पैर छूने के लिए

(18:41) उनके चरणों में माथा रखता था तो वो मुझे ये तो देवराम दास वेदांती हैं वो ब्रह्मचारी जी थे अच्छा वो मुझे 86 से मिले थे 1986 से तो उन्होंने कहा कि देखो इस तरह से आप लोग जान गवाते रहोगे और कुछ मिलेगा नहीं मंदिर बनाना है तो ढांचा तोड़ना पड़ेगा ढांचा तोड़ना है तो उसके लिए शस्त्र चाहिए शस्त्र का मतलब हत्या हिंसा वाला नहीं वो तोड़ने वाला और इसके लिए तुम्हें पाछ हजार लोगों की जुनूनी नौजवानों की टीम जैसे गुरु गोविंद सिंह ने बनाई थी इस तरह टीम बनाओ जो अपना रक्त दे सके और किसी का ले भी सके जरूरत पड़े तो बलिदान दे ना ले भी तो उनकी बात हम लोगों

(19:22) को जम गई हम लोग इस काम में लग गए और लगभग डेढ़ पौने दो साल लगे एक फार्म बनाया था उस पर लिखा था क्या आप राम लला का राम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर बनाना चाहते हैं लि हा यदि हां तो बाबरी ढांचा ना पड़ेगा यदि हां तो आपकी जान भी जा सकती है यदि हां तो ही आप अपने रक्त से अंगूठा लगाएं या हस्ताक्षर करें तो ये जान के आपको आश्चर्य होगा जिस माया प्रिंटिंग प्रेस में ये छपवा गया था उनको हम लोग मामी जी कहते थे जिनके नाम से प्रेस था तो उन्होंने अपने दांत से अंगूठा काट करके लगा दिया था हा यह जोश था उन्हें देखा तो मुझे भी जोश आ गया मैंने कहा मुझे ही

(20:06) शुरुआत करनी चाहिए थी लेकिन इन्होंने कर दिया जब 70 वर्षीय महिला में य जोश है तो हम तो कम उम्र के थे हमने भी वही किया फिर उसके बाद यह सिलसिला चल निकला हम लोग गांव ग्राव में जाते थे शहर के लोगों को नहीं जोड़ना था इसमें क्योंकि शहर के लोग यह काम नहीं कर सकते थे वो पेड़ प चड़ नहीं सकते वो दीवाल पछ नहीं सकते क्योंकि राम जन्मभूमि के बगल जो ढांचा था वो उस पर दीवाल थी नीम का पेड़ था उससे भी जाना पड़ता फिर गती चलाना हथौड़े चलाना उसको तोड़ना सब्बल चलाना यह सब शहर के लोग नहीं कर सकते थे इसके लिए गांव पर हम लोगों ने जोर किया और गांव में खुफिया एजेंसिया और

(20:48) पुलिस इन सबका कोई बहुत मतलब नहीं था उन दिनों को ऐसे संसाधन भी नहीं थे कि पुलिस तक खबर आती इस तरह हम लोगों ने पौने दो साल तक उत्तर इधर पूर्वी उत्तर प्रदेश के लगभग 32 जिलों में आपने रिक्रूटमेंट कर लिया था हा तैयारी कर ली पूरी स्कूटर से जाते थे दो एक सेट कपड़ा रख लिया और फार्म रख लेते थे हम और रवि शंकर पांडे तो कभी दुर्गा पहलवान जी कोई ऐसे रहते सब लोग और चल देते थे बिल्कुल दीवानापन सवार था और इस तरह जब वो तैयार हुआ तो ब्रह्मचारी जी फिर मिले तो उन्होंने ये पूछा कि कंप्लीट हो गया तो बताया ग हां ये कंप्लीट हो गया तो बोले

(21:30) ठीक है पर मैंने उनसे क्रॉस क्वेश्चन व्यक्ति में होता स्वभाव पूछ लेता है काम कैसे होगा मैंने पूछा कि गुरुदेव हम लोगों ने ये काम तो कर दिया लेकिन ढांचा तोड़ने के लिए वो चाहिए सब बल चाहिए थोड़े घन चाहिए उ सब मिल जाएगा चिंता मत करो इसके लिए परमहंस जी के यहां एक व्यक्ति आए हैं मामा जी उनसे मिलो शंकराचार्य जगतगुरु स्वरूपानंद सरस्वती जी ने भेजा है व्यक्ति को अच्छा बहुत अच्छे व्यक्ति है वो भी आपकी तरह जुनूनी आदमी है वो कौशल्या जी के जनपद के रहने वाले हैं मतलब जहां से माता कौशल्या आई थी वहां के थ छतीस हा तब छत्तीसगढ़ नहीं था तब राज्य मध्य प्रदेश

(22:16) था तो उनके कहने पर मैं उनसे मिला वो दिगंबर अखाड़ा आए थे परमं जी के यहां तो मैं मिला परमहंस जी ने परिचय कराया मैंने पूछा परमहंस जी से मामा जी तो बोले बगल जो ये अग्नि सेवन कर रहे हैं यही मामा जी हैं तो बड़ा अच्छा लगा व हमसे उनकी बड़ी पट गई उन्होंने बड़ी तारीफ की परमहंस जी ने हमारी तो बहुत खुश हो गए उनकी भी वही चाह थी राह भी वही थी तो उन्होंने कहा कि छ सात लोगों को ले चलो मैं उन्हें ट्रेंड कर देता हूं मैं ढांचे की लंबाई चौड़ाई कहां कितना है मुझे मालूम है तो छ सात लोगों को तैयार किया गया देवराम दास वेदांती जी के पास

(22:58) ट्रैक्स गाड़ी थी उससे हम लोग गए चित्रकूट उन्हीं के मिलने जुलने वाले थे पंजाबी भगवान उनके आश्रम में हम लोग ठहरे और अनुसया आश्रम के पास एक जगह उन्होने चयनित की टाटी घाट बोला जाता है वो पहाड़ी थी तो उस पर रस्सा फेंक कर कीले में पहाड़ी पर फसाना था तो उन्होंने बताया था कि चे की ऊंचाई आगे से मुख्य द्वार से 22 से 24 मीटर है बगल जो दुरा कुआ मार्ग जोड़ता था तब पिच रोड थी उससे वो 5 फीट कम है 5 मीटर कम है म कम मतलब चौड़ जो रस्ता फेंका जाए व 5 मीटर अधिक हो और पीछे 10 से 12 मीटर कम है पूरी प्लान के साथ उसको तैयार किया था उन्होने

(23:45) उन्होने एक मैप बनाया और उस तरह से वहां फेंका गया तो जो सबसे शक्तिशाली आदमी थे उनके जिम्मे था कि आप रास्ता फेंकें तो सब लोग ट्रेंड हो गए इस बीच पुलिस वाले भी आए मध्य प्रदेश की पुलिस उन्होंने कहा क्या हो रहा है बाबा जी हमने वो कुर्ता लुंगी पहन रखी थी कम उम्र का था तो उन्होंने समझा विद्यार्थी साधुओं में विद्यार्थी होते हैं चंदन दन पूरे माथे प लगा था तो तो क्या रायता फैलाए बाबा जी तो मैंने बताया कि माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने की तैयारी कर रहे हैं तो बहुत खुश हुए दरोगा जी वाह तुम तो बहुत अच्छे हो हा बड़ी तारीफ की और उन्होने कहा देश का मान कर

(24:23) रहे हो बहुत अच्छा वो चले गए तो एक वो तैयारी थी अब आकर फस गई कि हम उसको तोड़ने का सामान कहां से पाएंगे तब यही ब्रह्मदत्त द्विवेदी जी जहां बैठे यही व अपने आप चलकर आए ब हा यही और महाराज जी ने कहा था कि आपके पास एक आदमी जाएगा उनको जो महाराज जी कह रहा हूं उनको लोग नारद जी तो कोई ब्रह्मचारी जी इस तरह से संबोधित करते थे हम लोग जान नहीं पाते थे कि है कौन और यह भी स्थिति होती थी जितने कभी किसी काम की जो जरूरत पड़ ती थी तो हाथ पीछे ले जाते ले 00 उसको रख लो वो सब करेंसी नोट ही होते थे अभी भी शायद उनमें से कुछ चार छ नोट बचे होंगे इतिहास

