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Budget 2024 Analysis | What did Middle Class get? | Dhruv Rathee

नमस्कार दोस्तों हर साल 1स्ट फरवरी को देश के फाइनेंस मिनिस्ट्री के द्वारा देश का बजट अनाउंस किया जाता है जिसमें हमें पता चलता है कि सरकार कितना पैसा कमा रही है कितना पैसा अलग-अलग जगहों पर खर्च कर रही है जनता की भलाई के लिए हमेशा की तरह इस साल भी 1स्ट फरवरी को फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमन ने यूनियन बजट 2024 प्रेजेंट किया लेकिन फर्क यह था इस साल का बजट एक इंटरम बजट था आई कमेंड द इ इंटरम बजट टू दिस अगस्ट हाउस जय हिंद यानी कि एक टेंपररी बजट जो पूरे साल के लिए बस एस्टिमेट्स देगा ऐसा इसलिए क्योंकि इस साल लोकसभा की इलेक्शंस हैं जब इलेक्शंस के बाद

Budget 2024 Analysis | What did Middle Class get? | Dhruv Rathee

(00:36) नई सरकार बनेगी तो फुल बजट जुलाई के महीने में प्रेजेंट किया जाएगा जब भी इलेक्शन ईयर होता है यही किया जाता है लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि इंटरम बजट जरूरी नहीं है अगले कुछ महीनों तक सरकार कैसे पैसे खर्च करेगी इसी से ही पता चलेगा और एक ओवरऑल स्ट्रेटेजी और डायरेक्शन भी पता चलती है हमें इससे सरकार की इसलिए आइए आज के इस वीडियो में समझते हैं क्या है इस नए बजट में आपके लिए आम जनता के लिए और पिछले बजेट्स में जो वादे किए गए थे जो खर्चे किए गए थे वह कितने पूरे हुए और क्या उनका रिजल्ट  निकला पिछले साल की तरह दोस्तों इस साल भी

(01:21) जो सरकार का मेन फोकस एरिया था बजट में वह था कैपिटल एक्सपेंडिचर शॉर्ट में इसे केपेस भी कहा जाता है इसका मतलब है जो पैसा सरकार खर्च कर रही है ल लग टर्म एसेट्स में बड़े-बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स इकॉनमी में जैसे कि सड़कें बनाना रेलवेज पोर्ट्स बड़ी-बड़ी बिल्डिंग बनाना या ब्रिजे बनाना पिछले साल सरकार ने इस एक्सपेंडिचर को ऑलरेडी बहुत ज्यादा बढ़ाया था 33 पर का इंक्रीस किया था पिछले साल और 10 लाख करोड़ रुपए एलोकेट किए थे डाटा हमें दिखाता है कि हालांकि सरकार ने ये सारे के सारे 10 लाख करोड़ रुपए खर्च नहीं किए पिछले साल एक्चुअल स्पेंडिंग जो

(01:55) थी वो फिर भी 9.5 लाख करोड़ रप थी लेकिन इस साल इसे 11.1 पर से और बढ़ा दिया गया है यानी कि 111111 करोड़ खर्च करने का प्लान बनाया है सरकार ने इस साल इसके पीछे कारण बड़ा सिंपल है सरकार का कहना है कि अगर इन जगहों पर पैसा स्पेंड किया जाता है तो इससे इकोनॉमिक ग्रोथ बहुत बढ़ती है और एंप्लॉयमेंट क्रिएशन भी देखने को मिलती है लोगों को नौकरियां मिलती हैं जब इतने बड़े-बड़े ब्रिजे सड़कें और पोर्ट्स बनाए जाते हैं फाइनेंस मिनिस्टर ने कहा कि पिछले 4 सालों में कैपिटल एक्सपेंडिचर तीन गुना बढ़ चुका है रेलवेज के लिए स्पेसिफिकली 2.5 5 लाख करोड़ रुपी एलोकेट

