Is India Heading Towards Dictatorship? Insights from Chandigarh Elections and Farmers’ Protests | Dhruv Rathee
नमस्कार दोस्तों क्या हमारे देश में डेमोक्रेसी खत्म हो चुकी है ये एक बड़ा सीरियस सवाल है आप में से कई लोग इस सवाल को सुनकर जवाब देंगे ओबवियसली नहीं हम जिस पॉलिटिकल पार्टी को चाहे उसको वोट दे सकते हैं जिस पॉलिटिशियन को सबसे ज्यादा वोट मिलते हैं वो पावर में आता है तो ओबवियसली डेमोक्रेसी तो है हमारे देश में लेकिन यह सवाल इससे कहीं ज्यादा गहरा है जो मैं आपको आगे इस वीडियो में आज दिखाने वाला हूं वो काफी शॉकिंग होगा इस वीडियो को देखने के बाद आप सोचने पर मजबूर हो जाओगे इस सवाल का वाकई में सही जवाब क्या है हालांकि अगर आप इस टाइप के लोगों में से
(00:32) हो जो प्रधानमंत्री मोदी को अपना भगवान मानते हैं वो भगवान है हमारे हम उनकी पूजा करते हैं प्राम मिनिस्टर मोदी वो हमारे लिए एक अवतार है वो एक साधारण मनुष्य नहीं है प्रधानमंत्री इस देश के भगवान विष्णु का अवतार है अवतार है या फिर आप इस टाइप के लोगों में से हो जिन्हें लगता है कि मोदी जी ने किया है तो कुछ सोच कर ही किया होगा आप अपना दिल ऑलरेडी मोदी जी को दे चुके हो मोदी हमारा पति हमारा भाई हमारा बाप हमारा गुरु है हां आप सब बोलिए क्यों आपको लगता है कि मोदी जी और योगी जी व विकास दे पाएंगे जो और कोई नहीं दे हम उनके पद दिल दे बैठे हैं ऐसे केस में आपके
(01:05) लिए मुश्किल हो सकता है अपनी आंखें खोलकर सच हजम करना लेकिन बाकी सब लोगों के लिए अगर आप सही मायनों में देश की परवाह करते हो तो आज का यह वीडियो बहुत बहुत जरूरी है बात यहां किसी एक इंसिडेंट की नहीं है बल्कि ढेर सारे ऐसे इंसीडेंट्स की है जो एक के बाद एक होए जा रहे हैं पिछले कुछ महीनों से पिछले कुछ सालों से वो सारे इंसीडेंट्स जो सिर्फ एक चीज की ओर इशारा करते हैं कि हमारा देश वन नेशन वन पार्टी की ओर आगे बढ़ रहा है मीडिया से अपोजिशन की आवाज को पूरी तरीके से खत्म कर देना एमएलएस की हॉर्स ट्रेडिंग इलेक्टेड सरकारों से पावर छीन लेना नए कानून बनाकर
(01:40) इन्वेस्टिगेटिव एजेंसीज का वेपनाइजेशन ईडी सीबीआई का प्रेशर बनाकर अपोजिशन पॉलिटिशियन को जेल भेज देना स्टेट गवर्नमेंट्स की वर्किंग में इंटरफेयर करना गवर्नर्स का इस्तेमाल करके स्टेट गवर्नमेंट से फंड्स को ही विद होल्ड कर लेना जनता से प्रोटेस्ट करने का अधिकार ही छीन लेना और अगर कोई प्रोटेस्ट करे तो उनका टियर गैस और रबर बुलेट से स्वागत करना इलेक्टोरल बंड्स का इस्तेमाल करना अपनी सारी फंडिंग छुपाने के लिए और अगर कोई अपोजिशन का कैंडिडेट इलेक्शन जीत भी जाए तो सीधा-सीधा इलेक्शन फ्रॉड करके खुद को जिता लेना मैं प्रधानमंत्री मोदी से
(02:11) कहना चाहूंगा थोड़ी मजदा रखिए डेमोक्रेसी के ऊपर डिस्कशन करने से पहले दोस्तों हमें यह जानना जरूरी है कि डेमोक्रेसी एक्चुअली में होती क्या चीज है बेसिक कांसेप्ट है लेकिन ज्यादातर लोगों को इस कांसेप्ट पर बहुत भारी मिसअंडरस्टैंडिंग रहती है कुछ लोगों को लगता है कि अगर देश में रेगुलरली इलेक्शंस हो रही हैं और आप वोट डालने जा सकते हो तो इसका मतलब देश एक डेमोक्रेटिक देश है लेकिन पता है क्या इलेक्शंस तो नॉर्थ कोरिया में भी होती है मजाक नहीं कर रहा रेगुलर इलेक्शंस होती है नॉर्थ कोरिया में 100% वोटर टर्नआउट भी देखने को मिलता है
(02:48) उन इलेक्शन से लेकिन बस फर्क यह है कि अगर आप सरकार के द्वारा चुने गए ऑफिशियल कैंडिडेट के लिए वोट नहीं डालोगे तो आपको एंटी नेशनल कंसीडर किया जाता है आपकी जॉब छीन ली जा सकती है आपका घर छीन लिया जा सकता है और और बात अगर यहां सिर्फ डेमोक्रेसी शब्द की है तो नॉर्थ कोरिया देश का जो ऑफिशियल नाम है डेमोक्रेसी शब्द तो उसमें भी आता है नॉर्थ कोरिया को डीपीआर के करके पुकारा जाता है उनकी सरकार के द्वारा डेमोक्रेटिक पीपल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया लेकिन सच्चाई क्या है है तो ये देश एक डिक्टेटरशिप ही सिमिलरली रशिया को भी एक डिक्टेटरशिप कंसीडर किया जाता है लेकिन
(03:20) इलेक्शंस तो वहां भी होती है बस फर्क ये है कि जो भी कैंडिडेट पुटिनटिपटुचिरा तो इससे एक बात साफ हो जानी चाहिए आपको कि सिर्फ इलेक्शंस होने का मतलब यह नहीं कि देश डेमोक्रेसी बन गया इलेक्शंस फ्री और फेयर होनी चाहिए फ्री मतलब जनता को आजादी है जिसके लिए वो वोट डालना चाहे उसके लिए डाल सकते हैं और फेयर का मतलब अलग-अलग कैंडिडेट्स का अलग-अलग पॉलिटिकल पार्टीज के जीतने का एक फेयर चांस है ऐसा नहीं कि किसी एक पार्टी के पास कुछ ज्यादा ही एडवांटेज हो हाल ही में चंडीगढ़ म्युनिसिपल कॉरपोरेशन की मेयर इलेक्शंस हुई इन इलेक्शंस में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने एक अलायंस बनाई थी
