रामलला का वनवास हुआ पूरा | Ram Mandir Ayodhya | Sonu Sharma
संसार में ऐसा कौन है जिसे राम के जैसा पुत्र राम के जैसा मित्र राम के जैसा भाई राम के जैसा पति राम के जैसा राजा और यहां तक कि राम के जैसा मर्यादित शत्रु ना चाहिए हो राम हर कसौटी पर खरे उतरते हैं राम हर रिश्ता निभाना जानते हैं केवट निषादराज माता शबरी जो शायद राम के दर्शन करने कभी अयोध्या नहीं आ पाते राम उनसे मिलने 14 वरस का वनवास स्वीकार करते हैं कहते हैं एक बार महादेव शिव के तीनों पुत्र देव दानव और मानव अपने पिता शिव के पास पहुंचे और प्रार्थना करने लगे कि आप अपनी संपत्ति का बंटवारा हम तीनों पुत्रों में बराबर कर दें देखो भाई डीले सिर्फ आज
(00:49) के युग में नहीं पहले भी होती थी तीनों पुत्र देव दानव और मानव महादेव से अपनी संपत्ति का बंटवारा करने के लिए कह रहे हैं महादेव के पास संपत्ति के के नाम पर कोई फ्लैट या जमीनें तो थी नहीं पर उनके पास करोड़ों श्लोकों की अद्भुत संपदा थी तो उन्होंने अपने तीनों पुत्रों में अपनी संपदा बराबर बराबर बांट दी और केवल एक श्लोक अपने पास रख लिया तीनों पुत्र बोले पिताजी इस एक श्लोक का भी आप क्या करेंगे यह भी हमें दे दीजिए महादेव तो महादेव हैं धन धन भोलेनाथ तुम्हारे कौड़ी नहीं खजाने में तीन लोक बस्ती में बसाए आप बसे वीराने महादेव सोचने लगे ये लोग मानेंगे नहीं अब
(01:30) इस श्लोक में 32 अक्षर थे तो शिव ने तीनों में 1010 अक्षर बराबर बराबर बांट दिए और बाकी बचे दो अक्षर अपने पास रख लिए और उनसे कहा जाओ अब खुशी-खुशी रहो मैंने अपनी पूरी संपत्ति तुम्हारे नाम कर दी और सिर्फ दो अक्षर ही अपने पास रख लिए और मेरे लिए वही पूरी संपत्ति है अब इन्ही दो अक्षरों के सहारे अपना जीवन व्यतीत करूंगा जानते हैं वह दो अक्षर जो महादेव ने अपने पास रख लिए थे वो क्या थे वो दो अक्षर थे रा और मां यानी कि राम नमस्कार दोस्तों मैं सोन शर्मा मोटिवेशनल स्पीकर एंड लाइफ कोच हम सब जानते ही हैं कि 22 जनवरी हम सबके लिए
(02:14) बहुत बड़ा दिन है जब रामलला अयोध्या में विराजमान होंगे और हमारा वर्षों का वनवास खत्म होगा तो आइए आज के इस वीडियो में जनजन के आराध्य श्री राम के जीवन से कुछ अंश चुराकर उनसे अपने जीवन में प्रकाश डालते हैं और मैं मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के चरणों में इस वीडियो रूपी छोटी सी भेट को समर्पित करता हूं और उनसे विनती करता हूं कि हमारी छोटी बुद्धि से अगर कोई भूल हो जाए तो अपना दास समझ के हमें माफ करें दोस्तों बड़े से बड़ा पराक्रमी जब युद्ध लड़ता है तो दो संभावनाएं होती है या तो वो विजय का तिलक लगाएगा या फिर पराजय का कलंक धारण करेगा
(02:51) पर राम जी के साथ ऐसा नहीं है जब भी उन्होंने युद्ध किया तो युद्ध ही नहीं शत्रु को भी जीत लिया राम जी ने अपने जीवन में जो कुछ भी किया कहा सब कुछ मिसाल बन गया करुणा दया न्याय की मूर्ति राम जी के लिए मर्यादा पुरुषोत्तम उपाधि नहीं है वो एक यथार्थ सत्य है जैसे सूर्य के तेज से अंधेरे का मिट जाना सत्य है जैसे चंद्रमा की स्थिति से सागर की लहरों का विचलित हो जाना सत्य है साथियों जितनी जरूरी बीमार व्यक्ति के लिए औषधि होती है अंधे के लिए लाठी होती है बुढ़ापे के लिए योग्य संतान होती है उतना ही जरूरी इस घोर कलयुग में राम का नाम है आज मैं आपको श्री राम जी से