(25:09) के तौर पर उसको रख लिया गया तो इस तरह वो सहयोग भी कर देते थे उनके उनके आश्वासन पर हम लोग इंतजार कर ही रहे थे तभी एक दिन ब्रह्म द्विवेदी जी आ गए मुझे लगता है नवंबर था 92 का नवंबर तो उन्होंने कहा क्या सोच रहे हो तो व इसमें घुस नहीं पा रहे लंबा चौड़ा शरीर था उनका तो इस कमरे दरवाजे से नहीं घुस पाते थे अच्छा तो झुक कर के इसी र आए बैठे इसी तखत पर जहा मैं बैठा ह हा जहां बैठे इसी बैठे और बोले तुम कछु कर भी रहे हो खाली जो योजना ही बना रहे हो कुछ कछु कर भी रहे होनेय कब की बात है 1992 लग चुका हो नवंबर 92 था ये अच्छा तो मैंने

(25:55) कहा भैया हम लोगों ने सब तैयारी कर ली उनको लाक हमने वो दिखलाया कि ये देखिए ये मेरे पास है फॉर्म वगैरह जो भी भरे हु वो बहुत खुश हो गए तो उन्होंने कहा वाह अब तुम्हें क्या चाहिए तो ढांचे तोड़ने वाली चीज है उन्होने कहा जी भैया उन्होंने कहा चलो मेरे साथ वो मुझे लिए गए वो मुझे दिल्ली ले गए शेष तो आप जानते ही क्या हुआ क्या हुआ बताइए तो आपको सब पता है ना आप तो दिखा भी चुके हैं अपने शो में वो मुझे ले गए नरसिंहा राव से मीटिंग हुई जो जो है वो आप सब जानते नरसिंहा राव ने पैसे का बंडल दिया सब कुछ कर दिया क्या मैं कुछ गलत बोल रहा हूं सही है सही है नरसिंहा

(26:31) राव जो प्रधानमंत्री थे उनसे मुलाकात हुई और पीवी नरसिंहा राव ने पैसे का बंडल दिया और आशीर्वाद भी दिया हजज तो गड्डी थ उसम थी पैक थी तो मैं जा नहीं पाया था बाद में खोल कर देखा तो तो हम लोग बहुत खुश हो गए जैसे उन्होंने एक सवाल किया कि ये तलवार क्या काम आएंगी किसने पूछा उन्होने राने क्या काम आएंगी इनकी क्या जरूरत है माना ग जरूरत माना थोड़े की जरूरत माना सब बल की जरूरत इसकी क्या जरूरत है कोई नर सार करना है क्या ये तो नक्सलियों का काम होगा नहीं ये नहीं है तब उनको हमने अपनी योजना बताई कि तलवारों से लोगों को डरा देंगे किसी की हिंसा नहीं होने देंगे और

(27:12) त्रिशूल से वो कैमरे जो पूरे आंदोलन को उग्र पंथी और देशद्रोही आद बताते हैं हमारे देश का सम्मान घटा हैं हिंदू समाज का अपमान करते हैं तो समझाया जाएगा नहीं मानेंगे तो कैमरों का इलाज किया जाएगा इ का मतलब तोड़ना होता जो भी समझ लिया जाए तो बहुत खुश उने कहा गुड आईडिया वाह काम हो जाएगा और आपको ब्रह्मदत्त जी उपलब्ध करा देंगे जाइए उन्होने ऐसा कहा आपसे नरसराव ने पैसा दिया जा हम चले आए हम लोग कितनी देर की मीटिंग थी लगभग 45 मिनट लगभग मैं घड़ी पहनता नहीं मोबाइल था नहीं चला हो अब इतनी देर में सारी बात चाय पानी उसके बाद वापसी मैं इसलिए खुश था मैंने पहले तो

(27:59) पैकेट में समझा कि कुछ नक्शा उसा होगा क्योंकि वही सब मिलता था ज्यादातर हम लोग फार्म नक्शा इसी सनके थे लेकिन बाद में गजरौला में उसे एकांत में देखा तो रुपया तो मैं खुश हो गया कि अब हमारा काम हो जाएगा कोई दे ना दे इतने में तो हम खरीद लेंगे सब हम चले आए बाद में वो ब्रदत जी ने सारी व्यवस्था करा दी सब एक लक्षमन सिंह ड्राइवर था वो टेंपो में लेकर के आया और मुझसे मिला वो सब रखवा दिया गया और चिट्ठी दी गई सब जगह कहा रखा गया था व वही देवराम दास जी के यहां रख दिया गया और कहला दिया गया सब जगह कि 5 दिसंबर को सब शाम को 5 बजे तक सब आ जाएंगे दिन का चुनाव कैसे

(28:42) किया आप लोगों ने विश्व हिंदु परिषद ने घोषणा कर दी थी ना कि 6 दिसंबर को कार सेवा करेंगे व हम लोग इसकी प्रतीक्षा कर रहे थे किय इस दिन की जब य घोषणा करेंगे तो लाखों लोग आ जाएंगे क्योंकि हम 5000 लोग तो पर्याप्त थे नहीं पुलिस बल को रोकना होगा चेन रिएक्शन शुरू हो जाएगी एक को देख के चार लोग काम करेंगे आप लोग का ऐसा सोचना रहा हा ये ये था कि हम लोग सबको डरा धमका के ढांचे पर चढ़ जाएंगे और हम थक तो दूसरे लोग रहेंगे उनको पकड़ा दिया जाएगा वो तीसर को इस तरह कोई थकेगा ही नहीं इतनी संख्या रहेगी और कोई फिर किसी की सुनेगा नहीं क्योंकि पूरे देश में उबाल

(29:18) था गोलीकांड के बाद असल में यह दो नवंबर ही था जिसने 6 दिसंबर की तिथि तय कर दी तो अब पा दिसंबर की रात्र में सब लोग इकट्ठा हुए तो लगभग हजार की संख्या महिलाएं थी 4000 पुरुष थे कहां इतनी संख्या में कहां थे आप लोग बहुत बड़ा हाल है उनके यहां बहुत बड़ा स्थान अच्छा अभी भी है अब वो तो महंत जी वहा नहीं रह गए इस आंदोलन की एक विशेषता रही जो लोग बहुत सक्रिय भूमिका में रहे वो सब किनारे कर दिए गए या तो उनकी हत्या कर दी गई या वो फसा दिए गए बर्बाद कर दिए गए कौन करता था भगवान जाने ज्यादातर तो समाजवादी पार्टी ने इसमें काम काम किया सच्चाई तो यह है फिर दूसरे दलों

(30:01) ने भी यही काम किया जैसे हम लोगों को मुकदमे फर्जी मुकदमे ला दे जाने यह सब हुआ हम लोगों को पता नहीं था अभी भी नहीं पता होता कहां कहा लिखा होगा कोई जानकारी नहीं व मुकदमे लिख लेते थे तो यह परिस्थितियां उस समय हम सबको झेली पड़ी थी वहां सब रात में ताकतवर लोगों को हथौड़ा और कुछ कम वालों को गती कुछ कम वालों को सब्बल और जो सबसे लंबे चौड़े थे उन सबको रस्सा फेंकने की छ सात लोग जो ट्रेनिंग ट्रेनिंग लेकर आए थे चित्रकूट के पास उन लोगों की जि में वो 15 या 10 12 लोगों की टीम बनी थी जो सब कोई घायल होता है तो उठा के ले जाएंगे इस तरह से फिर

(30:42) तोड़ करके सब पीछे आजकल जहां पीएससी कैंप है वहीं सारे लोग इकट्ठा होंगे और फिर अपने अपने घर जाएंगे ठीक है तो ये दिसंबर की रात तक ये सब हो गया पा दिसंबर में इतने हुआ 17 टीम बनी थी 5050 मीटर का घेरा बनाएंगे घेरा बनाएंगे 250 300 250 300 आपस में हम लोग खूब एक दूसरे से गले मिले खूब रोए खूब हंसे कल इनम से कौन बचेगा कौन मरेगा वो भजन चल रहा था बाबा जी थेरा जागीर दास जी उगा रहे थे बस इस एक रात की ये कहानी है सारी यही रात अंतिम यही रात भारी जिसमें से हम अगर हम लोगों के लिए कोई रोने वाला नहीं रहेगा तो हम 5000 लोग रो रहे हैं उसके लिए हंसने वाले रहेंगे तो