(04:00) जिनके कुल मिलाकर टोटल में 20 वोट बनते थे आउट ऑफ 35 पार्टी के वोट्स को देखकर यह बात क्लियर थी कि ये इलेक्शंस ये अलायंस ही जीतेगी लेकिन जब इलेक्शंस एक्चुअली में हुई तो वहां के प्रिजाइंड ऑफिसर ने क्या किया यह बात कोई सीक्रेट नहीं है आप इसकी सीसीटीवी फुटेज देख सकते हो क्या किया इन्होंने आठ कांग्रेस और एईपी के वोट्स को इनवैलिड डिक्लेयर कर दिया और यह सीधा-सीधा इलेक्शन फ्रॉड जो हुआ यहां पर इसे सीसीटीवी कैमरा में भी कैप्चर किया गया इनफैक्ट ये खुद कैमरा की तरफ देखते हुए पड़े गए इनकी शक्ल देखो मतलब जैसे कैमरा की ओर देख रहे हो
(04:33) ऐसा लग रहा है कि चोरी करते हुए पकड़े गए हो और इलेक्शन का रिजल्ट क्या बताया गया कि बीजेपी इन इलेक्शन को जीत गई इतना खुलेआम इलेक्शन फ्रॉड इससे पहले देश में शायद ही कभी हुआ है चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने खुद कहा कि यह सीधा-सीधा मर्डर ऑफ डेमोक्रेसी है हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने यहां पर एक ऐतिहासिक फैसला देकर इस इलेक्शन को बचा लिया लेकिन सवाल यह अगर यहां एक सीसीटीवी कैमरा ना होता और बैलेट पेपर्स ना होते तो क्या यह चोरी पकड़ी जाती ये सिर्फ एक उदाहरण है दोस्तों इससे पहले इस खबर को देखो 2021 की खबर आसाम में एक बीजेपी कैंडिडेट की गाड़ी में एक ईवीएम
(05:06) मशीन पाई गई इसके बाद इलेक्शन कमीशन को रिपोल ऑर्डर करना पड़ा इस जगह का लेकिन इतनी पहले की बात करने की जरूरत ही क्या है इसी महीने की खबर को देख लो फरवरी 204 तीन अनजान लोगों ने पुणे में सासव तहसील के ऑफिस से इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन की कंट्रोल यूनिट चुरा ली क्या मजाक चल रहा है यहां पर क्या हमारी इलेक्शंस यहां फ्री और फेयर तरीके से हो रही हैं इलेक्शन कमीशन एक ऑर्गेनाइजेशन है जिससे एक्सपेक्ट किया जाता है कि फ्री एंड फेयर इलेक्शंस वो देश भर में कंडक्ट करवाएगा लेकिन इलेक्शन कमीशन को ही एक्यूज किया गया है कि वह पार्शल है और
(05:39) बायस्कूप बहुत पुराना है सबसे पहले बीजेपी पॉलिटिशियन नरेंद्र मोदी ने यह आरोप लगाया था सही सुना आपने मई 2014 की इलेक्शन से पहले नरेंद्र मोदी ने इलेक्शन कमीशन पर यह आरोप लगाया था हालांकि वह इसके बाद हुई इलेक्शंस को जीत गए थे लेकिन पिछले 10 सालों में इलेक्शन कमीशन पर इतने आरोप लगाए गए हैं कि प्रशांत किशोर ने तो खुद ही कह दिया कि इलेक्शन कमीशन बीजेपी की एक्सटेंशन है उनका कहना है कि उन्होंने इतना पार्शल और बायस इलेक्शन कमीशन आज तक नहीं देखा इस कमीशन ने हमेशा रूल्स को बेंड करने की कोशिश करी है इस तरीके से शेड्यूल बनाने की कोशिश करी है इलेक्शंस
(06:15) का कि फायदा हमेशा बीजेपी को पहुंचे इलेक्शन कमीशन ने बड़ी क्लियर डायरेक्शंस दे रखी हैं कि इंडियन आर्मी का नाम कभी भी नहीं इस्तेमाल किया जा सकता पॉलिटिकल कैंपस में लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने 2019 की इलेक्शन से पहले बड़ी ही बेशर्मी से वोट्स मांगे मार्टियर्ड स्ट्राइक्स के नाम पर मैं मेरे फर्स्ट टाइम वोटर से कहना चाहता हूं कि आपका पहला वोट पुलगा में जो वीर शहीद हुए उन वीर शहीदों के नाम आपका वोट समर्पित हो सकता है क्या उत्तर प्रदेश के चीफ मिनिस्टर आदित्यनाथ तो इस हद तक पहुंच गए कि उन्होंने इंडियन आर्मी को मोदी जी की सेना बुला दिया और मोदी जी की
(06:54) सेना आतंकवादियों को गोली और गोला देती है अब इस चीज को लेकर जब इलेक्शन कमीशन में कंप्लेंट दर्ज करी गई 21 दिन तक कोई एक्शन नहीं लिया गया और 21 दिन के बाद इलेक्शन कमीशन ने अपनी क्लीन चिट दे दी रूल्स क्लियर लिखे हैं उन्हें वायलेट किया जा रहा है लेकिन फिर भी क्लीन चिट ये इकलौती क्लीन चीट नहीं है प्रधानमंत्री मोदी को कम से कम चार अलग-अलग केसेस में ऐसी क्लीन चीट्स मिली है अमित शाह ने राहुल गांधी की कंसीट एंसी को पाकिस्तान से कंपेयर किया था यह भी करना रूल्स के खिलाफ है लेकिन इलेक्शन कमीशन ने इसमें भी क्लीन चीट दे दी कुल मिलाकर सात ऐसे केसेस हैं जिसमें
