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India Needs Jobs! Reality of Unemployment Crisis Dhruv Rathee

नमस्कार दोस्तों बेरोजगारी आज के दिन देश का सबसे बड़ा मुद्दा बन चुका है इंडिया एंप्लॉयमेंट रिपोर्ट 2024 के अनुसार देश में हर तीन में से एक युवा बेरोजगार बैठा है अनइंप्लॉयमेंट रेट 29.1 पहुंच चुका है वो भी उन लोगों में जिनके पास एक ग्रेजुएट डिग्री ऑलरेडी है सवाल यहां पर यह उठता है कि आखिर ऐसा हो क्यों रहा है 140 करोड़ लोगों का देश है इतने सारे लोगों को दाल चावल आटा चीनी साबुन तेल शैंपू टीशर्ट जूता स्कूल अस्पताल फिल्म टीवी स्कूटर अखबार जाने क्या-क्या चाहिए इतनी बड़ी मार्केट है विदेशी कंपनियां यहां आकर लाखों करोड़ों का प्रॉफिट कमा जाती हैं

India Needs Jobs! Reality of Unemployment Crisis Dhruv Rathee

जिनमें से कुछ कंपनीज ऐसी हैं जो सिर्फ चीनी और सोडा वाला रंगीन पानी बेचती हैं पेप्सिक को देखो उसकी लेटेस्ट आरओ फाइलिंग के हिसाब से इंडिया में उसका यरली रेवेन्यू 8000 करोड़ है कोका कोला इंडिया इसका यरली रेवेन्यू 12800 करोड़ से ज्यादा और देश के युवा को ₹1 1800 की नौकरी भी नहीं मिल सकती यह कैसे पॉसिबल हो सकता है इंडिया अब फिफ्थ लार्जेस्ट इकॉनमी बन चुका है और कहानियां सुनाई जा रही है कि जल्द ही हम 5 ट्रिलियन डॉलर की इकॉनमी बन जाएंगी लेकिन इस इकॉनमी में आपके लिए कोई नौकरियां नहीं है आखिर कौन खा ग आपकी नौकरियों को आपके काम धंधे को आज के इस

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वीडियो में अनइंप्लॉयमेंट की प्रॉब्लम को गहराई से समझते हैं दोस्तों क्या है इसके पीछे की रूट कॉज और क्या है इसका सलूशन ना सिर्फ सरकार के पर्सपेक्टिव से कि सरकार क्या कर सकती है बल्कि आप भी क्या कर सकते [संगीत] हैं सबसे पहले सरकार की क्लास लगाते हैं प्रधानमंत्री मोदी ने करोड़ों जॉब्स देने की प्रॉमिस करी थी क्या आपको याद है दोस्तों लेकिन हमारे कुछ मीडिया चैनल्स की माने तो उन्होंने यह वादा कभी किया ही नहीं था मजाक नहीं कर रहा एबीपी न्यूज़ ने इसको लेकर एक फैक्ट चेक किया था उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने तो सिर्फ इतना कहा कि

कांग्रेस ने रोजगार नहीं दिया उन्होंने ये थोड़ी कहा कि हम रोजगार देंगे या बीजेपी चुनावी वायदे के तौर पर कहीं भी कभी भी देश को हर साल दो करोड़ नौकरी देने का वायदा नहीं किया था इसीलिए मोदी सरकार पर हर साल 2 करोड़ नौकरी ना दे पाने का आरोप झूठा साबित हुआ है क्यों एबीपी न्यूज़ वालों यह बताओ जरा यह किस पार्टी की पॉलिटिकल कैंपेन है युवाओं को बेरोजगार रखने वालों जनता माफ नहीं करेगी चलो हालात बदले देश की सरकार बदले यह ऐड दोस्तों बीजेपी हरियाणा ने चलाई थी पिताजी ने हमेशा पढ़ने को बढ़ावा दिया पर नौकरी ना मिली विकास हो तो ही नौकरी निकले ना इब बस

इब जाग उठा है हरियाणा आज की सच्चाई पता है क्या है मुझे बड़ा दुख होता है बताते हुए दोस्तों इन्होंने हरियाणा को बेरोजगारी में नंबर वन बना दिया है दिसंबर 2022 के सीएमआई डाटा के अनुसार हरियाणा में अनइंप्लॉयमेंट 37.4 पर है यानी कि पूरे देश में सबसे ज्यादा अनइंप्लॉयमेंट यहां है लेकिन बात सिर्फ हरियाणा की नहीं है क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी ने जगह-जगह जाकर बार-बार जॉब्स का वादा किया था इस आ साल पुरानी क्लिप को देखो हमने मेक इन इंडिया का विनय च अभियान चलाया है और नौजवान अपने ही इलाके में रोजगार कमाए ताकि शाम को अपने मां-बाप के पास जा करर के बैठ सके इन

