5 Resolutions of 2025 | Make 2025 The BEST YEAR of Your Life | Sonu Sharma
“5 Resolutions of 2025 | Make 2025 The BEST YEAR of Your Life | Sonu Sharma”:
- New Year Wishes (00:00)
- Sonu Sharma wishes viewers a happy and prosperous 2025 and emphasizes the importance of becoming worthy of success, rather than merely wishing for it.
- Focus on Qualities, Not Just Desires (00:40)
- In 2025, stop relying on desires or luck; instead, focus on developing qualities that will make you deserving of success.
- No Victim Mentality (01:22)
- Avoid playing the “victim card” this year. Stop blaming your circumstances or others for your failures, and commit to taking responsibility and working hard.
- Real-Life Example: Dashrath Manji (02:01)
- Shares the inspiring story of Dashrath Manji, who spent 22 years breaking a mountain with only basic tools to create a road, showing that persistence can overcome impossible odds.
- Historical and Mythological Insights (02:40)
- Mentions how even great figures like Karn from the Mahabharata played the victim card, while Krishna focused on the future, leading to different outcomes in their lives.
- Adopt Krishna’s Perspective (03:20)
- Advocates for adopting a mindset like Krishna, who focused on the present and future rather than dwelling on past injustices, leading to success and fulfillment.
- The Power of Resilience (03:39)
- Urges viewers to not let past hardships define them. Instead, focus on moving forward, learning from the past, and achieving success regardless of the obstacles faced.
- Commitment to Self-Improvement (04:00)
- Encourages viewers to make a promise to themselves to rise above their current situation, become better, and prove others wrong by the end of the year.
- No Complaining, Only Action (04:39)
- Reminds everyone that no one will pity you for your struggles, and that true change comes from hard work and resilience, not from complaining about circumstances.
- End-of-Year Success (04:59)
- Sonu Sharma concludes by motivating the audience to work on their personal growth so that by the end of the year, they’ll have earned the respect and recognition they deserve.
These points emphasize a mindset shift for 2025, focusing on hard work, self-improvement, and resilience over complaints and victimhood.
नमस्कार दोस्तों मैं सोनू शर्मा सबसे पहले आप सबको नए साल 2025 की बहुत-बहुत शुभकामनाएं यह साल हम सभी के लिए खुशियां लाए इसकी सिर्फ दुआ ही नहीं करनी बल्कि इस लायक भी बनना है क्योंकि जिंदगी में वह कभी नहीं मिलता जो आप चाहते हैं बल्कि वह मिलता है जिसके आप योग्य होते हैं इसलिए इस साल चाहतों से ध्यान हटाकर योग्यता पर लगाना है सिर्फ चाहते रखने से काम नहीं चलेगा आप दीवार से सर टकरा टकरा के खून से लथपथ हो जाए पर दीवार आपके लिए रास्ता नहीं छोड़ेगी और कब तक भाग्य को ही कोसते रहेंगे कि साला किस्मत सा थ नहीं दे रही और किसी आम के पेड़ के नीचे बैठकर संतरे के (00:40) गिरने का इंतजार करते रहेंगे अरे भाई आप चाहे खत्म हो जाएं लेकिन आम के पेड़ से कभी संतरा नहीं टपके इसलिए इस साल ना लग के भरोसे बैठना ना चाहतों के भरोसे बल्कि इस बार कुछ ठोस करना है दोस्तों 2025 का यह हमारा पहला वीडियो है और इसमें मैं उन पांच क्वालिटीज की बात करने वाला हूं जिनको अगर आपने अपना लिया तो ठोक के दावा दे रहा हूं यह साल आपका अब तक का सबसे सफल साल साबित हो सकता है दुनिया के तमाम बड़े और सफल लोगों