(02:32) किए गए हैं और तीन नए कॉरिडोर्स भी अनाउंस किए गए एनर्जी मिनरल एंड सीमेंट कॉरिडोर पोर्ट कनेक्टिविटी कॉरिडोर और हाई ट्रैफिक डेंसिटी कॉरिडोर फाइनेंस मिनिस्टर ने यह भी कहा कि 40000 से ज्यादा नॉर्मल रेल बोगी को वंदे भारत के स्टैंडर्ड्स में कन्वर्ट किया जाएगा 40000 नॉर्मल रेल बोगी विल बी कन्वर्टेड टू वंदे भारत स्टैंडर्ड्स ये रेलवेज की एलोकेशन पिछले साल के 2.41 लाख करोड़ से कहीं ज्यादा है

(02:59)  और पिछले पिछले साल तो ऑलरेडी ₹ लाख करोड़ रुपए का इंक्रीज देखने को मिला था यह बड़ी अच्छी खबर है लेकिन होप फुली इसका इंपैक्ट ग्राउंड पर रेलवे सेफ्टी में भी देखने को मिलेगा क्योंकि पिछले साल ढेरों हादसे हुए थे 29 अक्टूबर को हुआ आंध्र प्रदेश का ट्रेन कॉलेजन 11 अक्टूबर को बिहार नॉर्थ ईस्ट एक्सप्रेस की डिरेलमेंट 26 सितंबर को हुई मथुरा ईएमयू ट्रेन डिरेलमेंट और जून 2023 में हुआ उड़ीसा का ट्रेन हादसा जो इतिहास के सबसे खतरनाक हादसों में से एक था देश के ऑलमोस्ट 300 लोगों की जानें गई थी इस हादसे में इन इंडिया वर अट लीस्ट

(03:31) 260 पीपल हैव बीन किल्ड इन अ ट्रेन क्रश इन द ईस्टर्न स्टे ऑफ ओडिश इट रेडी द कंट्रीज वर्स्ट ट्रेन क्रश दिस सेंचरी एग्रीकल्चर के सेक्टर की बात करें तो सरकार ने अनाउंस किया है आत्मनिर्भर ऑयल सीड्स अभियान और फोकस किया है ननो डीएपी जैसे फर्टिलाइजर्स पर ननो डीएपी का फुल फॉर्म है नैनो डा अमोनियम फॉस्फेट जो कि एक टाइप का इको फ्रेंडली फर्टिलाइजर है इसमें 8 पर नाइट्रोजन और 16 पर फास्फोरस डला होता है ये ग्रीन फार्मिंग के लिए बहुत यूजफुल है इसलिए इसे बढ़ावा दिया आ गया और दूसरी तरफ जो ऑयल सीड्स इनिशिएटिव है इसमें सरकार ने कहा कि देश के बाहर से

(04:04) जो हम इंपोर्ट्स कर रहे हैं उसे कट करना चाहते हैं एडिबल ऑयल इंपोर्ट्स को 60 पर से कट करके 30 पर पर लाना चाहते हैं जैसे कि इंडिया मस्टर्ड ग्राउंड नट सोयाबीन सनफ्लावर जैसी सीड्स में सेल्फ रिलायंट यानी आत्मनिर्भर बन सके लेकिन फर्टिलाइजर के लिए जो सब्सिडीज दी जाती हैं उसका बजट कट किया गया है पिछले साल के 1.89 लाख करोड़ के

(04:25) कंपैरिजन में इस साल 1.64 लाख करोड़ किया गया है फूड सब्सिडी इस को भी कट किया गया है पिछले साल की बजट एलोकेशन 2.12 लाख करोड़ थी इस साल की 2.05 लाख करोड़ कर दी गई है एजुकेशन और हेल्थ केयर के सेक्टर्स में आए तो यहां काफी बुरी खबर है सरकार ने ऑलरेडी पिछले साल एजुकेशन का बजट कट किया था लेकिन जितना सरकार ने कहा था कि वह खर्च करेंगे पिछले साल उतना भी खर्च नहीं किया उससे भी कम खर्च की 111000 करोड़ सरकार ने पिछले साल के बजट में कहा था वो एजुकेशन पर खर्च करेंगे लेकिन जो रिवाइज्ड बजट के एस्टिमेट्स हैं उनके अनुसार सरकार सिर्फ 108000 करोड़ ही खर्च

