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नई अयोध्या | Ayodhya Documentary | all tourist places | Research on Ramayana | History of Ayodhya

यह है आज की आधुनिक अयोध्या तो चलिए इसे गहराई से जानने की शुरुआत करते हैं बस अड्डा राम मंदिर से 7 किमी की दूरी पर 14 बीघा जमीन पर 219 करोड़ की लागत से लखनऊ हाईवे पर नया बस अड्डा बनकर तैयार है रेलवे स्टेशन मंदिर से 1 किलोमीटर की दूरी पर 240 करोड़ रुपए में नया रेलवे स्टेशन डिजाइन किया गया है भविष्य में अयोध्या से दिल्ली मुंबई चेन्नई बेंगलर पुणे कोलकाता नागपुर लखनऊ और जम्मू जैसे शहरों के लिए विशेष रेलगाड़ियां चलाई जाएंगी हवाई अड्डा 1450 करोड़ रपए में लगभग 1300 बीघे में फैला हुआ प्रयागराज हाईवे पर नाके के पास

New Ayodhya: A Documentary Journey through History, Culture, and Ramayana

(00:38) बनाया गया है नया एयरपोर्ट यहां से राम मंदिर की दूरी सिर्फ 12 किलोमीटर है भविष्य में कई बड़े महानगरों के लिए सीधे उड़ाने उपलब्ध हो घाघरा जल मार्ग अगर आपके पास अपनी खुद की मोटर बोट है तो छपरा से घाघरा यानी सरयू नदी की सर करते हुए लगभग 300 किमी नदी में चलकर भी अयोध्या पहुंच सकते हैं भविष्य में इस रूट के लिए भी मोटर बोर्ड चलाए जाने का प्रस्ताव है राम मंदिर अयोध्या के राम मंदिर की कुल कीमत है 1800 करोड़ पूरी तरह बन जाने के बाद अयोध्या का मुख्य आकर्षण होगा राजस्थान के मशहूर मकराना के पत्थरों से आकार लेते इस मंदिर की अनुमानित उम्र होगी लगभग 1000

(01:13) साल 22 जनवरी को पहली मंजिल का उद्घाटन होगा जिसमें राम की बाल्यावस्था की मूर्ति रखी जाएगी बाकी की दो मंजिलों का कार्य चलता रहेगा खजुराहो के मंदिरों की नागर शैली के आधार पर इसे तराशा जा रहा है मंदिर का कुल क्षेत्रफल 156 एकड़ या 251 बीघा है हनुमानगढ़ी राम मंदिर से लगभग 800 मीटर की दूरी पर स्थित है हनुमानगढ़ी मंदिर के आवासीय परिसर को मिलाकर यह लगभग 52 बीघे में फैला हुआ है मंदिर की 76 सीढ़ियां चढ़कर हनुमान जी के दर्शन के बाद ही राम मंदिर में जाने का विधान है यह मंदिर अयोध्या शहर के ठीक बीच में एक ऊंचे टले पर बना है शहर की तरफ आने वाले

(01:45) आक्रमणकारियों के आने की सूचना यहीं से प्राप्त करके अयोध्या के राजा तक भेजी जाती थी इतिहासकारों के अनुसार जितनी बार भी अयोध्या पर आक्रमण हुआ उतनी बार इस मंदिर को भी विध्वंस झेलना पड़ा हालांकि सन्यासियों ने हर बार इस मंदिर को फिर से खड़ा किया आज यह मंदिर रामानंद संप प्रदाय और निर्वाणी अखाड़े के अधीन है राम की पेढ़ी अयोध्या को सरियु नदी की भयंकर बाढ़ से बचाने के लिए इस बांध का निर्माण किया गया था जिस पर श्रद्धालुओं के स्नान के लिए कई घाट बना दिए गए थे इतिहासकारों के अनुसार जितनी बार भी बांध टूटता था सरियु का पानी अयोध्या की गलियों में घुसाया

(02:15) करता था इसी बाड़ से बचने के लिए पूरे अयोध्या में जगह-जगह पर ऊंचे टीले बनाए गए थे जैसे राम टीला हनुमान टीला लक्ष्मण टीला आज ये बांध अयोध्या का मुख्य पर्यटन स्थल बन चुका है हर दीपावली पर यहां लाखों दिय जलाकर रामायण की उस घटना को उत्सव के रूप में मनाया जाता है जब श्रीराम अयोध्या वापस लौटे थे अयोध्या के कई बार उजड़ने के पीछे एक कारण इस नदी को भी माना जाता है हालांकि इसी नदी की वजह से यहां पर गन्ने की खेती बड़े स्तर पर की जाती है लता मंगेशकर चौराहा नया घाट और बस स्टैंड के पास ही अयोध्या का मुख्य चौराहा 6.7 करोड़

