समय बुरा चल रहा हो तो क्या करें | कृष्ण ने क्या कहा था, कर्ण को | by Sagar Sinha
मैं इस स्टोरी को याद करता हूं और बहुत ताकत आ जाती है यह स्टोरी है महाभारत की जब कारण मर रहा था ना जब अर्जुन ने उसके गर्दन में बाण मारा था और कर्ज कारण मर रहा था तो कर्म के मन में बहुत सारे सवाल व कारण बहुत विचलित था तो आज मैं उसको वासुदेव देखिए भगवान कृष्ण देखे तो उसने भगवान कृष्ण को अपने पास बुलाया बोलो वासुदेव मैं बहुत विचलित हूं मेरे मन में बहुत सारे सवाल है आपसे मैं चाहता हूं उन सवालों का जवाब दे नहीं तो मेरी आत्मा को शांति नहीं मिलेगी बोले बताओ कांड क्या बात है
तो करने बताया कि देखो मैं जब पैदा हुआ तो मेरी मां कुंवारी थी इसलिए मेरे को गंगा में बहा दिया गया इसमें मेरी क्या गलती थी मेरी तो कोई गलती नहीं और जब मैं बड़ा होकर के मेरी रुचि शास्त्र में डेवलप हो रही थी तो मेरे आस-पास वाले मजाक उड़ाते थे तुम सूत पुत्रकर इसमें मेरी क्या गलती थोड़ा और बड़ा होकर के मैं जब द्रोणाचार्य के पास गया सीखने के लिए तो द्रोणाचार्य ने मुझे दांत के भगा दिया तुम मेरी क्या गलती मैं झूठ बोलकर के भले ही परशुराम से शिक्षा ले रहा था
लेकिन लास्ट परशुराम ने भी मुझे श्राप दे दिया वो इसलिए कि मैं उनके दर्द को उनकी नींद ना खुल जाए इसलिए मैं सर दर्द खुद सा रहा था अब मैं गुरु को तकलीफ नहीं देना चाहता तो इसमें मेरी क्या गलती और इतना ही नहीं जब मैं शब्द भेदी बांध का प्रेक्टिस कर रहा था तो गलती से मेरा बाद एक बछड़े को लग गया था और बछड़े के मालिक के पास जाकर के मैं विनती करी हाथ जोड़ा की गलती से लग गया मैं नहीं देखा मुझे माफ कर दो फिर भी उसे बछड़े के मालिक ने मुझे श्राप दे दिया इसमें मेरी क्या गलती है और इतना ही नहीं जब स्वयंवर भी हो रहा द्रोपदी का तो वहां भी सभी लोगों ने मुझे सूत्र पुत्र कहकर के मजाक उड़ाया मां कुंती मुझे अपने बेटे होने कर रहा है से उन्होंने तब बताया जब उन्हें डर था
कि मैं उनके बेटे को मारना तो पूरी जिंदगी भगवान अगर मुझे किसी से प्रेम मिला है किसी से सम्मान मिला है वह सिर्फ दुर्योधन से मिला है और अगर दुर्योधन के दुर्योधन का साथ मैंने दिया तो मैं क्या गलती करकृष्णा क्या कहते हैं ध्यान से सुनिएगा तो कृष्ण कहते हैं मेरा जन्म कारागार में हुआ था मेरे जन्म से पहले मौत मेरा इंतजार कर रही थी कंस के रूप में पैदा होते ही मुझे अपने मां-बाप से अलग कर दिया गया जब थोड़ा बड़ा हुआ तो हमले होने शुरू हो गए गांव वालों ने मुझे पनौती कहना शुरू कर दिया कि इसकी वजह से हमले हो रहे हैं
इसको बाहर निकलो जब और बड़ा हुआ तो जरासंध के दर से मुझे भागना पड़ा यमुना किनारे छोड़ करके समुद्र किनारे द्वारका के रहना पड़ा तो लोगों ने मुझे रन छोड़ भगोड़ा काफी कुछ नाम दे दिया यहां तक कि तुम्हारी शादी तो उसे हुई है जिससे तुम प्रेम करते थे लेकिन मेरी शादी तो उसे हुई है जिससे मैं प्रेम नहीं करता था वह प्रेम करती थी तब उन्होंने समझाया कि देखो जिंदगी हर किसी के साथ अन्याय करती है जिंदगी हर किसी के साथ जुल्म करती है अगर दुर्योधन के साथ अन्याय हुआ है तो युधिष्ठिर ने अन्य सहाय है इससे कोई फर्क नहीं पड़ता की परिस्थितियों आप पर कितनी मार पड़ रही है आपके साथ कितना अन्याय कितना बड़ा हो रहा है
फर्क इसे पढ़ रहा है कि उसे बुराई के विपरीत आपकी प्रतिक्रिया क्या है आपका रिएक्शन क्या हैआपका भाग्य उसे बनता है जिंदगी तो तकलीफ देती है सबको बराबर तकलीफ देती है सबको मुझे भी तकलीफ दिया आपको भी तकलीफ दिया यह हम पर निर्भर करता है कि हम उन तकलीफों के बदले हम कौन सा रास्ता चुनते हैं हम भलाई के रास्ते पर चलते रह जाते हैं या हम अथर्व का रास्ता चुनते हैं जब जब कोई धर्म का रास्ता मेगा तो उसकी हालत वही होगा जब तुम्हारा हुआ मुझे लगता है हम सब में करने वाली शक्ति है सर लेकिन हम घबराकर के ना अपने रास्ते बदलते रह जाते हैं कभी शराब से कभी उसे रास्ते कभी उसे रास्ते विचलित परेशान हैं
हम शक्ति शमिल कृष्णा वही समझाना चाह रहे हैं कि आपकी प्रतिक्रिया आपकी जिंदगी बताती है विपरीत परिस्थितियों तो सभी के साथ है हर किसी को लगता है कि उसकी समस्या सबसे बड़ी है दुनिया में वह कहते हैं कि दुनिया में ऐसा कोई आदमी नहीं है जिसको यह लगे उसकी समस्या दूसरों से छोटी है हर किसी को यही लगता है उसकी समस्या सबसे बड़ी है लेकिन इसी बीच तो होता ही करता है कि उसे करना क्या है और वही उसकी जिंदगी बनती है वही उसका भाग्य बनाता है
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