(05:02) कर पाएगी इस साल एक छोटा सा इंक्रीज जरूर है एजुकेशन के बजट में 1.16 लाख करोड़ की जगह अब 1.25 लाख करोड़ सरकार ने एलोकेट किए हैं ऊपर से एजुकेशन सेक्टर के अंदर कई अलग-अलग जगहों पर बड़े-बड़े बजट कट्स किए गए हैं जैसे कि यूजीसी यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन को एलोकेट किया जाने वाला बजट 60 पर से कट कर दिया गया इस साल पिछले साल का रिवाइज्ड एस्टिमेटर इस साल सिर्फ 22500 करोड़ इन्हें दिए गए आईई और आईआईएम को दिया जाने वाले बजट भी काटा गया है इस साल 84 करोड़ की जगह 10324 करोड़ आईआईटी के लिए आईआई एम्स को पिछले एक साल के 00 करोड़ की जगह इस साल

(05:43) सिर्फ 212 करोड़ एलोकेट किए गए हैं लेकिन यह बजट बढ़ा कहां पर है एजुकेशन में सेंट्रल यूनिवर्सिटीज में ज्यादा पैसे खर्च किए जा रहे हैं पिछले साल के 11500 करोड़ की जगह इस साल 15000 करोड़ एलोकेट किए गए हैं रिसर्च एंड इनोवेशन में खर्च किया जाने वाला पैसा बढ़ाया गया है पिछले साल के 210 करोड़ की जगह इस साल 3355 करोड़ एलोकेट किए गए हैं हेल्थ केयर के सेक्टर में पिछले साल सरकार ने 89000 करोड़ एलोकेट किए थे लेकिन रिवाइज्ड एस्टिमेट्स के अनुसार सिर्फ 79000 करोड़ ही खर्च हो पाएंगे इस साल एक बहुत छोटा सा इंक्रीज देखा गया 89000 करोड़ की जगह

(06:19) सरकार ने 90000 करोड़ एलोकेट किए हैं यहां दो इनिशिएटिव सरकार ने अनाउंस किए हैं पहला कि आयुष्मान भारत को एक्सपेंड किया जाएगा और दूसरा सर्विकल कैंसर की वैक्सीन पे भी फोकस दिया है इसके बाद आते हैं हम हाउसिंग पर जहां प्रधानमंत्री आवास योजना चल रही है गरीब लोगों को अफोर्डेबल हाउसिंग देना इसकी एलोकेशन बढ़ाई गई है पिछले साल के 9590 करोड़ की जगह इस साल 8671 करोड़ एलोकेट किए गए हैं इसी योजना के तहत सरकार ने यह भी कहा है कि मिडिल क्लास के डिजर्विंग सेक्शंस के लिए वो एक नई स्कीम लॉन्च करेगी जो लोग रेंटेड घरों में रहते हैं स्लम्स में रहते हैं या

(06:55) अनऑथराइज्ड कॉलोनी में रहते हैं उन्हें अपने घर बनाने का और खरीदने का मौका दि दिया जाएगा ओवरऑल इकॉनमी की बात करें तो इंडिया का जो रियल जीडीपी ग्रोथ रेट है फाइनेंशियल ईयर 2023 24 के लिए प्रोजेक्ट किया गया है 7.3 पर होगा यहां दो टाइप के जीडीपी होते हैं दोस्तों एक होता है नॉमिनल जीडीपी और एक होता है रियल जीडीपी नॉमिनल जीडीपी आज के प्राइसेस के हिसाब से इकॉनमी का साइज बताता है लेकिन रियल जीडीपी में हम इंफ्लेशन को भी अकाउंट में लेते हैं फॉर एग्जांपल अगर देश का नॉमिनल जीडीपी ग्रोथ रेट 15 पर पर है लेकिन देश में इंफ्लेशन

(07:26) देखी जा रही है 10 पर की तो रियल जीडीपी ग्रोथ रेट होगा 15 पर – 10 5 पर लेकिन 20222 में इंडिया का जो एक्चुअल नॉमिनल जीडीपी ग्रोथ रेट है वह 10.5 पर है और हमारी इंफ्लेशन एप्रोक्सीमेटली 4 पर के अराउंड है तो रियल जीडीपी ग्रोथ रेट यहां निकल के आती है 6.5 की यह थोड़ा सा कम है क्योंकि दिसंबर 2023 में आरबीआई ने अपनी प्रोजेक्शंस को बढ़ाकर कहा था कि इंडिया का जीडीपी ग्रोथ रेट 7 पर के अराउंड होगा लेकिन आज के दिन यह 6.5 के अराउंड ज्यादा है