(31:25) हम 5000 हंस रहे हैं मतलब बड़ा प्यार बढ़ा और बहनों को कहा गया सुशीला दीदी है तो दुर्गा भाभी है ऐसे सबके नाम किसीने गाव में भगा सिंह हो जाऊंगा किसी ने कहाय राम प्रसाद बिस्मिल होंगे मुझे लोगों ने कहाय मेरी मूछों की वजह से मुझे लोगों ने कहाय चंद्रशेखर आजाद रहेंगे अंतिम तक यह बचे रहेंगे अब इतने लोगों का आशीर्वाद भी रहा जो जो मान लिया जाए रात में ब्रह्मदत्त द्विवेदी जी फिर वहां आए तो उन्होंने हम हम लोगों को हसते रोते खिलखिलाते और भजन सुना तो बड़ा आश्चर्य हुआ उनकी आंखें भर आई तो इतने लोग किसी का पैर छू रहे हो तो उस व्यक्ति में भी कुष्ण

(32:05) कुछ तो मानसिक परिवर्तन होगा तो उन्होंने कहा संतोष जी मैं तो समझता था कि आप सो गए होंगे आप तो क्या हो रहा है तो हमने कहा भैया आप भी सुन लीजिए यही रात अंतिम यही रात भारी कल जब अयोध्या की गलियों पर य लोग निकलेंगे तो राम जी की सेना चली चरितार्थ हो जाएगा बहुत प्रसन्न हुए पर भारी मन उन्होंने हम लोगों को उनके मन में ये शायद भाव आया हो कि बच्चे नहीं बचेंगे या जो जो प्रभु की इच्छा हो सुबह हम लोग वहां से 10 10:30 जो टाइम रहा हो घड़ी देखने वाला काम नहीं है सबको बाल भोग कहा जाता है नाश्ता ब्रेकफास्ट देवराम दास जी ने करवाया

(32:47) नाश्ता क्या किया आप लोगों ने मुझे लगता है चना था चना और चाय अच्छा हा यही था शायद और हम लोग वहां से निकल पड़े दांती जी ने सबको आशीर्वाद दिया और बहनों ने सबको तिलक लगाया और फिर हम लोग निकल पड़े सबके साथ अपने गंतव्य स्थान पर सब इतना ही हुआ था कि कोई जय श्री राम का नारा नहीं लगाएगा क्यों क्योंकि पूरे अयोध्या भर में इतने लोग थे दयो लाख लोग थे सब जय श्री राम ही कह रहे थे तो प्रलयंकारी नारे की जरूरत है हर हर महादेव हर हर महादेव इस तरह से करना है तो शुरुआत करनी थी दुर्गा पहलवान को सबसे तेज आवाज उनकी थी एक किलोमीटर दूर तक आवाज

(33:28) जाती थी उनकी एक टीम और भी बनाई गई थी कि जो मंच पर भाषण वर रहेंगे आव बाव जब बोलेंगे तार काट देना है अच्छा ये भी सब था इस तरह से सब लोग पहुंचे वहां और फिर काम शुरू हुआ तो डराने के लिए जैसे उन्होंने कहा हार हार महादेव तो सीटियां बजने लगी संघ के लोगों की और पुलिस पीएससी के लोग लेकिन तलवार म्यान से बाहर आ गई तो सब किनारे हो गए संघ के लोग आप लोग के साथ नहीं थे वो तो अलग खड़े थे बालक खड़े थे घेराबंदी किए थे बाद में वो भी सब कार सेवा में शामिल हो गए वो तो वो लोग भी तो हिंदू ही है वो भी तो यही चाहते थे ऊपर के प्रेशर और दबाव के कारण वो अपनी सेवा दे

(34:08) रहे थे लेकि मतलब पहले पहले वो लोग घेरा बनाए खड़े थे मस्जिद को नुकसान ना पहुचे जाने नहीं देंगे पहले तो यह कह रहे थे दंड लिए और सीटी बजा रहे थे आप तब हाफ नेकर और वो टोपी का कपड़ा होता जो होता था लेकिन मैं भी चूंकि संघ से जुड़ा रहा तो मुझे मालूम था कि होता क्या है बस्ते सब लोग किनारे हो गए और हम लोगों ने अपना जैसे आपने तलवार निकाली वो लोग भाग गए हां सब किनारे हो गए अब उसमें एक बात ये थी कि कैमरा चमकने लगा फोटो ने ल हां तो कैमरे वालों से हाथ जोड़ा गया भैया बा देश के बाहर ना जाने पाओ इसलिए कृपया लेकिन कुछ जो विदेशी कैमरा मैन थे वो बिल्कुल मानने

(34:47) को तैयार नहीं है वो एक तो हमारी भाषा नहीं समझते थे तो उनको अयोध्या की भाषा बताई गई यूपी की भाषा उनको समझाई गई ठीक ठीक से वो कैमरे टूट गए बहुत कुछ हुआ और फिर अंदर हम लोगों ने अपना काम शुरू कर दिया रस्सा फेंका गया सब चढ़े क्या अंदर से भी किया कि सिर्फ बाहर से ही शु हुर क्या करते अंदर तो रामलला थे उनके लिए लोगों को लगाया गया था कि जब ढांचा टूटने लगेगा तो इनको हटाइए इसीलिए किरमिच के जूते पहन के हम लोग गए थे कोई चमड़े जूता नहीं पहन के गया था सब ये सीमाए त थी कि मर्यादा का उलंघन ना हो लेकिन उस समय के तत्कालीन पुजारी रामनारायण दास जी जिनकी

(35:24) हत्या कर दी गई उन्होंने इस बात को कि आप लोग इत्मीनान से थोड़ी हम राम लला को लेकर जा रहे हैं जब राम लला बाहर हो गए तो फिर क्या कहना था जोश से और भर गए हम लोग अब तो कुछ कुछ कोई दिक्कत नहीं रामला तो बच ही गए आपका ये सोचना होगा फिर उसके बाद एक एक गिरा दो गिरा तीसरा करीब चार साढ़े जो टाइम रहा हो तो कालिदास की भीड़ में ज्ञान तो रहता नहीं जिस डाल पर बैठे उसी को काट रहे हैं हम लोग बुद्धिमान तो थे नहीं बुद्धिमान होते तो ये दिन ना आता और सभी उसमें फौजी स्टाइल के लोग थे तो दरक गया बीच वाला जब रस्य खींचने लगे तो दरक गया पर मेरे मन में आ रहा था कि

(36:08) अगर हम लोग उतर गए और यह नहीं टूटा तो फिर इसकी इसके लिए कवायद होगी लेकिन इसी बीच वह टेढ़ा होने लगा कर्व करने लगा मैं उसे देखने के चक्कर में गिर पड़ा नीचे आ गया नीचे आने तक का तो होश है उसके बाद बड़ा आराम से गिरा तो उसका बड़ा हिस्सा हमारे ऊपर आ गिरा फिर उसके बाद क्या हुआ मुझे कौन लाया कौन ले गया यह मुझे पता नहीं है तो 22 दिनों की कहानी अलग थी वो आप कहां प थे उस समय जब जब 6 दिसंबर को ये ऊपर बाबरी मस्जिद को या उर्फ ढांचे को तोड़ा जा रहा था तो आप उस समय कहां प थे बता तो गुंबद के ऊपर थे वो कहां रहते नीचे से सब्बल से काट दिया था लोगों ने सब्बल

(36:54) वाले एक्सपर्ट निकले काट दिया था अब इतनी अब इसको हम लोग अपनी मूर्खता कहे या मान ले कि ऐसा होना थाय ई वही जो राम रचि राखा तो सोने के पीछे प्रभु की कृपा थी तो मेरा रक्त बहना था और भी और मन पवित्र होना था तो हो गया कोई बात नहीं इलाज चला बहुत दिन उसम हम करीब छ सात महीने बहुत स्थिति खराब थी शरीर काला पड़ गया था बहुत स्थिति ख मु के सब ही दो 200 वर्ष पहले चोट खाए थे जड़ टू फिर जब फिर उसके बाद फिर वही स्थिति हो गई तो मुंह में कुछ नहीं गया था तो मेरे सारे दांत काले हो गए थे तो जिला अस्पताल में यहां एक डॉक्टर थे उनको मैंने दिखाया

(37:39) तो उन्होंने कहा कि तुम्हारे एक भी दांत नहीं बचेंगे ये दवाए तुमको इतनी जबरदस्त दी गई है जीवन रक्षक दवाए कि दांत नहीं बचेगा तो मैंने कहा आप तो डेंटिस्ट है कोई उपाय बताइए तो उन्होंने कहा सदैव वो भटवास की तून करना और सरसों का तेल नमक सेवन करना ठीक रहेगा वो मैं आज भी करता हूं और उसकी कृपा से अभी ठीक है अच्छा पर जब जाड़ा आता है या पूर्वा चलती है तो बहुत शरीर में दर्द होता है लेकिन चलिए अंत भला तो सब भला पर हमें अपने साथियों को गवाने का तो बहुत दुख है उनको पूछा नहीं गया उनके परिजनों को यह और दुख का विषय है कब नहीं पूछा गया किसी कार्यक्रम में नहीं