(07:28) मोदी और शाह को क्लीन चीट मिली हुई एनडीटीवी ने उस वक्त यह भी रिपोर्ट किया था कि तीन इलेक्शन कमिश्नर्स में से एक इलेक्शन कमिश्नर ने डिसेंट राय अपनाई इन सात में से पांच केसेस में यानी एक इलेक्शन कमिश्नर ऐसे थे जिनका मानना था कि यहां क्लीन चीट नहीं मिलनी चाहिए बाद में पता चला कि इन इलेक्शन कमिश्नर का नाम था अशोक लवासा पता है इनके साथ आगे जाकर क्या हुआ इनकी पत्नी बेटे बेटी बहन सभी को सरकारी एजेंसियों के नोटिस आ गए सिटीजन कमीशन ऑन इलेक्शंस ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि अशोक लवासा को धीरे से इलेक्शन कमीशन से बाहर कर दिया जरा सोचिए यह एक
(08:01) इलेक्शन कमिश्नर के बारे में बात हो रही है यह एक डेमोक्रेसी है या डिक्टेटरशिप डेमोक्रेसी के अंदर सेपरेशन ऑफ पावर्स इंडिपेंडेंस ऑफ इंस्टीट्यूशंस एक ऐसी चीज है जिसके बारे में आपने स्कूल में पढ़ा होगा हमारे सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश दिया था इलेक्शन कमीशन का इंडिपेंडेंस बनाए रखने के लिए कि जो चीफ इलेक्शन कमिश्नर है और बाकी इलेक्शन कमिश्नर्स हैं उनकी अपॉइंटमेंट तीन मेंबर कमेटी के द्वारा करी जाएगी जिसमें एक प्राइम मिनिस्टर होंगे दूसरे अपोजिशन के लीडर होंगे और तीसरे चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया खुद होंगे ऐसा करने से यह इंश्योर किया जा सके जो इलेक्शन
(08:32) कमिश्नर अपॉइंटमेंट होगा एक तरफ बायस नहीं होगा लेकिन कुछ ही महीने पहले सरकार एक नया लॉ लेकर आई जिसमें सरकार ने कहा कि इस कमेटी से चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को हटाओ हम अपना ही एक मिनिस्टर और रखेंगे इस कमेटी में तो तीन मेंबर की कमिटी में अब दो लोग सरकार के खुद ही हो गए जो इलेक्शन कमिश्नर को अपॉइंटमेंट को भी कंट्रोल ल करना चाहती है इस चीज को बाद में सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया गया था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने यहां कोई एक्शन नहीं लिया यह कहते हुए कि सेपरेशन ऑफ पावर्स है अगर सरकार एक कानून बना रही है तो सुप्रीम कोर्ट उसे इस
(09:10) तरीके से स्ट्राइक डाउन नहीं करना चाहता आज के दिन इलेक्शन कमीशन ने इस चीज पर भी एक लिमिट लगाई हुई है कि एक एमएलए इलेक्शन और एक एमपी इलेक्शन में कितना पैसा खर्च किया जा सकता है एमपी इलेक्शन में लिमिट 95 लाख पर है बीजेपी ने 437 सीट्स पर चुनाव लड़ा था तो पार्टी की जो टोटल स्पेंडिंग है वोह 415 करोड़ से ज्यादा नहीं होनी चाहिए थी लेकिन कितना पैसा इन्होंने खर्च किया इलेक्शन कमीशन की वेबसाइट पर लिखा हुआ है यह ₹ 264 करोड़ कैसे अलाव किया इलेक्शन कमीशन ने सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज ने तो यह भी एस्टिमेट्स में ₹ 77000 करोड़ खर्च किए थे
(09:46) जोक 45 पर ऑफ द टोटल एक्सपेंडिचर था आज के दिन का भी अगर आप डटा देखोगे तो 000 करोड़ की इलेक्टोरल बंड्स बेची गई हैं इन 161000 करोड़ में से 10000 करोड़ से ज्यादा बीजेपी के पास गए 1500 करोड़ कांग्रेस के पास और 800 करोड़ टीएमसी के पास यह सारे अमाउंट्स इलेक्शन की स्पेंडिंग लिमिट से ज्यादा है बीजेपी लीडर उमा भारती ने एक बारही कहा था इलेक्शंस एक चॉइस है बैड और वर्स के बीच में जो कि बात सही है लेकिन सोच कर देखो अगर कोई समाजसेवी जिसने अपनी जिंदगी निकाल दी लोगों की सेवा में वो इलेक्शन लड़ने के लिए 90 लाख कहां से ला पाएगा अपनी हवा अपनी लहर कैसे चला पाएगा
(10:23) स्पेशली जब दूसरी तरफ पार्टी के पास हजारों करोड़ रुपए हो प्रॉब्लम यहां सिर्फ इलेक्शंस की नहीं है अगर किसी पोज पार्टी की सरकार बन भी जाती है तो भी उस सरकार को गिरा दिया जाता है यहां पर अंगन बार एलिगेशंस लगे हैं हॉर्स ट्रेडिंग के बीजेपी पर बार-बार यह कहा गया लोगों के द्वारा कि बीजेपी एमएलएस को एक रिजॉर्ट में लेकर जाती है और उन एमएलएस का मुंह बंद कर देती है पैसे ठूंस करर क्या यह हॉर्स ट्रेडिंग के एलिगेशंस सच्चे हैं मैं तो नहीं बता सकता क्योंकि मैं तो उस रिजॉर्ट के अंदर झांक कर देखता नहीं हूं लेकिन आप खुद ही सोच लो रिजॉर्ट के अंदर
(10:53) वो सारे एमएलएस बैठकर लूडो तो खेलेंगे नहीं ऐसी चीजों में इन्वेस्टिगेशन करने का काम है इन्वेस्टिगेटिव एजेंसीज का लेकिन सारी इन्वेस्टिगेटिव एजेंसीज अगर एक पॉलिटिकल पार्टी के इशारों पर नाचे तो इन आरोपों को कौन इन्वेस्टिगेट करेगा अब यह सोचो इन एमएलएस के घर पर क्या कहानी चलती होगी जो नेता इन एमएलएस को खरीद कर घर आया है अपने बीवी बच्चों को क्या कहता होगा अरे कहां हो जी जल्दी आओ बहुत बढ़िया खुशखबरी लेकर आया हूं जनता की आवाज को दबा कर आया हूं लोकतंत्र का गला घोट कर आया हूं लाओ जी लाओ मिठाई लाओ और दूसरा एमएलए जो बिक गया है कुछ करोड़ पैसों के लिए वो