न्यूज़ चैनल वालों को ये 7 साल पुरानी क्लिप भी देखनी चाहिए जहां पर प्रधानमंत्री एक बिलियन नौकरियों की बात कर रहे हैं अवर एम इज टू क्रिएट जॉब्स फॉर मोर देन अ बिलियन यंग हैंड्स हमारे सारे टीवी न्यूज़ चैनल्स या तो बेरोजगारी की बात करेंगे ही नहीं और अगर करेंगे तो पूरा खून पसीना बहा देंगे सरकार की इमेज बचाने में जैसे कि इन सुधीर चौधरी को देख लो इन्होंने करीब एक साल पहले यह प्रोग्राम किया सबको सरकारी नौकरी क्यों चाहिए या आम जनता को ई डांटने लग गए कहने लगे कि तुम्हें सरकारी नौकरी इसलिए चाहिए क्योंकि तुम्हें ऊपर की कमाई करनी है यानी रिश्वत

लेनी है सरकारी नौकरियों की चाहत के पीछे एक बड़ी वजह रिश्वत भी है सरकारी नौकरी में अगर पैसा कम भी हो तब भी कई कर्मचारी रिश्वत लेकर अच्छा खासा पैसा कमा लेते हैं और 2019 में हुए एक सर्वे में हर दो में से एक भारतीय ने यह माना कि उन्होंने अपना काम करवाने के लिए किसी ना किसी सरकारी कर्मचारी को रिश्वत दी थी यानी सुधीर भाई के अनुसार प्रधानमंत्री मोदी का जो नारा था ना खाऊंगा ना खाने दूंगा ये जुमला है और मेरा तो मंत्र है ना खाऊंगा ना खाने दूंगा और यहां यह कह रहे हैं कि यूथ स्किल्ड नहीं है स्किल्ड ना होना भी एक बहुत बड़ी वजह है इसके पीछे जिम्मेदारी

किसकी है सुधीर भाई क्या यह मान ले कि प्रधानमंत्री मोदी का स्किल इंडिया वो भी एक जुमला था भारत में बहुत सारे लोग परीक्षा देकर पैसा देकर किसी नेता की सिफारिश लगाकर किसी भी तरह से सरकारी नौकरी पाना चाहते हैं और इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि सरकारी नौकरियों में काम के घंटे बहुत ज्यादा नहीं होते काम के घंटे तय होते हैं छुट्टियां जी भर के मिलती हैं मतलब सुधीर भाई के अनुसार आप लोग देश के युवा कामचोर हो और आलसी हो ग्राउंड रियलिटी को थोड़ा गहराई से समझते हैं दोस्तों पहले यह जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर कितनी नौकरियों की जरूरत है देश

में मिनिस्ट्री ऑफ एजुकेशन की वेबसाइट पर 202122 की रिपोर्ट मिली है मुझे यहां लिखा है नंबर ऑफ एनरोलमेंट्स हायर सेकेंडरी में है 2.85 करोड़ यानी कि एप्रोक्सीमेटली इतने बच्चे हर साल हायर सेकेंडरी स्कूल में एनरोल करते हैं क्या इतनी नौकरियों की जरूरत है हमें हर साल एक्चुअली यहां पर हमें उन स्टूडेंट्स को भी कंसीडर करना चाहिए जो ड्रॉप आउट कर जाते हैं पहले ही यूडी आईएससी रिपोर्ट के अनुसार करीब 12.612957 यानी क्लास 10थ के बाद और इससे पहले अपर प्राइमरी लेवल पर 3 पर का ड्रॉपआउट रेट है और प्राइमरी लेवल पर भी 1.45 पर का ड्रॉपआउट रेट है इसी साल की इस रिपोर्ट को देख लीजिए करीब 35 लाख 10थ ग्रेड स्टूडेंट्स 11थ ग्रेड में पहुंच ही नहीं पाए तो अगर हम 12थ पास 12थ फेल और इन सारे ड्रॉपआउटस को कंसीडर करेंगे तो ओवरऑल नंबर जो निकल कर आता है वो 3.3 3.4 करोड़ के आसपास होगा इनमें से ज्यादातर 12थ पास स्टूडेंट्स डिसाइड करते हैं कि वो कॉलेज में पढ़ाई करेंगे लेकिन क्या हमारे कॉलेजेस में देश के सारे कॉलेजेस में में इन करोड़ों लोगों को अकोमोडेटिव सीधे तौर पर ना है पहले मेडिकल एजुकेशन का एग्जांपल लेकर देख लेते हैं जुलाई 2023 में हमारे मिनिस्ट्री ऑफ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर ने पार्लियामेंट में बताया कि पूरे देश में करीब 108000 एमबीबीएस की सीटें हैं इसके अलावा कुछ बीडीएस की भी सीटें हैं बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार जो टोटल नंबर ऑफ सीटें हैं यहां पर