(38:18) पूछा जाता है किसी को ज राम मंदिर का हो रहा है इस समय नहीं पूछा गया आपको हमें तो जरूरत ही नहीं है हम तो किसी के मोहताज नहीं है हम तो लला के दर्शन करने के लिए 30 जनवरी को जाएंगे पूछा गया कि नहीं आप नहीं पूछा गया कोई बात नहीं है हो सकता आवश्यकता ना महसूस हुई हो या मैं उनकी गाइडलाइन के अंदर ना आता रहा हूं बहुत सारी चीज है व कुछ भी हो पर है कोई आपको मुझे कोई शिकायत नहीं मंदिर बन गया सारी शिकायत दूर कोई शिकायत नहीं है किसी से और जिनको जो करना है जो मर्जी हो करें पर हमारा जो काम था जो सेवा प्रभु को हमसे लेनी थी सब उनकी इच्छा से मैं छोटा आदमी

(38:57) क्या करता है हां यह लोग कहते हैं हमारे शहर में कि आप राम काज के लिए पैदा हुए थे य हो गया तो मुझे लगता है कि प्रभु यह बढ़ाई दे रहे हैं बस मुझे मैं क्या कर सकता हूं जैसे सुदर्शन चक्र ने ही 18 छोड़ी सेना को मारा लेकिन श्री अर्जुन को मिल गया तोय भगवान ने दे दिया हम लोग तो य यही देवराम दास वेदांती जी कहकर भेजे थे हतो प्रा स्वर्गम जितवा भक्ष से महिम तस्मा दुत कते युद्ध कत निश्चय गीता के श्लोक उन्होंने बताकर भेजा था कि मारे जाओगे तो स्वर्ग के दाता राम के लिए मारे जाओगे समर मरण पुण सुर सर तीरा राम काज लग छुट शरीरा मारे जाओगे तो स्वर्ग जाओगे और

(39:39) जीवित रहोगे तो राम मंदिर का निर्माण होगा तो राम एक रामशिला तुम भी रहोगे इतिहास मानेगा कि एक ऐसा भी योद्धा था जिसने ये काम किया तो हम लोग तो भक्ति से उत् प्रोत थे अपनी ना कोई राजनीति थी ना अपना कोई मतलब था मैंने आपको पूर्व में ही बता दिया जी कि मैं शिवसेना में भी इसीलिए गया था कि मेरा काम शिवसेना को मजबूत करना नहीं था मेरा काम ढांचे को तोड़ना था तोड़ लिया अगर 6 दिसंबर ना आता इस सीक्वेंस को समझने की आवश्यकता है कि यदि 86 ना आता 1986 1 फरवरी ताला खुलने का दिन ना आता तो यह 30 अक्टूबर का दिन ना आता 30 अक्टूबर का दिन नाता तो 6 दिसंबर 2 नवंबर

(40:23) नाथा दो नवंबर को गोलिया गई होती तो दिसंबर ना आया होता तो 6 दिसंबर ना आया होता और 6 दिसंबर ना आया होता तो 22 जनवरी तो आ ही नहीं सकती थी तो जैसे घायल शेर होता है उसको चोट लग गई तो फिर उसको भूलता नहीं चोट करने वाले को तो हम लोगों को यह लगा कि यह ढांचा ही इसी के कारण तो सब हुआ है तो जीवन का लक्ष्य बन गया था परम लक्ष्य बन गया था यहां प कुछ अखबारों का रुख करता हूं जो हमने पहले स्कैन किए थे जो आप निकाल के रखे हैं जी ये स्वतंत्र उ भारत अखबार है तारीख है 6 दिसंबर 1992 की यानी उसी दिन का अखबार है हेडलाइन है बेकाबू भीड़ गुंबद पर टूटी दो गुंबद

(41:10) क्षतिग्रस्त उत्तेजना में कार सवि के समय का भी इंतजार नहीं कि एक घंटे बाद भी सुरक्षा बलों का पता नहीं भीड़ को देखकर पुलिस पीएससी हटी पत्रकारों पर हमला पूरा ढांचा कार सेवकों के नियंत्रण में बाबरी मस्जिद के यह तीन गुंबद दिख रहे हैं आपको पीछे इस बैकग्राउंड में इस तस्वीर में यहां पर यह भीड़ जो है यह कार सेवकों की पीछे से दुरा कुआ से भीड़ गई थी जिसका नेतृत्व हमारे एक बहुत प्रिय मित्र थे उन्होंने किया था दुनिया में नहीं रह गए उन्होंने काम किया था निरंकार मिश्र जी निरंकार मिश्र ने अच्छा उन्होंने इस भीड़ की अगवाई की थी ठीक है फिर यह है 6 दिसंबर

(41:50) तक की अयोध्या दिन दिन चढ़ते ते और ये तमाम तस्वीरें हैं कार सेवकों कीय दुर्गा पहलवान है बड़े शक्तिशाली व्यक्ति नका बता रहे थे क्या उनका उनकी आवाज एक किलोमीटर दूरत सु किलोमीटर तक आवाज जाती थी गुरु हनुमान जो दिल्ली के थे उनके शिष्य थे और ये भीष्म त्रिपाठी जी इनको 30 अक्टूबर को गोली लगी थी अच्छा इन एक पांव से विकलांग हो गए थे लेकिन इसके बाद भी इनका जोश बढ़ गया था घटा नहीं था अच्छा हां ये वही है जो आप लोगों ने ट्रेनिंग ली थी चित्रकूट में नहीं ये ढांचा ढहने के बाद ये तीसरे गुंबद का ये मलबा हटाया जा रहा है रास्ते से ये अच्छा हां ये ये देखिए आपको फोटो

(42:29) में दिखेंगे चंद प्रकाश दुबे हैं गोरखपुर के अच्छा इन्हीं के नेतृत्व में ये सब हटाया गया ये संघ के लोग हैं क्या ये सुबह की फोटो थी ढांचा तब टूटा नहीं था ये स्व लेबर लगे थे सफाई के लिए हां सफाई की जा रही थी अच्छा तो उनको तो पता नहीं था कि यह सब होने जा रहा है अच्छा ये मजदूर थे लोकल मजदूर बचार को मालूम नहीं था हा और ये उसी को कुछ समय की बात है ये यहां के तत्कालीन डीएम आर्यन श्रीवास्तव पीछे डीवी राय हैं एसएसपी थे अब हा हां हां हां ये भी उसी दिन की है ये वो मामी जिनको हमने बताया माया श्रीवा से काट के अपना ये वो है हां महिलाओं की

(43:15) ड्यूटी यही थी कि आप मलवा टोकरी में हटा टोकरी से हटाएंगे तो ये लोग काम कर रही हैं ये सावित्री पाठक है जो आवाज दे रही हैं दिख रही है हम ये बुलाती जा रही है टोकरी में भर भर के फेंकने जा रही हैं अच्छा ये ये विक्रम दुबे जी हैं ये बीकापुर के रहने वाले हैं संजय मददे सिया है बस्ती के अच्छा ये रविशंकर पांडे जी हैं जरा देखिए 6 दिसंबर की कड़कती ठंड में भी ये बनियान पहन कर रहे हैं ये सब लोग हैं इसमें आप भी है हां ये ये वशिष्ठ गोयल हैं अच्छा ये शिवकुमार गौड़ जी हैं ये एक आईएएस अधिकारी हैं नाम नहीं बता सकता हूं मजबूरी है इस समय बहुत अच्छे पोस्ट पे है

(43:56) आई हां हां जी इस समय नहीं हुए थे हां उस समय नहीं थे ओके ये मैं हूं ये आप है हां अच्छा ये मेरे पीछे ललन दुबे है बाजार का रहने वाला ये भी घायल बहुत हो गया था तो यही यही आप लोगों ने जो पैसा मिला आपको दिल्ली से एक मीटिंग में यही आप लोगों ने हथियार खरीदे जो आप नहीं हथियार तो ब्रह्मदत्त जी ने भेजवा दिया था यही जो यही इन्हीं पैसों से उन्हीं पैसों से आए नहीं नहीं वो पैसा अलग ही रह गया था वो दवा में काम आया लो लोगों के वो काम पत्रकारों के इतने पे इतने हमले हुए थे इतनी तस्वीरें कहां से आई इतने कैमरे तोड़ दिए थे आप लोगों ने वो हमारे मिलने जुलने