(11:26) अपने घर में जाकर क्या कहता होगा यह देखो मेरे बच्चों कितना सारा पैसा लाया हूं भारत माता के दामन पर आज हॉर्स ट्रेडिंग का दाग लगाकर आया हूं लो मिठाई खाओ ऐसे नेताओं पर काफी गुस्सा आता है लेकिन साथ ही दया भी नहीं कि ये कितने मिजबिल दिखाना और हॉर्स ट्रेडिंग करना तो सिर्फ एक तरीका है इससे नहीं माना कोई एमएलए तो दूसरा तरीका है इन्वेस्टिगेटिव एजेंसीज ईडी का इस्तेमाल करना ईडी की वेपनाइजेशन पिछले साल 14 पॉलिटिकल पार्टीज ने सुप्रीम कोर्ट में कंप्लेन करी थी कि कैसे सरकार सीबीआई और ईडी का इस्तेमाल माल कर रही है अपोजिशन लीडर्स के खिलाफ उन्होंने बताया
(12:02) कि 3000 से ज्यादा रेड्स करी है इन्होंने पॉलिटिकल लीडर्स पर 2014 से अगर कंपेयर करो तो चार गुना का जंप देखने को मिला है ईडी केसेस में जो पॉलिटिशियन के खिलाफ चल रहे हैं और 95 पर केसेस सिर्फ अपोजिशन पार्टीज के खिलाफ ईडी ने जवाब में कहा कि हमारा कन्विंसेस के ट्रायल्स कंप्लीट हो चुके हैं और 24 केसेस में कन्विसिटी टोटल में 5900 से ज्यादा केसेस रजिस्टर किए हैं ईडी ने ट्रायल सिर्फ 25 केसेस में हुआ है कन्विसिटी अपोजिशन पॉलिटिशियन पर करप्शन का आरोप लगता है और वह बीजेपी जॉइन कर लेता है अचानक से वह साफ हो जाता है सारे केसेस
(12:49) उसके खिलाफ ड्रॉप कर दिए जाते हैं किसी ने इसके ऊपर एक पोयम भी लिखी थी वाशिंग पाउडर मोदी वाशिंग पाउडर मोदी झूठ और फरेबी सब छुप जाए संगीन आरोप अभी चुटकी में मिट जाए हेमंता विश्वा शर्मा जब वह कांग्रेस में थे पहले उन पर आरोप लगा था शारदा चिट फंड स्कैम का सीबीआई ने उन्हें क्वेश्चनिंग के लिए बुलाया नवंबर 2014 में और 2015 में जब से उन्होंने बीजेपी जॉइन करी है सात और एलिगेशंस लगे हैं उनके ऊपर करप्शन के एक आरोप है कि एक लैंड का स्कैम हुआ है एक आरोप है कि वह सिल्क और मुगा इंडस्ट्री का सिंडिकेट चला रहे हैं लेकिन जब से बीजेपी
(13:25) इन्होंने जवाइन करी कोई इन्वेस्टिगेशन नहीं हो रही इनके ऊप पर वैसे ही पॉलिटिशियन की लिस्ट बहुत लंबी है जो जो बीजेपी वाशिंग मशीन के अंदर घुसे हैं शुवेंदु अधिकारी जितेंद्र तिवारी नारायण राने येडु रप्पा प्रवीण दारे करर हार्दिक पटेल अजित पंवार इनमें से कई नेताओं को लेकर तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बड़े-बड़े भाषण दिया करते थे कि यह देखो कितना भ्रष्टाचारी है एनसीपी का मतलब है नेचुरली करप्ट पार्टी इन्हें वोट मत देना कभी लेकिन इन सभी लीडर्स ने जैसे ही बीजेपी जॉइन किया सारी इन्वेस्टिगेशन रुक गई सारे करप्शन स्कैम्स इनके भुला दिए गए
(13:57) बीजेपी लीडर अटल बिहारी वाजपेई ने एक बार य कहा था जहां सत्ता पाने के लिए भ्रष्टाचारियों का साथ लेना पड़े ऐसी सत्ता को मैं चिमटे से छूना भी पसंद नहीं करता अगर सत्ता हाथ में आती है तो मैं ऐसी सत्ता को चिमटे से भी छूना पसंद कर लेकिन वो जमाना ही कुछ और था वह बीजेपी और आज की बीजेपी जो है इसमें जमीन आसमान का अंतर है आज जब नितिन गडकरी से सवाल किया जाता है मोदी के वॉशिंग पाउडर को लेकर तो व भी हंसते-हंसते जवाब देते हैं कि बीजेपी का साबुन इको फ्रेंडली साबुन है चुनाव में जीत इंपोर्टेंट होता है और जो जीता वही सिकंदर होता है बीजेपी वाला जो साबुन है
(14:33) वो सबको साफ कर दे रहा है वाशिंग मशीन इको फ्रेंडली साबुन है आप किसकी बात से ज्यादा सहमत हो आज के नितिन गडकरी जी या पहले के अटल बिहारी वाजपेई जी कमेंट्स में लिख के बताना पैसे का लालच और ईडी के प्रेशर के बाद भी अगर कोई अपोजिशन पॉलिटिशियन बीजेपी को जॉइन नहीं करता तो उनके खिलाफ जो कारवाई है वो चलती रहती है और कई केसेस में उन्हें बिना और कई महीनों तक वह जेल में पड़े रहते हैं आम आदमी पार्टी के एमपी राघव चड्डा ने बताया कि अगर मनीष सिसोदिया सत्येंद्र जैन अभिषेक बैनर्जी संजय रावत फारूक अब्दुल्ला तेजस्वी यादव यह बीजेपी जॉइन कर लेना ईडी
(15:11) और सीबीआई जितने भी केसेस इनके खिलाफ चला रही है व सारे बंद हो जाएंगे इमीडिएट और मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन को जो जेल में डाल रखा है वो तुरंत जेल से बाहर आ जाएंगे अब कंविद किसी को सजा काटने के लिए जेल में डाला जाए व अलग बात है लेकिन यहां पर कन्विसिटी पॉलिटिशियन को भेजा जा रहा है सबसे खराब बात तो यह है कि जिन स्टेट्स में अपोजिशन की सरकारें एजिस्ट करती हैं वहां पर उन्हें काम भी नहीं करने दिया जाता एक नहीं दो नहीं बल्कि बहुत सारी अलग-अलग स्टेट्स ने बार-बार ये आरोप लगाया है मोदी सरकार के ऊपर कि गवर्नर्स का इस्तेमाल करके हमारे डे टू डे अफेयर्स में इंटरफेरेंस करी जा रही है हमारे कामों पर