(07:58) अगर हम इंटरनेशनल एजेंसीज के एस्टिमेटर इंडिया के जीडीपी ग्रोथ रेट के तो वो भी सिमिलर रेंज में ही रहे हैं अक्टूबर 2023 में आईएमएफ ने इंडिया का ग्रोथ रेट प्रोजेक्ट किया था 6.3 और 2024 25 के लिए वर्ल्ड बैंक ने प्रोजेक्ट कर रखा है 6.4 ओईसीडी ने प्रोजेक्ट कर रखा है 6.1 और एडीबी का प्रोजेक्शन है 6.7 का आईएमएफ ने यह भी प्रोजेक्ट किया है

(08:20)  कि इंडिया थर्ड लार्जेस्ट इकॉनमी बन जाएगा 207 में यहां यह बड़ा इंटरेस्टिंग है देखना कि अलग-अलग एजेंसीज किस तरीके से डाटा में पैटर्स आइडेंटिफिकेशन करती हैं और एक कंट्री की ग्रोथ प्रिडिक्ट करती हैं इस काम में अक्सर यह डेटा साइंटिस्ट का इस्तेमाल करते हैं और यही रीजन है कि डेटा साइंस आज के दिन वन ऑफ द मोस्ट लुक्रेटिव करियर ऑप्शंस है डेटा और डेटा से निकलने वाले कंक्लूजन का एक बहुत बड़ा इंपैक्ट पड़ता है अलग-अलग इंडस्ट्रीज में ये जीडीपी ग्रोथ रेट के फिगर्स तो इतने इंपॉर्टेंट होते हैं कि इससे पूरा मार्केट ऊपर या नीचे गिर जाता है अगर आप

(08:49) इस फील्ड में इंटरेस्टेड हैं और अपने आप को अप स्किल करना चाहते हैं तो आज के स्पों सर आपके लिए काफी यूजफुल होंगे स्लर कॉ स्लर एक ऑनलाइन टेक लर्निंग प्लेटफॉर्म है जो प्रोग्राम्स ऑफर करता है सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट डेटा साइंस और मशीन लर्निंग में यहां पर इनके पास टॉप टेक कंपनीज के इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स हैं जो लर्नर्स को गाइड और मेंटर करते हैं हर दिन लर्नर्स को 3 घंटे की डेली लर्निंग मिलती है और 80 से ज्यादा रियल वर्ल्ड केस स्टडीज का एक्सेस और साथ ही साथ ये यह भी कहते हैं कि इनके जो लर्नर्स हैं उन्हें प्लेसमेंट्स मिली है टॉप टेक कंपनीज में

(09:18) जैसे कि google2 इनके पास एक बड़ा अच्छा ई का ऑप्शन भी है जिसमें 2 साल तक आप इनकी पेमेंटस दे सकते हो 0 पर इंटरेस्ट के साथ तो अगर आप इंटरेस्टेड हो आपको लगता है स्केलर आपके करियर को बूस्ट करने में आपकी मदद करेगा तो एक फ्री लाइफ क्लास इनकी जॉइन करके देख सकते हो इसका लिंक नीचे डिस्क्रिप्शन में मिल जाएगा इनकी वेबसाइट का लिंक भी नीचे है डिस्क्रिप्शन में और लाइव क्लास अटेंड करके आप खुद ही जज करके देख सकते हो कि आपके लिए है या नहीं अब वीडियो पर वापस आते हैं फिर आते हैं दोस्तों इस बजट के दूसरे सबसे बड़े फोकस एरिया पर जो कि है फिस्कल डेफिसिट को कम

(09:52) करना फिस्कल डेफिसिट होता है सरकार के रेवेन्यू और एक्सपेंडिचर में डिफरेंस यानी सरकार जो पैसा खर्च कर रही है और सरकार जो पैसा पैसा कमा रही है उसमें क्या डिफरेंस है और क्योंकि यहां पर डेफिसिट शब्द का इस्तेमाल किया जा रहा है तो इसका मतलब यही है कि सरकार जितना पैसा कमा रही है उससे ज्यादा पैसा खर्च कर रही है इस साल के लिए इंडिया का फिस्कल डेफिसिट एस्टिमेटर करोड़ का लेकिन हम फिस्कल डेफिसिट को यूजुअली एज अ परसेंटेज ऑफ जीडीपी करके देखते हैं पिछले साल सरकार ने टारगेट रखा था कि ये 5.9 पर ऑफ जीडीपी होना चाहिए