ने इन क्वालिटीज को अपनाया है ल ेकिन आगे चलने से पहले अगर आप चैनल पर नए हैं तो सब्सक्राइब करके बेल आइकन दबा दें ताकि मेरी कोई अगली वीडियो आपसे मिस (01:22) ना हो सबसे पहले इस पूरे साल कोई विक्टिम कार्ड ना खेले जी हां इस साल कुछ भी हो जाए रोना मत वादा करो मुझसे कि रोएंगे नहीं क्योंकि किसी को तुम्हारे आंसुओं से कोई लेना देना नहीं है इन मोतियों को किसी ऐरे गहरे की वजह से मत बहाना मेरे दोस्त इस दुनिया में सबसे आसान काम है विक्टिम बन जाना रोते रहना और यह सोचना कि मुझे तो भगवान ने उसके जैसा पैसा नहीं दिया उसके जैसा रूप नहीं दिया उसके जितना दिमाग और टैलेंट नहीं दिया काश मेरे पिता के पास भी दौलत होती तो मैं भी मौज काटता नहीं रोना नहीं मेहनत करना इतिहास के पन्ने इस बात (02:01) की गवाही देते हैं कि कुछ लोग जो लड़ गए व अमर हो गए 1960 में बिहार के एक मामूली इंसान ने जब एक पहाड़ की वजह से अपनी बीवी को खो दिया तब उसने पहाड़ के आगे बैठकर रोना शुरू नहीं किया कि हाय तूने यह क्या किया बल्कि उसने इस पहाड़ को गुस्से से घूरते हुए कहा कि जब तक तोडूंगा नहीं तब तक छोडूंगा नहीं 22 साल 22 साल तक वह इंसान अपने हाथों से पहाड़ को बीच से फाड़ने मे ं लगा रहा उसके मन में ये कभी नहीं आया कि 5 फीट 6 इंच का मैं चट्टान से बने इतने ऊंचे पहाड़ का क्या ही बिगाड़ लूंगा वो कभी किसी के पास कोई ड्रिलिंग मशीन मांगने नहीं गया उसने किसी से नहीं (02:40) कहा कि मेरा हाथ बटा दो उसके पास जो था जितना था उसी के सहारे उसने वो कर दिखाया जिसे समझदार लोगों की भाषा में नामुमकिन कहते हैं एक छैनी और हथौड़ा लेकर दशरथ मांझी ने 30 फीट चौड़ा और 360 फीट लंबा रास्ता बना डाला इसलिए दोस्त साल 2025 में रोना नहीं है मेहनत करना है और रोने और शिकायतों का ये सिलसिला आज का नहीं सद ियों पुराना है महाभारत युद्ध से पहले कर्ण कृष्ण के आगे रो रहे हैं कि मेरी मां ने मुझे जन्म देते ही छोड़ दिया मेरा क्या कसूर था गुरु द्रोणाचार्य ने विद्या देने से मना कर दिया मैं क्षत्रिय नहीं था और द्रौपदी के सतंबर में मुझे भगा दिया गया (03:20) क्योंकि मैं राज परिवार से नहीं था पूरा जीवन मुझे अपमान का घूंट पीना पड़ा केशव मेरा क्या कसूर था कर्ण जैसे विद्वान भी उस वक्त विक्टिम कार्ड खेल रहे हैं पर कृष्ण मुस्कुराते हुए कर्ण को जवाब देते हैं कि हे कर्ण मेरा तो जन्म ही कारागार में हुआ था जन्म लेते ही मां-बाप से जुदा कर दिया गया गाय चराता था गोबर उठाता था मेरा सगा मामा मेरी जान का दुश्मन था मेरी चुनौतियां कहां कम थी अन्याय तो जीवन भर मेरे साथ भी होता रहा देखो दोस्त कृष्ण और कर्ण दोनों की राशि तो एक है पर दोनों के सोचने का नजरिया जुदा है कर्ण जीवन भर अतीत की कड़वाहट से भरे रहे पर कृष्ण कभी (04:00) अपनी अतीत पर आरोप नहीं लगाते बांसुरी बजा रहे हैं गैया चरा रहे हैं कर्ण पीछे की ओर देखते हैं और कृष्ण आगे की ओर झांकते हैं कुदरत ने दोनों के साथ अन्याय किया बस फर्क इतना सा है कि कर्ण जिंदगी भर वो अन ्याय भूल नहीं सके और कृष्ण को वो अन्याय याद ही नहीं रहा एक ने अपने आप को क्रोध के विष से भर लिया और दूसरे ने स्वीकृति के अमृत से परिणाम में कर्ण युद्ध में अकाल मृत्यु को प्राप्त हुए और कृष्ण इस दुनिया के रोल मॉडल बन गए इसलिए फिर से दोहराता हूं कि इस साल रोना मत चाहे कुछ हो जाए चाहे किसी ने हमें जलील कर दिया हो चाहे किसी ने हमारा मजाक (04:39) उड़ाया हो क्योंकि दुनिया तो मजाक उड़ाए गी ही कोई हमारी हैसियत हमारी औकात पर थूक कर चला जाएगा और आप लड़ने लग गए गलत लड़ना मत अड़ जाना दशरथ मांजी की तरह और वा दा करो अपने आप से कि जो दुनिया मुझे नीची निगाह से देख रही है साल के आखिर तक मैं खुद को इतना ऊंचा कर लूंगा कि मेरी तरफ नजर उठाने में दुनिया की गर्दन में मोच आ जाए”
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