(44:34) वाले थे तो उनको थोड़ा सा छूट मिल गई उन्होंने कहा भैया कुछ चाहते हैं तो उनको फिर किसी ने सबने पहचान लिया क्योंकि वो बड़े-बड़े बाल रखते थे वो अलग देखे थे देख रहे थे तो उन्होंने एक बता दिया गया था कि बस एक फोटो लीजिएगा लेकिन वो मुह लगे थे इसलिए सबसे कहते थे मैं भी आ आही शिवसैनिक आ है हम भी शिवसैनिक हैं मराठी भाषा बो मतलब वो पत्रकार होने के नाते अपना काम निकाल रहे थे किसी तरह से ठीक है मित्र थे अब आप उनकी जगह होते तो आपको भी य मौका मिलता भैया आप भी ले लीजिए फोटो कुछ लोग होते हैं जो सच दिखाने और करने वाले होते हैं उनको छूट होती है तो

(45:12) उन्होंने अपना एक खीच लिया हर जगह भय का वातावरण दिल्ली लखनऊ में आपात बैठक जिला अधिकारी पुलिस कप्तान घायल राजपाल से मिलेंगे प्रायश्चित भी कठिन होगा कांग्रेस भाजपा की मिली भगत से तोड़फोड़ किसने कहा है रेवती रवन सिंह से नेता विरोधी दल यी हां उन्होंने कहा है कि कांग्रेस भाजपा की मिली भगत से हुआ है दिल्ली भाजपा नेता वि नेता भूमिक भाजपा ने कहा हमारा हाथ नहीं यह क्या है भारतीय जनता पार्टी ने कथित कारसेवकों के विदा ढांचे में घुसकर उसे नुकसान पहुंचाने के प्रयास की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि इसमें विश्व हिंदू परिषद या राष्ट्रीय स्वय सेवक संघ के कार्य सेवकों

(45:59) का हाथ नहीं है पार्टी उपाध्यक्ष सुंदर सिंह भंडारी ने एक वक्तव्य में कहा कि यह लोग जो विश्व सेन जो शिव सेना से संबंधित बताए जाते हैं संघ तथा परिषद के कार्य सेवकों के घेरे को तोड़कर ढांचे में घुस गए और कहा कि प्राप्त सूचना अनुसार यह त्रिशूलधारी लोग ही ढाचे को नुकसान पहुंचा रहे हैं सही कह रहे हैं यह हां सही कह रहे सही कह रहे हा सही भाजपा शामिल नहीं थी शमिल थी भाजपा के दो तीन चार लोग शमिल थे चारों संजोग से मंच पर थे श्रद्धेय परम पूज्य ब्रह्म द्विवेदी जी जो नहीं रह गए साधवी रितम भरा जी उमा भारती जी और बैकुंठ लाल शर्मा

(46:40) जीय लोग आपके समर्थन में थे हा बिल्कुल समर्थन में थे व रितंभरा जी ने तो कहा कि राघव के रणधीर तुम्हें राम की सौगंध है राघव की सौगंध बिना तोड़े उतरना नहीं उन्होने हौसला जाई किया बढ़ाया जोश उमा भारती जी ने कहा धक्का जरा जोर से दो तीनों को तीनों तोड़ दो बाद में उसको लोगों ने कन्वर्ट करके कह दिया कि एक ढांचा एक धक्का और दो बाबरी ढांचा तोड़ दो इस तरह से ब्रह्मदत्त जी मंच से ही मुट्ठी बांध कर इशारा कर रहे थे शाबाश शाबाश शेर और बैकुंठ लाल शर्मा दिल्ली के सांसद थे तो भाजपा क्यों नकार रही है इतना उनको नहीं नकारना चाहिए लेकिन कर रहे थे और अब

(47:19) अपना रहे हैं बैकुंठ लाल शर्मा जी वो उन्होंने अशोक सिंघल को जबरदस्ती बैठा दिया कहा बैठ जाओ बहुत ड्रामा कर लिया तुमने यह उन्होंने शर्मा जी ने बाद में मुझे च 95 मिले तो उन्होंने कहा भी वो मंदिर के पक्षधर व्यक्ति थे बाद में व सिख हो गए थे और अपना नाम बदल करके शेर सिंह कर लिया था उन्होंने हा अमृत पान कर लिया था गुरुद्वारे में तो बहुत बहादुर आदमी थे वो महालक्ष्मी भाग्योदय दैनिक महालक्ष्मी भाग्योदय अखबार की क्लिप है ये तारीख है 13 जुलाई 1993 आडवाणी ने कल्याण सिंह कहां से कहा पहले मस्जिद गिराओ तब इस्तीफा देना सरकार या

(48:04) सुप्रीम कोर्ट कुछ नहीं कर सकती यह मेरे ख्याल से 1993 में घटना के छ महीने बाद सात महीने बाद किया गया फॉलो अप वाली खबर होती है जो लोग फॉलो अप करते हैं आरोप लगाया कि शिवसेना नेता संतोष दुबे ने एक निजी बातचीत में 5 दिसंबर 1992 को कहा था कि वह लोग एक बार में ही सारा झंझट मिटाना चाहते हैं फिर ना रहेगा बांस बजेगी बांसुरी और यह बात उन्होंने विवादित स्थल गिराने के एक दिन पहले कही थी सही बात है सही बात है क था हां कहा था किससे निजी बातचीत की है इसने लीक कर दी है बातचीत उन्होंने ही लीक कर दिया है जिससे किया था उन्होंने लीक कर दिया

(48:42) उन्होने टेप कर लिया था हमारी आवाज को अच्छा जबक मैं उनका पैर छूता था चाचा कहता था पर वो माम बंथी विचार के थे तो उन्होंने सब कर लिया था मुझे बुला कर के उन्होंने सब कर लिया था पर चलिए कोई बात नहीं है वो बड़े थे उनको पूरी छूट जो करें गार्जियन थे चेतना विचारधारा तारीख 6 दिसंबर 1992 उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का इस्तीफा खबर है कि कार सेवक पत्रकारों को टेलीफोन नहीं करने दे रहे इलाहाबाद में कर्फ्यू फैजाबाद में कर्फ्यू बिहार में सतर्कता दिल्ली में सीआरपीएफ और पैरामिलिट्री फोर्सेस राजस्थान अयोध्या ने अयोध्या की घटनाओं को भाजपा ने

(49:21) दुर्भाग्यपूर्ण बताया पत्रकार प्रेस फोटोग्राफर घायल बनारस कर्फ्यू दो कारसेवकों की मौत विवाद चार देव गुंबज क्षतिग्रस्त करके भगवा फहराया किसने झंडा किसने फहराया था ा क्या व झंडा क्या व उसम तीनों गुंबद पर पहुंचने के बाद लोगों ने अति उत्साह में इसमें दुर्गा पहलवान थे तो सबसे पहले इन्होंने गमछा फिर बांध दिया वो हम लोगों से सुनते रहते थे तो उन्होने पहुंच के बांध दिया फिर उसके बाद ओम प्रकाश यादव थे उन्होंने दूसरे को गुंबद पे बांध दिया व गमछा था झंडा नहीं था नहीं वो झंडा नहीं था झंडा तो बाद में लोग कुछ लेकर आए वो शिवसेना का ही झंडा था आपको दिखेगा वो

(50:03) उसमें लिखा हुआ हालांकि कोई फुटेज उस दिन की कोई बहुत बाहर आने नहीं पाई थी हम लोगों ने पूरी सावधानी रखी थी हम लोग कोई इतने भी जाहिल नहीं थे कि देश का अपमान कराते तो इस इस योजना में भी था कि कुछ चीज बाहर ना जाने पावे तो तीनों गुंबद पर वो गमछे ही बांध दिए गए लेकिन उन गमछ की जो समय सीमा थी दो चार 10 मिनट थी फिर उसके बाद तो लोगों ने दूसरा काम शुरू कर दिया ना उस पर गतिया चलने लगी और गती से जब प्रथम लेयर टूट गया उसका तो फिर वो बहुत कमजोर हो गया था अब आज लोग अब तो पूरे देश में सब कार सेवक ही है स्वागत है इन सभी कार सेवको का जो भी इसम शामिल है