(10:23) इस साल और रिवाइज्ड एस्टिमेट्स हमें दिखाते हैं कि सरकार ने ना सिर्फ अपना टारगेट अचीव किया बल्कि ये उससे भी कम पर ले आए 5.8 पर पर इस साल के बजट में 2024 25 के लिए फिस्कल डेफिसिट का टारगेट रखा गया है 5.1 पर ऑफ जीडीपी यह और भी कम है जो कि अच्छी चीज है इनफैक्ट सरकार ने 2003 में एक एक्ट पास किया था फिस्कल रिस्पांसिबिलिटी एंड बजट मैनेजमेंट एक्ट ऑफ 2003 इस एक्ट के अनुसार सरकार का टारगेट होना चाहिए फिस्कल डेफिसिट को सिर्फ 3 पर ऑफ नॉमिनल जीडीपी रखा जाए लेकिन तब से लेकर अब तक सिर्फ एक ही साल रहा है बीच में 2000 अ 7-8 के अराउंड जहां

(11:01) पर सरकार इस टारगेट को मीट कर पाई थी अभी पिछले कुछ सालों से सरकार धीरे-धीरे इसे कम किए जा रही है ताकि उस रेंज के अराउंड लाया जा सके और फाइनेंशियल ईयर 2026 के लिए 4.5 का टारगेट रखा गया है सरकार जितना भी पैसा कमाती है उसका करीब 1/3 पैसा सिर्फ इंटरेस्ट सर्विसिंग पर खर्च किया जाता है इंटरेस्ट सर्विसिंग का मतलब है जो कर्ज सरकार के ऊपर है उसकी जो इंटरेस्ट की पेमेंट करी जा रही है इसमें दोनों डोमेस्टिक और इंटरनेशनल बोरो इंग्स इंक्लूडेड हैं चाहे देश के अंदर से पैसा सरकार ने बोरो किया हो या देश के बाहर से सरकार ने पैसा बोरो किया टोटल में इस साल

(11:34) सरकार 11.9 लाख करोड़ र इस इंटरेस्ट सर्विसिंग पर खर्च करेगी ये नंबर पिछले साल के कंपैरिजन में 1.35 लाख करोड़ र बढ़ चुका है इस टेबल में आप बड़े-बड़े खर्चे देख सकते हो जो इस साल के बजट में सरकार करेगी और इसे कंपेयर किया गया है पिछले साल के रिवाइज्ड बजट एस्टिमेट्स की बात करी जाए तो आम लोगों के लिए यहां पर कुछ नहीं है इस बजट में क्योंकि पिछले साल के कंपैरिजन में कुछ नहीं बदला है इनकम टैक्स के स्लैब्स वही हैं लेकिन इंटरेस्टिंग चीज यहां पर यह भी है देखनी कि सरकार सबसे ज्यादा किन टैक्सेस के पैसों से पैसा कमाती है बजट डॉक्यूमेंट हमें दिखाते हैं

(12:08) कि फाइनेंशियल ईयर 2025 में सरकार 19 पर अपना पैसा कमाए गी इनकम टैक्स से आने वाले पैसे से दूसरे नंबर पर है जीएसटी 18 पर सरकार के पास पैसा जीएसटी के टैक्सेस से आएगा और फिर आता है कॉर्पोरेट टैक्स 17 पर पर यानी कि सरकार की कमाई में अगर सबसे बड़ा कंट्रीब्यूशन किसी का है तो वह है इनकम टैक्स पेयर्स का और जीएसटी पे कर ने वाले लोगों का और कंपनीज के द्वारा जो कॉर्पोरेट टैक्स का पैसा दिया जाता है उसका कंट्रीब्यूशन इसके बाद में आता है हालांकि इन सबसे भी बड़ा कमाई का जरिया सरकार के लिए अभी भी बोरोंग ही है पैसा बोरो करना जो कि 28 पर पर है फाइनेंस मिनिस्टर ने इस बजट के लिए टैगलाइन रखी है