(15:44) रोक लगाई जा रही है वेस्ट बंगाल की सरकार ने ऐसा कहा बार-बार वेस्ट बंगाल के गवर्नर पर यह ब्लेम गया तमिलनाडु की सरकार ने ऐसा कहा दिल्ली की सरकार ने ऐसा कहा केरला की सरकार ने ऐसा कहा पिछले साल केरला की सरकार ने तो यह तक आरोप लगाया था कि जो हम बिल पास करते हैं हमारे गवर्नर उस पर 2-2 साल तक बैठे रहते हैं उन बिल्स को अप्रूव ही नहीं होने देते इस बात को लेकर केरला स्टेट ने सुप्रीम कोर्ट में कंप्लेन भी करी और सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गवर्नर्स इस तरीके से बिल्स पर बैठ नहीं सकते ये
(16:15) चीज अनकंस्टीट्यूशनल है दिल्ली में एलजी वर्सेस दिल्ली सरकार के बीच में जो इशू चला है उसके बारे में तो आप कई साल से सुनते आ रहे होंगे सीएम केजरीवाल ने बार-बार कहा है पिछले कई सालों में कि हमें काम नहीं करने दिया जा रहा एलजी हमारे काम के बीच में इंटरफेरेंस करते हैं इस बात को लेकर दिल्ली सरकार भी सुप्रीम कोर्ट गई थी और सुप्रीम कोर्ट ने उनके फेवर में डिसीजन भी सुनाया था सुप्रीम कोर्ट ने वहां पर भी कहा था कि एलजी को इस तरीके से इंटरफेरेंस नहीं करनी चाहिए असली पावर चुनी गई सरकार के हाथ में लेकिन सेंट्रल गवर्नमेंट ने क्या किया सुप्रीम
(16:43) कोर्ट के इस फैसले के बाद वो एक नया कानून ले आए दिल्ली सरकार की पावर्स को छीनने के लिए जीएनसीटीडी गवर्नमेंट ऑफ नेशनल कैपिटल टेरिटरी ऑफ दिल्ली अमेंडमेंट एक्ट 2023 इसका इस्तेमाल करके मोदी सरकार ने कई सारी पावर्स जो दिल्ली सरकार के पास थी उन्हें ट्रांसफर कर दिया एलजी जी के पास हमने अस्पताल बदले थे अस्पताल शानदार बना दिए सारी दवाइयों का सबका इंतजाम किया इन्होंने अफसरों के ऊपर उनकी हाथ मरोड़ के उनका उन दवाइयां बंद करा दी इन्होने इन्होंने टेस्ट बंद करा दिए मोहल्ला क्लीनिक में तीन महीने तक पिछले साल मोहल्ला क्लीनिक में टेस्ट नहीं हो पाए
(17:16) इन्होंने पेमेंट रोक दी लेबोरेटरीज की इतने गंदे और इतने घटिया लोग हैं ये लोग एक दिन एक ऑर्डर पास करके इन्होंने दिल्ली के सारे सरकारी अस्पतालों के डेटा एंट्री ऑपरेटर हटा दिए अब अस्पताल के अंदर रजिस्ट्रेशन करने वा कोई नहीं बचा अरे करना क्या चाहते हो दिल्ली के लोगों को मारना चाहते हो क्या जरा खुद ही सोच कर देखो दोस्तों आप अगर आप एक मोदी फैन हो तो एक सेकंड के लिए उस ख्याल को अपने दिमाग से निकाल दो और सच्चे दिल से अपने आप से पूछ कर देखो अगर प्रधानमंत्री मोदी को सही में देश की चिंता होती देशवासियों की चिंता होती तो क्या वह ऐसी हरकतें करते अब
(17:50) आप में से कुछ लोग सोचोगे कि यार पक्का मुझे किसी अपोजिशन पार्टी ने फंड किया हुगा इस वीडियो को बनाने के लिए लेकिन सच बता रहा हूं किसी पॉलिटिकल पार्टी ने मुझे फंड नहीं किया मैं जो आपको इस वीडियो में दिखा रहा हूं वह असलियत है देश की अगर आपको सही में देश की चिंता है तो आपकी आंखें खुल जानी चाहिए इन चीजों को देखकर न्यूज़ लांड्री की दो दिन पहले की इन्वेस्टिगेशन ने बताया कि ईडी का इस्तेमाल सिर्फ बाकी पार्टीज के खिलाफ नहीं किया जा रहा है बल्कि देश में कंपनीज के खिलाफ भी किया जा रहा है कम से कम 23 ऐसी कंपनी जिन्होंने आज तक बीजेपी को कोई
(18:19) पैसा नहीं डोनेट किया था उनके ऊपर सेंट्रल एजेंसीज की रेड होती है और एक पैटर्न देखने को मिलता है रेड के बाद वह कंपनीज करोड़ों रुपए डोनेट करती हैं बीजेपी को टोटल में 335 करोड़ रुपए इन कंपनीज ने बीजेपी को डोनेट किए जिन पर आईटी या ईडी की रेड पड़ी थी तो क्या यहां पर इन कंपनीज को धमका कर उनसे पैसा भी एक्सटॉर्ट किया जा रहा है क्या हमारी इलेक्शंस फ्री और फेयर तरीके से हो रही हैं यहां मीडिया का भी एक बड़ा इंपॉर्टेंट रोल आता है फेयर इलेक्शंस का मतलब है कि रूलिंग पार्टी के पॉलिटिशियन और अपोजिशन के पॉलिटिशियन दोनों को अपनी बात रखने का मौका दिया