(03:31) जुड़ी कुछ ऐसी बातें बताने का प्रयास करूंगा जिसे अपनाकर हम सब अपने घर को स्वर्ग बना सकते हैं ऐसी बातें जिनसे सीखकर आप अपने जीवन के रावण को मार सकें अपनी जानकी को ढूंढ सकें अपने लक्ष्मण को पहचान सकें और अपने हनुमान को अपने जीवन से दूर जाने से रोक सकें सबसे अच्छी बात यहां ये समझना है कि राम जी के रास्ते पर चलकर सिर्फ सफलता ही नहीं संतोष भी मिलता है एक तरह की सेटिस्फेक्शन मिलती है आज इस बात को समझ लेना बहुत जरूरी है कि राम का अवतार सिर्फ रावण वध के लिए नहीं हुआ था अगर सिर्फ रावण को ही मारना होता तो किसी पहाड़ की चोटी पर बैठे-बैठे राम अपनी
(04:12) तर्जनी उंगली हिलाते और रावण अपने कुल साम्राज्य और ज्ञान के साथ अपने राज सिंहासन पर बैठा बैठा भस्म हो जाता यही बात वनवास के दौरान राम माता शबरी को भी समझा रहे हैं जब माता शबरी कहती हैं कि राम अगर रावण का वध ना करना होता तो तुम कहां मुझसे मिलने जंगल में आते तो राम उत्तर देते हैं माता राम रावण को मारने जंगल नहीं आया रावण का वध तो लक्ष्मण अपने पैर से बाण चलाकर भी कर सकता है राम तो तुमसे मिलने आया है राम की वनयात्रा रावण युद्ध के लिए नहीं है माता राम की वन यात्रा प्रारंभ हुई है भविष्य के लिए आदर्श की स्थापना के लिए राम निकला है
(04:53) ताकि संपूर्ण विश्व को बता सके कि मां की अवांछनीय इच्छाओं को पूरा करना ही राम होना है राम निकला है ताकि भारत को सीख दे सके कि किसी सीता के अपमान का दंड रावण के पूरे साम्राज्य के विध्वंस से पूरा होता है अद्भुत संवाद है माता शबरी और श्रीराम के बीच अंत में विदा लेते हुए राम शबरी से पूछते हैं मां मैं किस रास्ते से आगे जाऊं शबरी मुस्कुराते हुए कहती हैं दुनिया को राह दिखाने वाले मुझसे राह पूछ रहे हैं तुम्हारे लिए सभी मार्ग सुगम है राम फिर भी अगर तुमने मुझसे पूछा है तो मैं बताती हूं यहां से ऋषिमुख पर्वत की ओर जाओ सुग्रीव से तुम्हारी भेंट होगी जो सीता को
(05:32) खोजने में तुम्हारी मदद करेगा राम माता शबरी का आशीर्वाद लेकर वहां से आज्ञा की यात्रा शुरू करते हैं इससे पहले आगे बढ़े एक सवाल आपसे पूछता हूं क्या सच में श्रीराम ने ही रावण को मारा था जी नहीं रावण को उसके घमंड और उसकी सोच ने मारा और क्या रामायण में लक्ष्मण रेखा माता सीता ने पार करी थी जी नहीं रेखा तो रावण ने पार की थी और वो रेखा थी मर्यादा की स्त्री सम्मान की और और यहीं से रावण का वध निश्चित हो गया था राम कथा से हमें यही सीख मिलती है कि रेखा कोई भी हो आपको अपनी सीमा तय करनी चाहिए नहीं तो विनाश निश्चित हो जाता है इसी तरह की अनेकों जरूरी सीख
(06:14) जानने और अपने जीवन की व्यथा को सुलझाने के लिए बिल्कुल रोचक अंदाज में बनी राम कथा सुनिए सिर्फ कुक एफएम पर कुक एफएम एप पर राम कथा सुलझाए सबकी व्यथा इस शो के एपिसोड में ना केवल आपको राम जी के जीवन के बारे में बताया गया है साथ ही आज के टाइम में जीवन में आने वाली परेशानियों का समाधान भी बताया गया है कुक एफएम इंडिया का लीडिंग ऑडियो शो प्लेटफार्म है जहां आपके लिए 10000 से भी ज्यादा ऑडियो बुक्स एंड ऑडियो शोज अवेलेबल हैं जो कि सेल्फ हेल्प फाइनेंस बिजनेस स्पिरिचुअल कैटेगरी में हैं जिनको सुनने से आप एक प्रोडक्टिव इंसान बन सकते हैं और इस नए साल में नई