(12:43)  विकसित भारत बाय 204 7 यानी कि इन्होंने वादा किया है इंडिया को एक डेवलप्ड कंट्री बना देंगे 20147 तक और यह भी कहा है 2030 तक इंडिया एक 7 ट्रिलियन डॉलर की इकॉनमी बन जाएगा एज पर अ लेटेस्ट रिपोर्ट बाय द फाइनेंस मिनिस्ट्री द इंडियन इकॉनमी कैन ऑफ कोर्स हिट दैट एंड कैन एक्सपायर टू हिट दैट 7 ट्रिलियन डलर मार्क बाय 2030 सुनने में बड़ा अच्छा लगता है लेकिन असलियत तब पता चलती है जब इन वादों को आप कंपेयर करोगे पिछले सालों में किए गए वादों से 2019 की नीति आयोग की मीटिंग में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि वह इंडिया को 5 ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी बना देंगे

(13:21) 2024 तक 2024 आ चुका है 5 ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी तो छोड़ो इंडिया फो ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी भी अभी नहीं बना है करंट स्टेटस इंडिया का है 3.7 ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी अब सरकार चाहती तो अपनी 5 ट्रिलियन डॉलर वाली इकॉनमी की एक नई डेडलाइन दे सकती थी कि चलो 2024 तक नहीं हुआ लेकिन हम 2026 तक कर लेंगे 27 तक कर लेंगे लेकिन फिर लोगों को याद आ जाता अरे $ ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी की इन्होंने पहले भी बात करी थी तो सरकार ने सोचा कि इस नंबर को एक स्टेप और आगे बढ़ा और अब $ ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी का प्रॉमिस

(13:54) करो 2030 तक वैसे मैं यहां ये भी याद दिलाना चाहूंगा कि 2017-18 के अराउंड न्यू इंडिया 2022 की बात करी जाती थी 2022 में इंडिया के 75 इयर्स ऑफ इंडिपेंडेंस कंप्लीट हुए थे तो सरकार ने उसे एक डेडलाइन बनाया था और प्रधानमंत्री मोदी ने वादा किया था कि हर इंसान को हर देशवासी को एक घर मिलेगा रहने के लिए 2022 तक और 2022 में जब हिंदुस्तान की आजादी के 75 साल होंगे इस देश का कोई परिवार ऐसा ना हो कि जिसके पास खुद का घर ना हो ऐसा हिंदुस्तान बनाने का सपना साथ ही साथ यह भी कहा गया था कि 2022 तक फार्मर्स इनकम डबल हो जाएगी और बुलेट ट्रेन भी इंडिया

(14:33) में आ जाएगी उस साल ये डेडलाइन भी 2 साल से पेंडिंग है और अब देखना जब एक्चुअली में 5 ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी इंडिया बन जाएगा जो कि नो डाउट बनेगा किसी ना किसी दिन तो क्योंकि जीडीपी ग्रो तो हो ही रहा है फिर देखना इसे कैसे एक नई अचीवमेंट के तौर पर दिखाया जाएगा फाइनेंस मिनिस्टर ने बजट में चार मेन सेक्शंस ऑफ सोसाइटी पर भी फोकस किया गरीब लोग महिलाएं युवा और अन दता यानी किसान इन्होंने कहा कि इनकी वेलफेयर सर सरकार की हाईएस्ट प्रायोरिटी है जब यह प्रोग्रेस करेंगे तभी देश प्रोग्रेस करेगा बिल्कुल सही बात है लेकिन असलियत यहां पर यह है कि इंडिया की हंगर

(15:07) इंडेक्स में रैंकिंग नीचे गिरती जा रही है आज के दिन इंडिया की रैंकिंग 111 आउट ऑफ 125 है हंगर इंडेक्स में यानी इतनी भुखमरी देश में देखने को मिलती है यूथ अनइंप्लॉयमेंट 45 पर पर है एजेस 20 टू 24 के बीच में औरतों का लेबर पार्टिसिपेशन इंडिया की वर्कफोर्स में पिछले कई सालों से नीचे गिरते जा रहा है 2005 में 32 पर हुआ करता था 2021 में यह सिर्फ 19 पर पर था और यहां पर मिडिल क्लास की मुश्किलें भी और बढ़ रही हैं इस चार्ट को देखिए जरा ये चार्ट दिखाता है कि 2016 और 2021 के बीच में हाउसहोल्ड इनकम इंडिया में कितने लोगों का बढ़ा और कितने लोगों का कम हुआ