(02:46) में बनकर तैयार हुआ है पद्मश्री से सम्मानित राम सुथार जी ने दो माह के कठिन परिश्रम के बाद इस 40 फीट लंबी वीणा को आकार दिया 14 टन की इस वीणा को लता जी के स्मृति चिन्ह के रूप में यहां पर लगाया गया है इसीलिए इसका नाम नया घाट चौराहे से बदलकर ता मंगेश का चौराहा कर दिया गया है धर्म पथ नया घाट से कुछ पहले सड़क के दोनों तरफ 30 फीट ऊंचे 40 सूर्य स्तंभ लगाए गए हैं जिसे धर्म पथ का नाम दिया गया है जो श्री राम के राजकुल सूर्यवंश का प्रतीक है दशरथ समाधि स्थल नए बस अड्डे के बगल से एक पतली रोड कछार से आगे बढ़ते हुए लगभग 12 किलोमीटर दूर ले आती है दशरथ

(03:20) समाधि स्थल जो बिलर घाट पर मौजूद है जिसके बारे में मान्यता है कि यहां पर राजा दशरत का दास संस्कार हुआ था राम मंदिर के साथ ही इस जगह को भी पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किए जाए की योजना पर कार्य चल रहा है भरतकुंड अयोध्या से 15 किमी दूर है नंदीग्राम यहां मौजूद तालाब को भरतकुंड कहते हैं मान्यता है कि इसी जगह से भरत ने पूरे अयोध्या का राज कार्य संचालित किया था पर्यटकों के लिए इस स्थान को भी विकसित किया जाएगा गुप्तार घाट राम की पेड़ी से सरियों नदी के किनारे चलते हुए 10 किमी दूर स्थित है गुप्तार घाट यह कैंट एरिया में पड़ता है इस जगह को श्रीराम के जल

(03:51) समाधि के रूप में महत्व दिया जाता है इसके अलावा अयोध्या नगर में हर गली में कई विशेष मंदिर हैं जिनकी अपनी मान्यताएं हैं कथाएं हैं विशेषताएं हैं पूरी तरह से विकसित हो जाने के बाद नई अयोध्या को पूरी तरह से जानने के लिए इसका आनंद लेने के लिए कम से कम तीन दिनों तक यहां रुकने की आवश्यकता है देश विदेश से ज्यादातर पर्यटक भारत आते हैं उत्तर प्रदेश में आग्रे का ताजमहल देखने और प्राचीन नगर काशी और सारनाथ घूमने प्रश्न यह है कि अयोध्या घूमने और श्री राम का मंदिर देखने के लिए भला विदेशी क्यों आएंगे और इसका कारण है भारत में लिखी गई राम कथा की सबसे पहली और

(04:22) प्राचीन पुस्तक रामायण भारत में रामायण के अलावा कंबोडिया में रीम केर थाईलैंड में राम कियन जो कि वहां की राष्ट्रीय पुस्तक है इंडोनेशिया में ककक नेपाल में भानुभक्त रामायण जैसे पुस्तकों में वाल्मीकि की रामकथा से प्रेरणा लेकर इसे अपने-अपने देश की संस्कृत के हिसाब से फिर से लिखा गया है पात्रों के नाम कुछ नई घटनाओं के अलावा मूल रामकथा सभी में एक जैसी है इसके अलावा भारत में ही रामकथा को लेकर संस्कृत में सात संस्करण हिंदी में तीन संस्करण गुजराती में 47 उड़िया में 14 तेलुगु में पांच कन्नड़ में चार और अन्य भाषाओं में लगभग 17 संस्करण मौजूद है इसके अलावा लिखे