(06:53) बातें सीखकर खुद को बहुत बेहतर बना सकते हैं कुक एफएम का फर्स्ट मंथ सब्सक्रिप्शन 99 का है पर मेरा कोड यूज करिए सोनू 50 आपको यही सब्सक्रिप्शन सिर्फ 9 में मिल जाएगा यानी सिर्फ 49 में महीने भर सीखने की छूट चेक आउट माय पिन कमेंट एंड डिस्क्रिप्शन फॉर डाउनलोड लिंक दोस्तों अब थोड़ा पीछे की तरफ लौटते हैं कि श्री राम को राज तिलक देने का विचार दशरथ जी को कैसे आया एक दिन महाराज दशरथ ने आईना देखा कानों के ऊपर कुछ बाल अब सफेद हो चले हैं अपनी प्राणों से प्रिय पत्नी कैकई से कहा कैकई बुढ़ापा दस्तक दे रहा है हमारे वन गवन का समय आ गया है अब मुझे सारा राज पाठ
(07:38) राम के हाथों में सौंप देना चाहिए और बिना वक्त जाया किए गुरुजनों से चर्चा करके राजगद्दी युवराज राम को देने की घोषणा हो जाती है पूरी अयोध्या में खुशी का माहौल है और इधर राजमहल में कैकई ने खुशी में झूमते हुए अपनी सबसे प्यारी दासी मंथरा से कहा कुछ ही दिनों में मेरा पुत्र राम अयोध्या का राजा हो होगा और यह कहते हुए कैकई ने अपने गले से मोतियों का हार निकालकर मंथरा के गले में डाल दिया कैकई का इतना खुश होना मंथरा को रास नहीं आ रहा वह कैकई को कटाक्ष करते हुए बोलती है तुम्हारा पुत्र वह तो भरत है जिसकी किस्मत में राज तिलक नहीं राम का सेवक होना लिख
(08:19) दिया गया है कैकई ने मुस्कुराते हुए कहा अरि मंथरा जो स्वयं के गर्भ से जन्म लेते हैं क्या वही पुत्र कहलाते हैं कौशल्या ने यदि राम को अपने गर्भ में धारण किया है तो कैकई ने राम को अपने चित्त में उतारा है बहन कौशल्या अगर राम के जन्म का कारण है तो मैं उसके जीवन का आधार हू कैकई मंथरा को समझाते हुए कहते हैं अरे पगली तूने भी तो मुझे जन्म नहीं दिया लेकिन तेरे से भी तो मुझे माता का ही सुख मिला है तेरे प्रेम और समर्पण को सिर्फ इसलिए संदेश से देखो क्योंकि तू मेरी जननी नहीं है मंथ ने जवाब देते हुए कहा अरी मतिमंद माता होने
(08:57) और राज माता होने में फर्क होता है कैकई ने भी उसी जोर से पलटकर मंथरा को जवाब दिया कि कैकई का कल्याण राजमाता होने में नहीं राम की माता होने में है तू नहीं समझेगी मंथ भरत भावुक है और राम संवेदनशील और राज्य को अच्छे तरीके से चलाने के लिए राजा का भावुक होना ठीक नहीं राजा को संवेदनशील होना चाहिए अब तो जा मुझे एकांत चाहिए आवश्यकता होगी तो तुझे बुला लूंगी मंथरा के जाने के बाद कहकर राम के बचपन की स्मृतियों में खो जाती है जब वो राम और भरत को धनुष बाण चलाना सिखा रही है जब कैकई ने भरत को पेड़ पर बैठे पक्षी को निशाना लगाने को कहा भरत ने भावुक होकर
(09:41) धनुष नीचे रख दिया और मां कैकई से कहा मां यदि किसी को मारकर मुझे विद्या हासिल करनी है तो मुझे नहीं सीखना मैं इस निर्दोष पक्षी को निशाना नहीं बना सकता उसने क्या बिगाड़ा है ककई ने भरत से कहा तुम सचमुच भावों से भरे हो भरत अब ककई ने राम से कहा पुत्र उस पक्षी पर अपना निशाना लगाओ राम ने एक क्षरण लगाए बिना ही उस पक्षी को अपने बाण से भेद दिया प्रसन्न ककई ने राम से पूछा राम तुमने सही और गलत का विचार नहीं किया तुम्हें उस पक्षी पर जरा भी दया नहीं आई राम ने भोलेपन से कहा मां मेरे लिए किसी के जीवन से अधिक महत्त्वपूर्ण मेरी माता की आज्ञा है सही गलत का विचार