(15:46) जो रिचेस्ट 20 पर लोग हैं देश के उनका तो इनकम बहुत अच्छे से बढा है 40 पर से बढ़ा उनका इनकम और अपर मिडिल क्लास जो आती है उन्हें भी थोड़ा बहुत फायदा देखने को मिला लेकिन जो एक्चुअल मिडिल क्लास है लोअर मिडिल क्लास है और गरीब लोग हैं देश के उन्हें पिछले कई सालों में नुकसान ही देखने को मिला है उनका जो इनकम है वह नीचे ही गया है और सबसे बुरा असर यहां पर पूरेस्ट 20 पर लोगों को देखने को मिला यह डाटा हमें दिया इंडियाज कंज्यूमर इकॉनमी 360 सर्वे ने अनफॉर्चूनेटली यह है कि ऐसे डाटा को एक्सेस करना देश में मुश्किल होते जा रहा है दिन प्रतिदिन क्योंकि सरकार

(16:20) सिंपली अनकंफर्ट बल डाटा को डिस्क्लोज ही नहीं करती पब्लिक के सामने इस चार्ट के भी नीचे लिखा हुआ है ऑफिशियल पब्लिक डाटा ऑन इंडियन इनकम एंड कंजमपट्टी क्वालिटी हैज बिकम वेरी हार्ड और इंपॉसिबल टू बी ऑब्टेंड इन रिसेंट इयर्स 27 मार्च के इस आर्टिकल को देखो यूनियन गवर्नमेंट के पास कोई डटा नहीं है इंडिया की ऑफशोर शेल कंपनीज के बारे में ना ही सरकार के पास यह डाटा है कि कितने किसान मारे गए फार्मर्स प्रोटेस्ट में ना ही यह डाटा कि कितने माइग्रेंट्स को मुश्किलें पहुंची कोविड के दौरान ना ही यह डाटा कि कितने लोग मॉब लिंचिंग में मारे गए ना ही यह डाटा कि

(16:51) कितनी एमएसएमई शटडाउन हुई लॉकडाउन के दौरान यही कारण कि अपोजिशन लीडर्स ने अक्सर सरकार का मजाक बनाया है कि एनडीए का मतलब मतलब है नो डाटा अवेलेबल और जिन चीजों में डाटा अवेलेबल है उसमें भी समझ नहीं आता कि किसके डाटा पर भरोसा करें इस बजट को अनाउंस करते वक्त फाइनेंस मिनिस्टर ने कहा कि सरकार ने पिछले 10 सालों में 25 करोड़ लोगों को आजादी दिलाई पॉवर्टी से इन दिस 10 इयर्स द गवर्नमेंट है असिस्ट 25 करोड़ पीपल टू गेट फ्रीडम फ्रॉम मल्टी डायमेंशन पॉवर्टी लेकिन पिछले साल दिसंबर में अमित शाह ने कहा था कि मोदी सरकार ने 6 करोड़

(17:29) लोगों को पॉवर्टी से बाहर निकाला तो ये 25 करोड़ वाला नंबर सही है या यह 60 करोड़ वाला नंबर सही है पता नहीं एनीवेज बजट पर वापस आए तो यह थी इस साल के इंटरम बजट की पूरी कहानी बाकी हमें पता चलेगा जब फुल बजट आएगा जुलाई के महीने में लर को चेक आउट करने का लिंक नीचे डिस्क्रिप्शन में मिल जाएगा इतने अगर वीडियो पसंद आया तो अब यह वाला वीडियो आप जाकर देख सकते हो जो कि इंफ्लेशन के ऊपर है जिसमें मैंने बताया है कि इंफ्लेशन एक अच्छी चीज होती है या बुरी चीज होती है इंफ्लेशन अगर अच्छी चीज नहीं है तो क्या डिफ्लेशन एक अच्छी चीज है इस पूरे इकोनॉमिक कांसेप्ट को आप समझ सकते हैं यहां क्लिक करके बहुत-बहुत  धन्यवाद

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