एमबीबीएस प्लस बीडीएस की सीट्स ये 1.4 लाख के अराउंड है लेकिन नीट यूजी 2023 में जो टोटल नंबर ऑफ एप्लीकेशंस थी वो 20 लाख से भी ज्यादा थी यानी कि अगर 15 लोगों को एंबिशन है डॉक्टर बनने का तो उनमें से एक ही को सीट मिल पाती है पीजी सीट्स का नंबर इससे भी कम है 678008 सिर्फ इसका मतलब समझ रहे हो आप दोस्तों देश में डॉक्टर बनने वाले कैंडिडेट्स की सप्लाई भरपूर है ढेरों लोग डॉक्टर बनना चाहते हैं हमारे देश में और डिमांड भी बहुत है डॉक्टर्स की सख्त कमी है देश में लेकिन प्रॉब्लम बस यह है कि हमारे देश में इतना एजुकेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर ही नहीं बनाया गया सरकार

के द्वारा कॉलेजेस की यूनिवर्सिटीज की एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स की कमी है इस प्रॉब्लम का एक और पहलू भी है जितनी टोटल मेडिकल सीट्स हैं हमारे देश में उनमें से आधी सरकारी मेडिकल कॉलेजेस में है और बाकी आधी प्राइवेट मेडिकल कॉलेजेस में और प्राइवेट कॉलेजेस की फीस बहुत-बहुत हाई होती है एक टाइम्स ऑफ इंडिया रिपोर्ट के अनुसार डीवाई पाटिल मेडिकल कॉलेज जो मुंबई में है ये सबसे महंगी एमबीबीएस की डिग्री ऑफर करता है 1.4 करोड़ में दिसंबर 2022 में मिनिस्टर ऑफ स्टेट फॉर एजुकेशन ने पार्लियामेंट में इंफॉर्मेशन प्रेजेंट करी थी जिसमें पता चला हमें कि मीडियन फीस किसी भी प्राइवेट मेडिकल कॉलेज के देश में . 5 लाख पर ईयर है यानी कि पूरी डिग्री की फीस हो गई करीब ऑलमोस्ट ₹ लाख मीडियन फीस डीम्ड यूनिवर्सिटीज की इससे भी ज्यादा है ₹ लाख पर ईयर टोटल फीस 1 करोड़ से ज्यादा देश में कितने परिवार ऐसे हैं जो इसे अफोर्ड कर सकते हैं 2022 की रिपोर्ट स्टेट ऑफ इनिक्वालिटी इन इंडिया के अनुसार % इंडियंस की कमाई 255000 पर मंथ से कम है 90 पर देशवासी यह कॉलेज फीस अफोर्ड ही नहीं कर सकते अब यह बातें सुनकर कोई

न्यूज़ एंकर बहाना मारेगा कि सबको डॉक्टर ही क्यों बनना है तो आइए दोस्तों इंजीनियर्स की भी बात कर लेते हैं दिसंबर 2022 में हमारे मिनिस्टर ऑफ स्टेट फॉर एजुकेशन सुभाष सरकार ने राज्यसभा में बताया कि इवन दो इंडियन पॉपुलेशन बढ़ रही है लेकिन पिछले 5 सालों में टोटल नंबर ऑफ इंजीनियरिंग कॉलेजेस में जो सीटें हैं वो नीचे जा रही हैं 2017-18 में 14.6 5 लाख सीटें थी ये नीचे गिर के 202122 में सिर्फ 12.53 लाख रह गई लेकिन यहां पर इस प्रॉब्लम का एक और पहलू है 2017-18 में आधी से ज्यादा सीटें खाली गई 2018-19 में 48.6 पर सीट्स वेकेंट थी 202122 में भी करीब 33 पर सीट्स वेकेंट थी यानी 4.21 लाख सीट्स खाली यहां भी सप्लाई की कोई कमी नहीं है करोड़ों लोग देश में इंजीनियर बनना चाहते हैं लेकिन इतनी सारी सीटें खाली क्यों जा रही है इंजीनियरिंग कॉलेजेस में इसके पीछे चार मेन कारण है पहला है हाई फीस पिछले कुछ सालों में आईआईटी जैसे कॉलेजेस की भी फीस बढ़ गई है 2016 के इस न्यूज़ आर्टिकल को देखिए आईआईटी में फीस