(18:50) जाएगा दोनों को मोर और लेस इक्वल कवरेज मिलेगी मीडिया पर लेकिन हमारे मीडिया में क्या देखने को मिल रहा है दिन रात 2400 घंटे सिर्फ सरकार की तारीफ करी जाती है रूलिंग पार्टी की तारीफ करी जाती है उन्हीं की ही चीजें सुनाई जाती है देश की हर मां ये चाहती है कि उसका बेटा प्रधानमंत्री मोदी जैसा बने और हर बेटा भी खुद को नरेंद्र मोदी से जोड़कर देखना चाहता है मोदी जी के पास हर चीज का सलूशन है पीएम मोदी जैसा कोई नहीं मोदी ने न्यू इंडिया बनाया है पीएम नंबर वन अपोजिशन पार्टीज चाहे पूरी की पूरी भारत जोड़ो यात्रा निकाल ले या अपनी प्रॉमिस जनता के
(19:27) सामने करें एक समय हुआ करता था देश में जब दूरदर्शन पर रूलिंग पार्टी और अपोजिशन पार्टी के पॉलिटिशियन इलेक्शन की डिबेट करते थे न्यूज़ चैनल पर साथ में बैठकर दोनों को अपनी बात रखने का अधिकार था क्या आज के दिन दूरदर्शन ऐसा कर सकता है आज तो बीजेपी स्पोक्स पर्सन को बोलने की भी जरूरत नहीं पड़ती क्योंकि टीवी एंकर्स खुद बीजेपी स्पोक्स पर्सन बने बैठे हैं जनता के बिहाव पर सरकार से सवाल करने की जगह वह सरकार को ही डिफेंड करते हैं और इतना डिफेंड करते हैं कि वह बढ़ती बेरोजगारी के लिए युवाओं को जिम्मेदार ठहराना भी शुरू कर देंगे और अगर आपने इलेक्शंस में किसी
(19:58) अपोजिशन पार्टी पार्टी को जिता दिया तो जनता को ही गालियां देना शुरू कर देंगे और जनता ने राष्ट्रीय मुद्दों और बीजेपी को नकार दिया जब हम वोट डालेंगे तो वोट इस चीज पर डालेंगे कि मुफ्त में कौन-कौन सी चीज कहां पर लगी हुई है एनडीटीवी आखिरी टीवी चैनल था जो हिम्मत करता था सरकार से सवाल करने की अल्टीमेटली उसे भी प्रधानमंत्री मोदी के दोस्त गौतम अडानी ने खरीद ली आज के दिन टीवी न्यूज़ का पूरी तरीके से अंतिम संस्कार हो चुका है देश में सरकार जनता के पैसे से एडवर्टाइजमेंट के नाम पर इन टीवी चैन को बहुत सारा पैसा देती है और यह टीवी चैनल्स जनता की ही
(20:32) आवाज को दबाने का काम करते हैं अगर असली खबरें आप तक पहुंचे ही ना तो क्या आप फ्री और फेयर तरीके से डिसाइड कर पाओगे किसे वोट देना है 77 दिन तक मणिपुर जलता रहा टीवी चैनल्स पर कोई स्पेशल रिपोर्ट नहीं की गई रिसेंटली सीएजी ने 12 रिपोर्ट्स प्रेजेंट करी थी जिसमें ढेर सारी इरेगुलेरिटीज देखने को मिली और करप्शन के इंस्टेंसस देखने को मिले सरकारी डिपार्टमेंट्स और मिनिस्ट्री में आयुष्मान भारत स्कीम में 9 लाख से ज्यादा लोग सिर्फ तीन मोबाइल नंबर्स का इस्तेमाल कर रहे थे करोड़ों रुपए स्पेंड किए गए 3400 पेशेंट्स की ट्रीटमेंट पर जिन्हें ऑलरेडी मुर्दा
(21:05) घोषित कर दिया गया था जब सीएजी की तरफ से ये रिपोर्ट सामने आई तो सीएजी के ऑफिसर्स का उठाकर ट्रांसफर कर दिया सरकार ने क्या आपने खबर टीवी चैनल्स पर सुनी नहीं सुनी होगी कैसे पहुंचेगी आप तक अच्छा दूसरी मिसअंडरस्टैंडिंग लोगों की रहती है कि लोग डेमोक्रेसी को मेजॉरिटेरियन जम से कंफ्यूज कर देते हैं इमेजिन करो आप एक गाड़ी में बैठकर जा रहे हो पांच लोगों के साथ एक बंदा उस गाड़ी में बैठा कहता है कि मुझे बहुत तेज म्यूजिक सुनना है लाउड म्यूजिक चलाओ वो अपने दोस्त और ड्राइवर को कन्विंसिबल चाहिए गाड़ी में लेकिन आप ट्रेवल कर रहे हो अपने पिता के साथ
(21:36) जिन्हें हार्ट की प्रॉब्लम है आप कहते हो कि नहीं लाउड म्यूजिक नहीं बजना चाहिए वो बंदा कहता है ठीक है डेमोक्रेसी है चलो वोट करते हैं और तीन लोग वोट करते हैं कि लाउड म्यूजिक बजना चाहिए आप और आपके पापा दो लोग कहते हो कि नहीं बजना चाहिए मेजॉरिटी ने वोट किया कि लाउड म्यूजिक बजना चाहिए डेमोक्रेसी है इसका मतलब गाड़ी में तेज तेज लाउड म्यूजिक बजेगा क्या ये सही माइनों में डेमोक्रेसी है नहीं ये स्टुपिड डिटी है इसका एक रियल लाइफ में छोटे स्केल पर एग्जांपल दूं तो एक गुड़गांव की सोसाइटी से इस सर्कुलर को देखिए डियर रेजिडेंट्स दिस इज टू इफॉर्म
(22:07) यू दैट टू व्हीलर नॉट परमिटेड इनसाइड आवर सोसाइटी एज पर डिसीजन ऑफ द मैनेजमेंट मतलब सोसाइटी के अंदर सिर्फ गाड़ियां जाएंगी लेकिन स्कूटर्स और मोटरसाइकिल्स नहीं जा सकती खुलेआम डिस्क्रिमिनेशन देखो भाई जो मैनेजमेंट है आरडब्ल्यूए वाले हैं उन्हें लोगों ने ही तो इलेक्ट किया है तो आपको अगर यह रूल पसंद नहीं आ रहा आप चुप बैठे रहो क्योंकि मेजॉरिटी लोगों का यहां पर कंसेंट है उन्होंने ही आरडब्ल्यूए को इलेक्ट है जो लोग डेमोक्रेसी और मेजॉरिटेरियन जम को कंफ्यूज करते हैं एक दूसरे से उनकी यही सोच होगी ये सिर्फ एक सोसाइटी की बात नहीं है ढेरों सोसाइटीज हैं ऐसी देश भर में