(10:21) करना यह मां का काम है और मां की इच्छा को पूरा करना ये पुत्र का धर्म है कैकई ने राम को गले लगा लिया और दोनों बच्चे को लेकर उस पक्षी के पास गई भरत हैरान हो उस पक्षी को देख रहे थे जिसे राम ने मार गिराया था खून की एक बूंद भी वहां नहीं थी भरत ने हाथ से उस पक्षी को लिया यह क्या मां यह तो सिर्फ एक खिलौना है मुझे सच का पक्षी लगा था मैं दया के भाव से भर गया आपकी आज्ञा नहीं मानी क्षमा प्रार्थी हूं मां ककई ने कहा मैं तुम्हारी मां हूं तुम्हें बाढ़ का संधान सिखाना चाहती हूं वत का विधान नहीं याद रखना जो दिखाई देता है जरूरी नहीं नहीं कि वह सच हो और यह भी
(11:01) जरूरी नहीं जो सच हो वह तुम्हें दिखाई दे इतने में ही दासी की आवाज महारानी कैकई के कानों में पड़ी महारानी संध्या का समय हो गया राजकुमार राम आपके दर्शन करना चाहते हैं अंदर आओ राम कैकई बड़े ममत्व से राम का हाथ पकड़ के भवन में ले गए कैसे आना हुआ राम एक हल्के से विराम के बाद राम ने पूछा कि मां मुझे ज्ञात हुआ है कि मेरे राज्य अभिषेक की तैयारी चल रही तो इसमें क्या बुरा है तुम सक्षम हो जिम्मेदारी उठाओ ताकि हम भी अपने बाकी का जीवन वर्णाश्रम की तरफ कूछ कर सके राम ने बहुत आराम से कहा मां जो काम कुश आसन पर बैठकर किए जाते हैं वह सिंहासन पर बैठकर नहीं
(11:43) किए जाते ककई ने कहा कहना क्या चाहते हो राम बोले आज अपनी मां से कुछ मांगना चाहता हूं लेकिन डरता हूं हाथ खाली ना रह जाए ककई बोली राजा अश्वपति और शुभ लक्षणा की बेटी कैकई हो सकता है तुम्हें वो ना दे सके जो मांग रहे हो पर राम की मां से मांग रहे हो हाथ खाली नहीं जाएंगे कहो क्या कहना चाहते हो राम बोले जो मांगने जा रहा हूं शायद तुम मना कर दो क्या कई ने कहा मेरे प्राण मांग लो राम खुशी-खुशी दे दूं नहीं मां कुछ और चाहता हूं और आज जो मांगने जा रहा हूं उसको देने के बाद तुम्हें जिंदगी भर अपयश भोगना पड़ेगा जो मांगने जा रहा हूं उसके बाद कोई पिता और
(12:25) मां अपनी बेटी का नाम कैकई नहीं रखें मैं तुझसे तेरा नाम भी छीन लूंगा और मां मैं जो मांगने जा रहा हूं उसे देने के बाद शायद तुम्हें तुम्हारे सुहाग से भी हाथ धोना पड़े कैकई ने कहा राम जैसे पुत्र की खुशी के लिए कैकई अपने सुहाग से भी हाथ धो लेगी कैकई शांत भाव से राम से पूछती है अपनी योजना बताओ राम कुछ देर के लिए खामोश हुए फिर बोले मैं चाहता हूं आप पिताजी से बात करें वेराम को सिंहासन नहीं वन जाने की आज्ञा आपके पास पिता के दो वचन चन सुरक्षित है उसके एक वचन में भरत के लिए राज तिलक और दूसरे में राम के लिए 14 वर्ष का वनवास मांगना होगा कैकई ने राम की
(13:09) आंखों में झांकते हुए कहा जानते भी हो राम तुम क्या मांग रहे हो अगर मैं भरत के लिए गद्दी और तुम्हारे लिए वनवास मांगती हूं तो अयोध्या क्या कहेगी मैं नहीं जानती पर मेरा भरत मुझे पूरी जिंदगी फिर मां नहीं कहेगा और यह बात सच भी है राम वनवास के बाद भरत ने कैकई को फिर कभी मां नहीं कहा कैकई ने फिर पूछा तुम करना क्या चाहते हो राम ने उत्तर देने की जगह मां से ही प्रश्न कर दिया आप क्या चाहती हैं भविष्य में राम दशरथ नंदन के नाम से जाना जाए या जनजन नंदन राम के नाम से मुझे सिर्फ अयोध्या तक सीमित रहना चाहिए या मेरा कार्यक्षेत्र ये अखिल विश्व होना चाहिए