(04:58) गए नाटक कविताएं आद को भी अगर मिला दिया जाए तो इस दुनिया में 300 से अधिक तरह से राम कथाएं बार-बार लिखी गई हैं इन सभी राम कथाओं पर कई विशेषज्ञों ने समय-समय पर अध्ययन किया और अपने विचार दिए फादर कामिल बुलके हरमन जकोबी वेंडी डोनकर एडवर अल खर अल्फ हिल्ट बीटेल पाउला रिचमैन अब्र मेनन रमेश मेनन राधा विश्वनाथ सांतनु गुप्ता मीनाक्षी जैन लाला सीताराम स्वामी ज्ञानानंद सरस्वती जैसे कई लोगों ने समय-समय पर राम कथा को लेकर घन शोध किया और इसमें छिपे हुए मूल कथा के के साथ ही इसके इतिहास को समझने का प्रयास भी किया राम कथा थी कौशल प्रदेश के द्वारा

(05:34) किष्किंधा और लंका पर विजय प्राप्त करने की पहली बार एक अखंड भारत के निर्माण की रामायण महत्त्वपूर्ण इसलिए हो जाता है क्योंकि यह अखंड भारत युद्ध से अधिक व्यक्ति के आदर्शों सूझ बोझ मित्रता जैसे गुणों से स्थापित हुआ रामायण एक ऐसा डॉक्यूमेंट है जो यह समझाता है कि भारत पहली बार एक कैसे हुआ इसलिए यह गाथा ना तो कभी भुलाई जा सकती है और ना ही कभी मिटाई जा सकती है और आज की अयोध्या उसी अखंड भारत का एक प्रतीक है अब अपनी संपन्नता के कारण जिसने समय-समय पर बाहरी आक्रमणकारियों का भी सामना किया अयोध्या की इसी संपन्नता ने यहां पर मुगलों को भी

(06:07) आकर्षित किया महात्मा बुद्ध भी यहां पर रुके सिखों के गुरु साहब भी आए और जैन धर्म के तीर्थांजी कितनी बार उजड़ी इसके बारे में बहुत अधिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है सूर्यवंश के पतन के साथ ही अयोध्या का भी पतन होता रहा बीच में कई स सालों तक अयोध्या मानव विलुप्त सी हो गई इसका कारण क्या था इसका कोई प्रमाण नहीं है अयोध्या को फिर से खोजकर उसे स्थापित करने में बार-बार राजा विक्रमादित्य का नाम आता है लेकिन विक्रमादित्य एक उपाधि है जिसे कई राजाओं को दिया गया था तो यह कहना मुश्किल है कि किस कालखंड के कौन से राजा ने यह कार्य किया कुछ विशेषज्ञों का मत है कि यह काम

(06:44) उज्जैन के राजा विक्रमादित्य ने किया होगा नंद वंश मौर्य वंश शुंग वंश गुप्त वंश आदि के साम्राज्य में भी अयोध्या का वर्णन प्राप्त होता है सबसे बड़ा विध्वंस हुआ 1527 के आसपास बाबर के कार्यकाल में जब राम मंदिर को ध्वस्त कर बाबरी मस्जिद स्थापित की गई सन 1722 में बंगाल के नवाब अली वर्दी खान ने व्यापार के नजरिए से राम मंदिर से कुछ किलोमीटर की दूरी पर एक नया शहर बसाने की शुरुआत की 1730 में अवद के पहले नवाब [संगीत] सादतपुरा ने फैजाबाद की जगह लखनऊ को आवत की राजधानी घोषित की रावण अहंकार का प्रतीक और श्रीराम विनम्रता के सूचक सत्ता

(07:28) में आने के बाद हर व्यक्ति को यह बात हमेशा ध्यान में रखनी चाहिए सिर्फ रंग रोगन और पत्थर लगवाने से राम राज्य नहीं आएगा बल्कि जिस दिन स्कूल अस्पताल और सरकारी संस्थानों से भ्रष्टाचार खत्म होगा लोगों का मुफ्त इलाज और अपनी भाषा में उच्च शिक्षा उपलब्ध होगी उस दिन भारत उस पायदान पर खड़ा होगा जहां कभी हम हुआ करते थे रामायण अहंकार पर विनम्रता की विजय है अयोध्या को अगर पर्यटन स्थल का केंद्र बनाना है तो इस आधार पर बसाना होगा रामराज जलाना होगा राजनीति नहीं यदि इस वीडियो में कोई ट हुई हो तो उसके लिए क्षमा करें वीडियो पर समय बिताने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद मैं हूं पीके सिंह और आप देख रहे हैं प्रतापगढ़ हब जय श्री राम जय अवत जय भारत

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