(22:36) जहां पर एक से बढ़कर एक स्टुपिड रूल्स आपको देखने को मिलेंगे 2019 के इस आर्टिकल को देखिए एक बैंक एंप्लॉई कह रही है कि उनकी बहन को कोई अपार्टमेंट रेंट पर ही नहीं मिला क्योंकि बहुत सी आरडब्ल्यूएस ने उन्हें ब्लैकलिस्ट कर दिया सिर्फ इसलिए क्योंकि उनकी बहन एयर हॉस्टेस थी कुछ सोसाइटीज कहती हैं कि हम एयर हॉस्टेस को अपार्टमेंट रेंट पर नहीं दे सकते अपनी सोसाइटी में क्योंकि उनके ऑड टाइमिंग्स होते हैं अक्सर ये आरडब्ल्यूएस जो चाहे वो उठ पटांग रूल बना देते हैं जैसे नोएडा की कुछ सोसाइटीज में एंट्री और एग्जिट फीस लगाई गई है कि आप हमारी
(23:05) सोसाइटी में एक अपार्टमेंट रेंट करना चाहते हो तो उसकी एक एंट्री फीस देनी पड़ेगी और जो रेंट आप लैंडलॉर्ड को पे कर रहे हो वो तो वैसे ही पे करोगे लेकिन और जब छोड़कर जाओगे हमारी सोसाइटी अब एक एग्जिट फीस भी है देश में लोकल लेवल पर जो मेजॉरिटेरियन जम देखने को मिलता है ये आरडब्ल्यूएस उसका सबसे अच्छा उदाहरण है वैसे यहां डेमोक्रेसी और मेजॉरिटेरियन जम की बात करते हुए एक ऑडियो बुक मैं आपको रिकमेंड करना चाहूंगा कुक एफएम पर फैस एंड डेमोक्रेसी ये जॉर्ज ऑरवेल की बुक अडेप्ट है जो आपको बहुत ही सिंपल भाषा में हिंदी में समझाती है कि डिक्टेटरशिप्स क्या होती हैं कुक एफएम को नहीं जानते
(23:35) एक बढ़िया ऑडियो लर्निंग का प्लेटफॉर्म जहां पर आपको ढेर सारी ऑडियो बुक्स सुनने को मिलेंगी अलग-अलग टॉपिक्स पर चाहे वो हिस्ट्री हो ज्योग्राफी हो पॉलिटिक्स हो या फिक्शन हो आपने अगर अभी तक डाउनलोड करके नहीं देखा है जरूर ट्राई करके देखिए इसका लिंक नीचे डिस्क्रिप्शन में मिल जाएगा और उसी लिंक में एक स्पेशल 50 पर ऑफ का कूपन कोड भी मिलेगा यहां इनका धन्यवाद इस वीडियो को स्पों सर करने के लिए अब टॉपिक पर वापस आते हैं कुछ लोगों की यही सोच रहती है पॉलिटिशियन और सरकारों को लेकर भी कि एक बारी हमने पॉलिटिशियन को इलेक्ट कर दिया
(24:03) वह पावर में आ गए तो वो जो चाहे वो रूल बना सकते हैं हमारे कॉन्स्टिट्यूशन के प्रिंबल पर चार शब्द बड़े क्लियर लिखे हुए हैं लिबर्टी इक्वलिटी फ्रेटरनिटी और जस्टिस ये चार शब्द डेमोक्रेसी के कॉर्नर स्टोंस है इनफैक्ट डॉ अंबेडकर तो एक स्टेप और आगे चले गए थे उन्होंने कहा था कि ये चार शब्द जिंदगी की प्रिंसिपल्स हैं तो मेजॉरिटी वोट का मतलब यह नहीं कि आप किसी के नेचुरल राइट्स छीन सकते हो डिस्क्रिमिनेशन कर सकते हो और नॉनसेंस रूल्स बना सकते हैं यही रीजन है कि सरकार के द्वारा लिए गए कुछ फैसलों को हम कह सकते हैं कि वह डेमोक्रेसी के खिलाफ है
(24:35) सुप्रीम कोर्ट की भाषा में वो अनकंस्टीट्यूशनल है जैसे कि अभी कुछ ही दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड्स की स्कीम को स्ट्राइक डाउन किया उसे अनकंस्टीट्यूशनल बताते हुए कोर्ट ने कहा कि सरकार ने आर्बिट्रेरी रूल बनाया था ये इलेक्टोरल बॉन्ड्स की स्कीम क्यों अनकंस्टीट्यूशनल थी और जनता के खिलाफ थी इसकी बात मैंने पिछले कई वीडियोस में करी है तो ये एक बहुत अच्छी चीज है कि सुप्रीम कोर्ट ने थोड़ा लेट फेसड लिया लेकिन कम से कम सही फैसला लिया यहां पर डेमोक्रेसी और जनता के फेवर में लेकिन सरकार को अकाउंटेबल ठहराने का काम सिर्फ सुप्रीम
(25:05) कोर्ट का नहीं है एक असली डेमोक्रेसी में यह काम अपोजिशन का भी है मीडिया का भी है सिविल सोसाइटी का भी है और जनता का भी है और इसी रीजन से आरटीआई जैसे मैकेनिज्म एजिस्ट करते हैं राइट टू इंफॉर्मेशन एक्ट जिससे कि हमें डाटा मिल पाए सरकार के बारे में सेम रीजन की वजह से मीडिया को फोर्थ पिलर ऑफ डेमोक्रेसी कहा जाता है कि वह सरकार को अकाउंटेबल ठहराए लेकिन आज के दिन की हालत क्या है टिल डेट प्रधा प्रधानमंत्री मोदी ने जीरो प्रेस कॉन्फ्रेंसेस करी है जहां पर अनस्क्रिप्टेड सवाल उनसे पूछे गए हो अकाउंटेबिलिटी बिल्कुल जीरो है प्रेस
(25:35) कॉन्फ्रेंस तो छोड़ो एक अनस्क्रिप्टेड सवाल तक सुनने की हिम्मत नहीं है उनमें जब मनमोहन सिंह जी प्रधानमंत्री थे उन्होंने कम से कम 117 बार प्रेस कॉन्फ्रेंसेस करी थी या प्रेस को एड्रेस किया था हमारे देश में जब आखिरी बारी प्रॉपर प्रेस कॉन्फ्रेंस करी गई थी प्रधानमंत्री के द्वारा उस दिन को 10 साल से ज्यादा हो चुके हैं उस आखिरी प्रेस कॉन्फ्रेंस में 62 अनस्क्रिप्टेड क्वेश्चंस पूछे गए थे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से और 100 से ज्यादा जर्नलिस्ट मौजूद थे एक सच्ची डेमोक्रेसी में यही अकाउंटेबिलिटी रीजन है जिसकी वजह से पब्लिक को भी प्रोटेस्ट करने