(13:48) राम फिर बोले अयोध्या के भूगोल तक मुझे सीमित रहना है या समस्त भूगोल को मुझे अयोध्या में परिवर्तित करना है मैंने महान सूर्यवंश में जन्म लिया है माता इस सूर्य को सिर्फ अयोध्या में चमकना चाहिए या सूर्य के भाति वहां भी प्रकाश भरना चाहिए जो अंधकार के प्रभाव में अपना दम तोड़ रहे हैं ककई ने कहा अपने यश के लिए मुझे कलंक देना चाहते हो राम नहीं माता राम यह सब अपने यश के लिए नहीं बल्कि उस कार्य को करने के लिए कर रहा है जिसके लिए उसका जन्म हुआ है जब गुरु विश्वमित्र मुझे ले गए तब ताड़का और सुबाह को मारते वक्त भी मैं यही सोच रहा था कि मेरी जगह राज भवन
(14:27) में नहीं वन में हो चाहिए जब तक इन निशाचर का अस्तित्व इस पूरी सृष्टि से खत्म ना हो जाए यह जीवन व्यर्थ ही जाएगा दोस्तों मां कैकई की और श्री राम की अद्भुत बातचीत रहस्य का विषय है कुछ लोग इसे सही मानते हैं और कुछ लोग गलत आखिर में वही हुआ जो राम चाहते वो 14 वर्ष के लिए वन चले गए कहते हैं ना होई ही सोई जो राम रच राखा को करी तर्क बढ़ावे साखा यानी होगा वही जो राम जी ने पहले से रच रखा साथियों यूं तो रामायण में कई अद्भुत प्रसंग है लेकिन एक प्रसंग वीडियो के आखिरी में आपको जरूर बता देना चाहता हूं कहते हैं रावण की मृत्यु
(15:05) के बाद सभी देवता श्री राम को आशीर्वाद देने आ और उस वक्त वहां महाराज दशरथ भी स्वर्ग से पधारे राम ने प्रणाम किया दशरथ ने कहा पुत्र तुमने सूर्यवंश की कीर्ति को बढ़ाया है तुम्हारा यश तीनों लोकों में गूंज रहा है मैं तुमसे बहुत प्रसन्न मांगो क्या मांगते जानते हैं राम ने उस जीत की बेला में भी महाराज दशरथ से क्या मांगा राम ने कहा पिताजी अगर कुछ देना ही चाहते हैं तो मेरी मां ककई को क्षमा कर दे क्योंकि मैं जानता हूं आपने अब तक उन्हें क्षमा नहीं किया यदि मैं यदि मैं अपनी माता को श्राप मुक्त ना कर सका तो मेरा यह जीवन यह जीवन निष्फल रहेगा पिता श्री दशरथ
(15:53) ने कहा राम तुम सचमुच महान हो मैंने ककई को क्षमा किया साथियों सीखने की की बात यह है कि जीत की उस बेला में भी राम कैकई को नहीं भूले साथियों 22 जनवरी को हमारे आराध्य मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम है जल्द ही आम भक्तों के लिए मंदिर के कपाट खोल दिए जाएंगे मंदिर को बनाने में भव्यता के साथ-साथ इस बात का भी ध्यान रखा गया है कि राम का चरित्र मंदिर के कण-कण से उजागर हो आप भी अपने परिवार समेत दर्शन के लिए जरूर जाइए और इस ऐतिहासिक अवसर को अपनी आंखों से देखिए और हो सकता है भगवान के मंदिर में दर्शन करते-करते आपके अंदर
(16:32) उनके परिवार के गुण भी आ जाएं मेरी भी बड़ी इच्छा है कि राघव के दर्शन करने पूरे परिवार के साथ अयोध्या पहुंचो उम्मीद करता हूं वहां से जल्दी बुलावा आएगा आज के लिए इतना ही वीडियो अगर आपको पसंद आया हो तो लाइक कर दें शेयर कर दें और कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें कि क्या सबसे अच्छा लगा अगर चैनल पर आप नए हैं तो सब्सक्राइब जरूर कर दें ताकि अगली वीडियो की नोटिफिकेशन आपको मिल सके और डाउनलोड कर लीजिए कुकू एएम लिंक नीचे डिस्क्रिप्शन प है जल्द ही अगली किसी और शानदार वीडियो के साथ आपको मिलता हूं तब तक अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखिए जय हिंद जय श्री राम
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