(50:46) आप इसको जी उसको कार सेवक मानते हैं हा मैं एक बुजुर्ग माता जी का परसों में एक इंटरव्यू देख रहा था किसी चैनल प तो उन्होंने कहा आखरी गुं गिर नहीं रहा था एक बंदर आया और उसने धक्का दिया गिर गया बहुत देर प्रयास तो मुझे लगा कि अयोध्या आई नहीं थी कभी इन्होंने यहीं बैठे में रहती है वही है क्या नहीं नहीं वो कहीं गुजरात की है तो मुझे लगा कि गुजरात में ही ज्यादातर सत्यवादी लोग पैदा होते हैं कि 90 वर्ष की आयु में जब राम के नाम पर सत्य बोला जाता है तो वो राम के नाम पर ही असत्य बोल रही थी तो लेकिन चलिए सब ने किया वो मन से ही उन्होंने वहीं से बंदर

(51:22) भेज दिया और गिरवा दिया जरा सोचिए कि बंदर एक ईटा गिरा सकता है दो ईटा गिरा सकता है इतनी मोटी दीवाल कैसे लेकिन लोगों की अपनी मानसिकता है तरह तरह से लोग लोग बात करते हैं सबकी बात हम लोग सुनते रहते हैं अपने राम को तो मंदिर से काम था हा और सब मैं मानता हूं पूरा देश कार सेवक है जो धर्म का काम करे राष्ट्र का काम करे वह सभी कार सेवक है और उन सबका स्वागत है वह सब वंदनीय पूजनीय प्रात स्मरणीय है यह कैसी फोटो है ये गोली लगने के बाद ये अमरनाथ पांडे जी हैं और रविशंकर पांडे जी उठा के ले जा रहे हैं किसको हमको ये आप है जी देखिए

(52:05) ना ये कोई फोटोग्राफर है सामने क्या हां ये वही विदेशी फोटोग्राफर थे कोई हनुमान गढ़ चौड़ा पर लाश ले जाते हु लाश लाश का सिर उठा रहता है क्या ग गलती से कह दिया होगा लिख किसी ने लिख दिया मेरे ख्याल से इस तरह की कॉन्फ्लेट और वॉर वाली रिपोर्टिंग में गड़बड़ी होती होगी इस तरह की वो एक आम सी बात है उसम उसम वो सॉरी मैं इसम लगा देता हूं और आप जैसे इस बातचीत के शुरू होने के पहले बता रहे थे कि मीटिंग्स वगैरह लगातार हो रही थी हा गाव गांव में सब जगह पूरे पूर्वी उत्तर प्रदेश में विशेषकर जगह जगह मीटिंग हो रही थी जिसको आप देख सकते हैं

(52:54) इस शोहरतगढ़ है सिद्धार्थ नगर जिले में ये सब वहां की है ये आप है मंच पे हां जी जी तो इधर आप देख सकते हैं ये ये गोंडा जिले का है जनपद गोंडा का जी ये ऐसे ही जगह-जगह सब जिले जिले में जनपद वाइज मीटिंग होती थी ये पूरी तैयारियां देखी गांव में किस तरह हो रहा तो इस तरह किया जाता था मुझे इन तस्वीरों को देखते हुए एक फोटो बहुत इंटरेस्टिंग लगी थी जी मैं वो देखना चाह रहा हूं यह फोटो जिससे मैं बात करना चाह रहा था शायद आपने इनका परिचय भी बताया था और ये भी बताया देव रामदास वेदांती जी एक सेकंड ये निकल जाएगा तो स रिफलेक्शन एक बात बताइए जब तक आप निकाल रहे तब तक

(53:51) मैं से पूछ लू जी कि ठीक है छोड़ दीए सर ऐसे नहीं छोड़ दिजिए ऐसे ही छोड़ दीजिए ऐसे ही छोड़ दीजिए कोई दिक्कत नहीं ये कौन है ये महंत देवराम दास वेदांती जी है ये अच्छा जी जिनके आश्रम में इतने लोग रुके थे जिन्होंने भोजन पानी सबकी व्यवस्था कराई थी अच्छा 5000 लोग जी जी जी ये कार सेवकों की श्रद्धांजलि सभाएं जो कर लेते थे वो तो अयोध्या की है सब ये सब ना हां हां यह कौन है बारबार कई तस्वीरों में दिख रहे हैं शिवसेना के राष्ट्रीय नेता सुरेंद्र कुमार बिल्ला जी हैं तो यह भी बहुत इन्होंने बहुत काम किया इस दिशा में बड़े योजना कार्य भी थे जब बुलाया जाता था तो

(54:41) ये आते थे बड़े रणनीतिकार थे और चे की तस्वीर क्या है यय वही बिल्ला जी है इनको गिरफ्तार कर लिया गया था ये जा रहे हैं तो हम लोगों को यहां ढ़ बाजार चौराहे पर गिरफ्तार कर लिया गया था आप लोगों कभी भाजपा नेताओं के साथ कभी कोई ऐसा कॉन्फ्लेट नहीं हुआ कि आप लोग जो बाद के वर्षों में भाजपा के नेता इस पूरे आंदोलन की क्रेडिट लेने लगे जी संघ परिवार को और विश्व हिंदू परिषद ने इसको अपना आंदोलन बताया और क्या आपका कभी कोई कॉन्फ्लेट नहीं हुआ इसको लेके क्योंकि आपका राजनीतिक आंदोलन नहीं था इस वजह से हम ना उनकी राजनीति में हमारी कोई

(55:20) दिलचस्पी थी हमारा उद्देश्य केवल ढांचे को ढाना और मंदिर बनाना था और बिना ढाए व बनता ना तो हम लोगों का काम उतना था उसके बाद प्रेशर देना यहां से अयोध्या से 2016 से 19 तक लगातार धर्म संसद आयोजित कर हम लोगों ने उनको बार-बार यह चेतावनी दी अब मंदिर निर्माण नहीं तो इसके आगे और बड़ा बल होगा तो यह देवराम दास जी इसमें देख सकते हैं देव यह बैठक का वो दौर है ये यह सारी तैयारियां हो रही है वो 92 के पहले की तैयारी फोटो ऐ रही है हां जी जी जी वही तैयारी है देख रहे हैं ना फोटो देखिए ये अंतिम दौर में सब चल रहा था किस और ये साफसाफ बोला जाता था इन मीटिंग्स में कि

(56:07) आपको ये करना है आपको चे प ये मारना है हां बिल्कुल ये साफसाफ एकदम बोला जाता था हां बिल्कुल साफसाफ ये तय होता था कि यही इतने इतने काम होने थे और रणनीति बनाने वाले बहुत से बड़े लोग थे ऐसा नहीं है कि कोई एक दिन में एक काम हो गया ये आप लोग लगभग आप बता रहे थे डेढ पौने दो साल मेहनत की थी आपने दिन तो लगा ही लगा इस बीच हम लोगों ने घाट घाट का पानी पिया हम लोग मिलने गए जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद जी से परमहंस जी के कहने पर जो ज्योतिर मठ के मठ के जो अभी मुक्तेश्वरा नंद जी जिस गद्दी में बैठे हुए हैं अभ मुक्तेश्वरा नंद जी तो बहुत

(56:47) वंदनीय व्यक्ति है उनके गुरु उनके गुरु जी थे स्वरूपानंद जी वो चाहेंगे तो हम फोटो मंगवा देंगे उन्होंने हमको बड़ी बधाई दी उन्होंने भी बड़ा सहयोग किया था और कुछ ऐसे लोग आए थे उनके भी भेजे स्वरूपानंद जी के जो हम लोगों को हर समय मार्गदर्शन करते रहते थे कि किसकिस तरह काम करना है वो यह समझ लीजिए कि मीटर टू गेज उनको पूरी जानकारी थी उन लोगों ने यह बताया था वोह जो महाराज जी मिलते थे वो स्वरूपानंद जी के बड़े समर्थक कहते थे कि वो बड़े क्रांतिकारी संत हैं व अंग्रेजों को खदेड़ने में उनकी बड़ी महती भूमिका रही अब एक बात मुझे बताइए आप लोगों के ऊपर एक केस