(26:07) का अधिकार दिया जाता है अगर हमारे देश के द्वारा चुने गए मैनेजर्स आरटीआई के सामने अकाउंटेबिलिटी में इंटरेस्टेड नहीं है मीडिया के सामने अकाउंटेबिलिटी नहीं दे सकते तो जनता के सामने तो उन्हें अकाउंटेबिलिटी देनी पड़ेगी इसका एक पॉजिटिव एग्जांपल हाल ही में यूपी में देखने को मिला जब उत्तर प्रदेश की सरकार ने एक बड़ा ही अजीबोगरीब अन डेमोक्रेटिक रूल बनाया उन्होंने कहा कि कोच सेंटर्स के लिए गाइडलाइंस हैं कि वह लड़कियों के लिए क्लासेस रात के 8 बजे के बाद ना कंडक्ट करें अगर वह करेंगे तो उनके खिलाफ एक्शन लिया जाएगा और सरकार ने अपनी तरफ से क्या
(26:38) जस्टिफिकेशन दिया यह लड़कियों की सेफ्टी के लिए किया जा रहा है लेकिन क्या इस बात में कोई सेंस है लड़कियों को जिनसे खतरा है उनको कंट्रोल करने की बजाय आप लड़कियों को पिंजर में डाल रहे हो बहुत सी सोशल एक्टिविस्ट जैसे कि माला भंडारी ने इसके खिलाफ प्रोटेस्ट किया इन रूल्स के खिलाफ और प्रोटेस्ट के बाद यूपी गवर्नमेंट ने इस बैन को वापस भी ले लिया यह छोटा सा इंसीडेंट दिखाता है कि जनता की क्या ताकत है एक डेमोक्रेसी में लेकिन अगर लोगों से प्रोटेस्ट करने का अधिकार ही छीन लिया जाए तो हाल ही में जब किसान दोबारा से उतरे सड़कों पर प्रोटेस्ट करने के लिए तो सरकार
(27:10) ने नोकीली कीलों के साथ उनका स्वागत किया कुछ जगहों पर सड़कों की खुदाई कर दी गई सड़कों को कंप्लीट ब्लॉक करने के लिए फिर किसानों के ऊपर रबर बुलेट्स चलाई गई उनके ऊपर टियर गैस फेंकी गई वो भी ड्रोसते माल करके मानो ये कोई वॉर जोन हो जो फोटोस थी बॉर्डर की क्रॉसिंग की ऐ लग रहा था कि देश का यह बॉर्डर हो चाइना के साथ वहां भी इस तरीके से इंतजाम नहीं किए होते और खबरों में अब रिपोर्ट किया जा रहा है कि कम से कम तीन किसान अंधे हो गए पुलिस के द्वारा चलाई गई इन रबर बुलेट्स की वजह से इस प्रोटेस्ट के पीछे क्या कारण है किसानों की क्या मांगे हैं इसकी बात एक सेपरेट वीडियो में करेंगे
(27:44) लेकिन अभी के लिए इस बात से फर्क नहीं पड़ता पॉइंट यहां पर यह है कि एक पीसफुली प्रोटेस्ट करने वाले आम इंसान को सरकार इस तरीके से ट्रीट करें क्या यह सही है इससे पहले रेसलर प्रोटेस्ट हुआ वहां भी वही बर्ताव देखा गया पुलिस का पिछले फार्मर प्रोटेस्ट में भी यही देखा गया कितने ही किसानों की जाने गई उस प्रोटेस्ट के दौरान 2021 के इस आर्टिकल के अनुसार कम से कम 600 किसान मारे गए थे उन पिछले फार्मर्स प्रोटेस्ट में और ये तो वो प्रोटेस्ट है जिनकी बात आपको खबरों में थोड़ी सुनने को मिल जाती है क्योंकि एक लिमिट से ज्यादा बड़े हो गए हैं प्रोटेस्ट
(28:16) इसके अलावा जो ज्यादातर प्रोटेस्ट देखने को मिले हैं पिछले सालों में उनकी तो कभी खबरों में बात तक ही नहीं करी गई क्या आप जानते थे 240 दिन से ज्यादा लंबे चले कश्मीरी पंडित के प्रोटेस्ट के बारे में या सरकारी एंप्लॉई जो ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर प्रोटेस्ट कर रहे हैं या 400 दिन लंबा चल रहा प्रोटेस्ट हिसार में दूरदर्शन केंद्र के क्लोजिंग के खिलाफ या पिछले साल हुआ डॉक्टर्स का प्रोटेस्ट या अनइंप्लॉयड यूथ का प्रोटेस्ट यह मत समझना कि आपका यहां पर कुछ लेना देना नहीं है क्योंकि आप इन प्रोटेस्ट में भाग नहीं ले रहे क्योंकि
(28:46) कल को अगर आपके साथ कुछ भी अन्याय होता है सरकार कोई भी ऐसा फैसला ले लेती है जो आपके खिलाफ जाता हो और आप अपनी आवाज उठाने के लिए प्रोटेस्ट करने निकलते हैं तो क्या क्या लगता है आपको आपको ऐसे ट्रीट नहीं किया जाएगा जैसे इन किसानों को आज ट्रीट किया जा रहा है आपको स्पेशल हो क्या अगर सरकार सभी प्रोटेस्टर्स को इसी तरीके से ट्रीट कर रही है तो आपको कोई स्पेशल प्रिविलेज नहीं मिलेगी अब यह सवाल जो मैंने आपसे वीडियो के शुरू में पूछा था मैं दोबारा पूछना चाहूंगा क्या डेमोक्रेसी आज के दिन देश में अभी भी जिंदा है क्या आपका जवाब इसको लेकर कुछ भी हो लेकिन एक
(
29:20) चीज तो पक्की है अगर हालात इसी तरीके से बिगड़ते रहे तो ज्यादा समय नहीं लगेगा नॉर्थ कोरिया और रशिया के लेवल तक गिरने में जहां डेमोक्रेसी नाम में तो जरूर होगी इलेक्शंस भी कराई जाएंगी लेकिन असल माइनों में डेमोक्रेसी का अंतिम संस्कार हो चुका हो बहुत-बहुत धन्यवाद
How useful was this post?
Click on a star to rate it!
Average rating 0 / 5. Vote count: 0
No votes so far! Be the first to rate this post.
We are sorry that this post was not useful for you!
Let us improve this post!
Tell us how we can improve this post?