हाइक ऑलमोस्ट डबल से ज्यादा हुआ 90000 से 2 लाख कर दी फीस 4 साल की बीटेक डिग्री के लिए 8 लाख अब ज्यादा पे करने पड़ेंगे प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेजेस की बात करी जाए तो ये फीस ₹ लाख तक पहुंच जाती है दूसरा फीस चाहे आप कितनी भी ज्यादा पे करो क्वालिटी ऑफ एजुकेशन ज्यादातर केसेस में बहुत लो है ज्यादातर प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेजेस में सब स्टैंडर्ड फैकल्टी है जिन्हें या तो बहुत कम पे किया जाता है या फिर जो क्वालिफाइड ही नहीं होते जून 2023 की मिनिस्ट्री ऑफ एजुकेशन के इस डाटा को देखिए सिर्फ सिर्फ 44.5 1 पर फैकल्टी इंजीनियरिंग कॉलेजेस में देश में इनके पास पीएचडी है सिर्फ 55.9 पर के पास एक मास्टर्स डिग्री है ये अलाउ भी कैसे किया जा रहा है तीसरा ज्यादातर इंजीनियरिंग कॉलेजेस में फैकल्टी की भी शॉर्टेज है दिसंबर 2022 की इस रिपोर्ट को देखिए हमारे एजुकेशन मिनिस्टर ने लोकसभा को बताया कि करीब 4500 फैकल्टी पोस्टस हमारे प्रेस्टीजियस आईआईटी में वेकेंट पड़ी है एकेडमिक ईयर 202122 में ओवरऑल 40.3 पर टीचिंग पोजीशंस वेकेंट थी अगर आईआईटी की यह हालत है तो बाकी इंजीनियरिंग कॉलेजेस की क्या हालत होगी देश में चौथा ज्यादातर कॉलेजेस के पास प्रॉपर इंफ्रास्ट्रक्चर भी नहीं है 2019 में एआईसीटीई ने डिसाइड किया कि देश भर के सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेजेस में 40000 सीट्स रिड्यूस कर दी जाएंगी क्यों क्योंकि इनके पास ना प्रॉपर फैकल्टी थी ना प्रॉपर इंफ्रास्ट्रक्चर था 2022 में अन्ना यूनिवर्सिटी ने एक फिजिकल इंस्पेक्शन किया और पाया कि तमिलनाडु में 50 पर से ज्यादा इंजीनियरिंग कॉलेजस में एडिक्ट इंफ्रास्ट्रक्चर ही नहीं है पिछले साल 37 इंजीनियरिंग कॉलेजेस तमिलनाडु में

ऐसे थे जिनमें एक स्टूडेंट तक नहीं एडमिट किया गया जब देश भर के इंजीनियरिंग कॉलेजेस की इतनी बुरी हालत है तो कोई हैरानी की बात नहीं कि ज्यादातर इंजीनियरिंग ग्रेजुएट्स देश में एंप्लॉय बल ही नहीं होते 2019 में एक एंप्लॉय बिलिटी असेसमेंट कंपनी एस्पायरिंग माइंड्स ने एक रिपोर्ट निकाली जिसमें बताया कि 60 पर इंजीनियरिंग ग्रेजुएट्स देश में इंटर्नशिप ही नहीं करते और इससे भी कम लोग सिर्फ 3 पर इंजीनियर्स के पास न्यू एज टेक्नोलॉजिकल स्किल्स हैं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मशीन लर्निंग डेटा साइंस और मोबाइल डेवलपमेंट की फील्ड में इस सबकानतीजा 80 पर से ज्यादा इंडियन इंजीनियर्स एंप्लॉय बल ही नहीं है और यह इसलिए नहीं क्योंकि वो आलसी है या पढ़ाई में अच्छे नहीं है बल्कि इसलिए क्योंकि देश में इंजीनियरिंग कॉलेजेस की कमी है और देश के इंजीनियरिंग कॉलेजेस में कंपट एट फैकल्टी और ढंग के इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी है अब कुछ लोग कहेंगे कि इंजीनियरिंग के पीछे ही क्यों पड़े हो कुछ और कर लो कोई आईटीआई जवाइन कर लो आईटीआई यानी इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट जहां पर आप कोई स्किल सीख सकते हो बढ़िया ऑप्शन है लेकिन यहां पर कितनी सीट्स अवेलेबल हमारे मिनिस्टर ऑफ स्टेट फॉर स्किल डेवलपमेंट

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