(57:31) चला लंबे समय तक जिसका फैसला दो-तीन साल पहले ही आया है उसको कहते हैं बाबरी मस्जिद डिमोलिशन केस एक तो जो 19 में फैसला आया था वो तो टाइटल सूट था जी जमीन का मलिकाना किसके पास है अगर आसान भाषा में समझाएं वो वो केस तो डिमोलिशन का केस वो क्रिमिनल कंस्पिरेशन का केस था कि क्या बाबरी मस्जिद गिराने के लिए आपराधिक साजिश रची गई थी यही तो केस था हम आप उसम आरोपी थे जी अगर आप यह कह रहे हैं कि आप इतने लेवल प इस पूरे योजना में इवॉल्व थे संतोष जी तो क्या कोर्ट में प्रूव नहीं हो पाया या क्या एविडेंस नहीं मिले क्या हुआ कि आप सभी लोग उस केस में बरी हो गए हुआ क्या

(58:10) ऐसा देखिए सच तो ये है कि राम जी का काम था तो दुनिया की कोई ऐसी अदालत नहीं थी जो राम भक्तों को सजा दे देती बहुसंख्यक हिंदू राष्ट्र भारत में कोई भी जज इतना बड़ा रिस्क नहीं ले सकता था और उस जज को यह मालूम हो उन माननीय न्यायाधीश को यह मालूम हो कि यह राम जन्मभूमि है यह बाबर की क्या है बाबर क्या होता है यहां का और कोई कांस परसी है कोई षड्यंत्र है तो है तो है बाबर का यहां क्या है और बाबर के वंशजों ने तो इस देश में बहुत नुकसान किया तमाम मंदिर तोड़े और मस्जिदें बनाई महजिद बनाई महजिद तो इसके लिए वो तमाम षड्यंत्र उन्होने कि

(58:51) हमने तो छोटा सा षड्यंत्र किया षड्यंत्र भी नहीं हमने धर्म कार्य किया है वो तो रोज आतंकवादी पैदा करते हैं उनसे बम विस्फोट कराते हैं मंदिर तोड़ते हैं हमने तो कार सेवा की धर्म का कार्य किया आप कह रहे इस लॉजिक के चलते आपका जोय लॉजिक इस चलते अदालत से आप लोगों से बरी किया गया सभी लोगों को अा सीबीआई उसमें सबूत भी तो नहीं जुटा सकी कैसे जुटा लेती हां मतलब कोई केस है केस ही अगर अदालत में कमजोर है बाहर जो भी कहा जा रहा है तो जी जी जी तो इसलिए उसमें कोई दम नहीं था और जब दम नहीं नहीं था तो कैसे चलता बाद में वो यहां का अयोध्या का एक

(59:28) मौलाना भी गया उसमें वो जो हमेशा उसकी टांग अड़ने का आदत है हर फटे में तो वो गया लेकिन खारिज हो गया उनके निर्णय के विपरीत गया था लेकिन खारिज हो गया तो यह जो परिस्थितियां थी यह भक्ति का चर्म काल था कोई इस पर गलती नहीं कर सकता था यह सबको मालूम है कि जिस देश की बहुसंख्यक हिंदू जनता ने अपना प्रधानमंत्री बनाया हो कई राज्यों में अपना मुख्यमंत्री बनाया हो तो इसका मतलब एक बिंदु विशेष पर राम के नाम पर ये सरकारें कांग्रेस की जड़ से उखड़ करर समाप्त हो गई जड़ ऊपर हो गई और उसका जो ऊपर वाला सिराव होता वो नीचे आ गया केवल राम जन्मभूमि की मुद्दे पर

(1:00:11) मुलायम सिंह का पूरा वंश कुत्ता बिल्ली तक सांसद होता था विधायक होता था जो मजबूत हुई भाजपा उसकी भिक्षा पर उनको पद्मश्री अवार्ड मिला था तो ऐसा नहीं है यह राम का काज था और अंदर से सब चाहते थे लेकिन ऊपर से ड्रामेबाजी चलती रहती थी अंदर से समाजवादी पार्टी के लोग भी चाहते थे कि मंदिर बनना चाहिए कांग्रेसी भी चाहते थे अरे बहुत से लोगों से बात हो जाती कभी मिल जाते हैं शादी बवाह किसी ऑकेजन में तो कहते हैं कहते रहे उस समय कि यार मंदिर तो बनना चाहिए हम भी तो हिंदू हैं लेकिन क्या करें ऐसे साले दल में ऐसे गालियां बगते थे ऐसे साले दल में जहां नाम तो समाजवादी है

(1:00:51) पर काम नमाज वादी है ऐसा भी बोलते थे हम कांग कांग्रेस में ऐसे लोग बोलते थे हम कांग्रेस में ऊपर के लोग हमारी भावना समझते नहीं यह नाश कराने पर तुले हुए हैं इनको ऐसे लोग मिल जाते हैं जो मति भ्रम कर देते हैं इनको दिग्विजय सिंह मिल जाते हैं मणि शंकर अयर मिल जाते हैं जो आवाव सिखा देते हैं व बोलने लगते हैं तो यह नाश करा दे रहे हैं तो मंदिर तो बनना चाहिए हा कांग्रेस के बहुत अच्छे अच्छे नेता व सब मिलते तो कहते थे कि मंदिर तो बनना ही चाहिए हमारा नेतृत्व पगला गया है हम लोग क्या करें तो उनको भी पीड़ा है ऐसा नहीं है कि अच्छा एकदम बेख एकदम बिना किसी उसके

(1:01:30) गुरेज के बताइएगा मुझे मेरा आखिरी सवाल होगा हो सकता है ये ये आखिरी के ठीक पहले वाला सवाल मैं अयोध्या में दो ढाई दिन से तीन न दिन से घूम रहा हूं लोगों से मिल रहा हूं तो बहुत सारे लोग हैं राम मंदिर बनने से लगभग लगभग सभी लोग खुश हैं राम मंदिर बनने में किसी को कोई शिकायत नहीं है लेकिन राम मंदिर के अलावा बहुत सारी चीजें भी बन रही है अयोध्या में जैसे एक सड़क बनाई जा रही है राम पथ नाम से एक सड़क बनाई जा रही है परिक्रमा पथ एक एक नया चौक बनाया गया है कोई सुंदरीकरण हो रहा है कहीं एयरपोर्ट बन रहा है सड़क चौड़ी हो रही है लोग बोल मंदिर तक ठीक है

(1:02:08) लेकिन अयोध्या में अब डेवलपमेंट और मंदिर टूरिजम के नाम पर बड़ी गड़बड़ियां चल रही है आप इससे कुछ वाकिफ रखते हैं इससे या कुछ आप अलग राय रखते हैं बिल्कुल जो अध लोग कह रहे हैं सही कह रहे हैं 100% सही कह रहे हैं बिल्कुल लूट मची हुई है यहां एकदम के नाम पर और यह जो टूरिजम और यह सब है ना यह मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की नगरी है यहां कहीं ऐसा ना हो जाए कि कभी सरजू जी बढ़े तो जैसे केदारनाथ जी की त्रासदी थ वहां लोग पिकनिक मनाते थे ना ढक्कन खोलते थे ना तो फिर क्या हुआ एक लाख लोग निपट गए तो ऐसा ना हो जाए कभी कि सारा

(1:02:46) टूरिजम क्योंकि सेवन स्टार फाइव स्टार जो होटल बनेंगे तो व क्या वहां रामा चरण धर्मा चरण होगा या मंगलाचरण होगा वहां तो दुरा चरण होगा तो उस दुरा चरण से अयोध्या को बचाना ही होगा अगर देश के कर्ण धारों ने इस पर नहीं सोचा तो आएगा तूफान तो रावण तेरी स्वर्णिम लंका भी ढह जाएगी इसे लंका ना बनाइए साहब इसको महर्षि वशिष्ठ की नगरी एकक मनु काकुस रघु अज दशरथ और प्रभु श्रीराम की नगरी बने रहने देना चाहिए उनकी मर्यादा गुण गौरव गरिमा के अनुसार अयो का डेवलपमेंट एक सीमा तक है राम मंदिर भव्य बने सड़कें चौड़ी बने लेकिन यह जो तमाम शोष पंथी हो रही है

(1:03:33) ड्रामा हो रहा है यह अच्छा नहीं है यह नुकसान दे है नुकसान देगा आप कह रहे मतलब आपका यह मैसेज क्या उन लोगों की तरफ से है जो मंदिर ट्रस्ट से जुड़े हुए हैं जिनके हाथ आसपास में सारा कंस्ट्रक्शन का काम आ रहा है आपका य मैसेज उनकी तरफ है देखिए ट्रस्ट के लोग आदरणीय हैं क्योंकि राम के ट्रस्ट में जुड़ गए तो राम के ट्रस्ट में जो जुड़ जाए आदरणीय हो जाता है लेकिन राम के ट्रस्ट में ऐसे भी लोग जुड़े जिन्होने हम कारकों पर गोलिया चलवाई थी मुलायम सिंह सरकार में प्रमुख सचिव ग्रह रहे ऐसे भी लोग हैं और इस ट्रस्ट पर प्रश्न चिन्ह शुरू से था आज भी है इस ट्रस्ट के लोग

(1:04:09) कहते हैं कि अयोध्या के लोग गर्दन काट देते हैं सोने चांदी के लिए य अयोध्या को गाली दी जा रही है मे चंपत राय का बयान कोट कर रहे आप खूब समझ सकते हैं मैं क्यों नाम लू अपने मुंह का स्वाद क्यों मैं खराब करूं पर आप तो सब जानते हैं पर वो सब आदरणीय है और जिन लोगों को यह लोग बुला रहे हैं क्योंकि वो शंकराचार्य को बुला रहे हैं शंकराचार्य बोलले कि हम नहीं आए शकरा को कहा बुला रहे हैं शंकराचार्य को नहीं बुलाया उन्होने कहा कि हम भेजेंगे आप ना आना चाहे नहीं बिल्कुल नहीं भेजा उन्होंने आडवाणी जी का अपमान किया कि चिट्ठी तो भेज द आइए नहीं आपके सामने भोजन

(1:04:45) की थाली रख दी जाए और कहा जाए खाइए कि नहीं बहुत स्वादिष्ट है आडवानी जी इस पूरे आंदोलन के भाई साहब वो योग पुरुष है उनका अपमान इस देश के लिए ब गहरा आघात पहुंचा रहा है कल यह काम करने वाले भी बूढ़े ही हो गए हैं मरी ही है सबकी लगभग आधे लोगों की रोग से ग्रसित है चाय भी पीते हैं तो पहले इंजेक्शन ठोकवा हैं तो इनको भी यही मिलेगा जो आप करते हैं ना आने वाली पीढ़ी देख रही है दंड आपको भी मिलेगा जो बोर हैं ना कटेगा यही कुछ अलग नहीं कटेगा जोष जी का अपमान करना संतों का अपमान करना जगत गुरुओं का अपमान करना यह अच्छा नहीं है और

(1:05:25) मर्यादा पुरुषोत्तम राम की मर्यादा का सीधे-सीधे यह ट्रस्ट के लोग उल्लंघन कर रहे हैं यह अच्छा नहीं है बताइए साहब नरेंद्र मोदी जी ने वह युग पुरुष है वह व्यक्ति जिस व्यक्ति ने 500 वर्षों के आंदोलन को विराम दिलाया कैसे दिलाया उसकी मर्जी महामानव की हमको तो मंदिर से मतलब था ना मैं उनको प्रणाम करता हूं कि उन्होंने पूरे देश को देश और हिंदू स्वाभिमान की सुरक्षा की इसी तरह इस राज्य का मुख्यमंत्री प्रभु राम के चरणों में लौट जाता है और तो मुख्यमंत्री आए गोली चलवा रहे थे यह मुख्यमंत्री है कि पुष्प वर्षा करता है आए हुए लोगों पर श्रद्धालुओं पर तो एक

(1:06:05) करेक्टर यह भी है और व जो गोली चलाने वाले करेक्टर थे उनको भी नेवता भेजा गया उनके परिवार को उनके वंश धरों को मतलब रक्त बीजों को नवता भेजा गया तो आप क्या कह सकते हैं इसे मैं तो नहीं समझ सकता हूं कि यह अच्छा है पर अगर लोगों को यह अच्छे लगते हैं तो बुलाना चाहिए मेरा वो विषय नहीं है मेरा विषय मंदिर बन रहा है तो मैं सदैव मुखर होकर बोलता रहा हूं मेरे स्वभाव में रहा मैं कभी दबाव में किसी के नहीं आया सच बात कही है धर्म का कार्य किया है कल को यह लोग कहेंगे ये थे ही नहीं अयोध्या में नहीं थे पैदा ही नहीं हुए थे इन पर मुकदमा ही नहीं चला ये कुछ किए ही

(1:06:43) नहीं है हां नहीं किया है अरे हम राम काज करने आए थे 56 साल में भी भगवान की कृपा है इतना दंड झेलने के बाद भी कोई रोग दोष नहीं दिया प्रभु ने और जितने लोगों ने ने इसका मलाई खाया था जरा उनकी चेकअप करा लीजिए 300 से नीचे शुगर नहीं है हमेशा स्वस्थ रहे हैं वो हमारी हमरी राम राम कार्य करने का ये प्रमाण है टूटे घर में रहता हूं चार आना का कोई दाग नहीं लगा इसलिए कि आप जब सही करेंगे तो आपको सम्मान मिलेगा कभी मैंने सुरक्षा नहीं मांगी चाहिए नहीं क्योंकि जाको रथ रघुनंदन हा के ताको कौन पछारे हम तो राम जी के सेवक हैं उनके बेटे

(1:07:20) हैं माता जानकी के पुत्र हैं हमें कोई टेंशन नहीं है मस्त रहते हैं काम राम का था कर दिया अपनी जिम्मेदारी पूरी जो हमारा धार्मिक आचरण था वह भगवान ने जो एक मन में भाव था विचार था उसे पूरा करा दिया अब 30 जनवरी को राम लीला के दर्शन करने जाएंगे राम लीला के दर्शन करेंगे वह राम लला तो किसी बपौती है नहीं वह तो हमारे है ना हम लोग उनके हैं राम लला के दर्शन करेंगे नंगे यही नंगे पाव घर से जाएंगे प्रभु को प्रणाम करेंगे और निवेदन करें करेंगे प्रभु आगे कोई योजना और मेरे लिए कोई काम हो कोई जिम्मेदारी हो तो सौप दीजिए काशी मथुरा

(1:08:00) चाहते हो तो आप आपकी मर्जी मैं तो तैयार बैठा हूं अगर ऐसा हो तो फिर करेंगे बिल्कुल करेंगे क्यों नहीं करेंगे अरे अभी पूरा तेल बाकी है अभी तो टंकी में पूरा बाकी है अभी घटा थोड़ी ना 114 साल की आयु देकर भेजा है उन्होंने तो 100 साल तो जिवंग ही तो अभी तो आध हुआ है तो राम कार्य कर कोतुर तैयार बैठे हैं उनको फिर आदेश देंगे तो फिर कुछ किया जाएगा और नहीं तो उनका भजन अगर आदेश हो गया तो सन्यासी बनकर फिर से अलग जगाए राम काज के लिए तो यह थे संतोष जी तमाम सवालों के जवाब देते हुए अपनी कहानी और जो बाबरी मस्जिद विद्वंस के लिए कथित प्लानिंग जो हुई थी सब कुछ के बारे

(1:08:43) में एक फ कथित प्लानिंग नहीं हु प्लानिंग प् प्लानिंग हुई थी जैसा वो कह रहे प्लानिंग हुई थी तो बाबरी मस्जिद गिराने की जो प्लानिंग हुई थी उसके बारे में जानकारियां देते हुए कथित मैं इसलिए कह रहा था कि कोर्ट में प्रूव नहीं हुआ हालांकि अब आप कह रहे हैं तो मैं कह देता हूं कोर्ट ने भी कोर्ट ने भी कहा ना इस बात को तो उन्होंने भी स्वीकार किया कुछ है ही नहीं इसमें क्रिमिनल कंस्पिरेशन वाला केस था वो मैं बोल रहा हूं कंस्पिरेशन नहीं प्रूव हुई ना मैं इसलिए बोला कथित इस्तेमाल किया मैं कथित काल कथित का समर्थन करता हूं आप कथित

(1:09:19) का समर्थन कर रहे हैं अब तक नहीं कर रहे थे आपको बातचीत कैसी लगी हमें जरूर बताइएगा हम इस मुद्दे परम तमाम वीडियोस आपके बीच लेकर आ रहे हैं उन पर भी अपनी राय दीजिए हमें कमेंट सेक्शन में इतना जरूर बताइए कि आप और क्या सुनना देखना समझना चाहते हैं अयोध्या से बहुत-बहुत शुक्रिया

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now       

Share Now

How useful was this post?

Click on a star to rate it!

Average rating 0 / 5. Vote count: 0

No votes so far! Be the first to rate this post.

As you found this post useful...

Follow us on social media!

We are sorry that this post was not useful for you!

Let us improve this post!

Tell us how we can improve this post?

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now       
Scroll to Top